Study of history : इतिहास का अध्ययन

Study of history ||इतिहास का अध्ययन

Study of history : इतिहास के अंतर्गत हम जिस विषय का अध्ययन करते है उसमे अब तक की घटनाओ या उससे संबंध रखने वाली घटनाओ का काल का वर्णन होता है मनुष्य के विशिष्ट घटनाओ को ही इतिहास कहा जाता है | दुसरे शब्दों में प्राचीनता से नवीनता की ओर आने वाली, मानवजाति से संबंधित घटनाओ का वर्णन इतिहास(history)  के अध्ययन में मिलता है |

प्रथम यूनानी इतिहासकार

हेरोडोटस – यूनान के प्रथम इतिहासकार वह भूगोलवेता(Geographer) हेरोडोटस थे | इन्होने ही हिस्टोरिकल नामक पुस्तक लिखी | हेरोडोटस को ही द हिस्ट्रीज के रचनाकार (Creators)के नाम से जाना जाता है | हेरोडोटस को ही इतिहास का पिता कहा जाता है | इन्होने सबसे पहली बार इतिहास का विषय पेलोपोनेसियन युद्ध को बनाया था इसके बाद इन्होने हिस्टोरिका नामक पुस्तक भी लिखा |

इतिहास को दोहराता है 

History repeats itself
History repeats itself

 

काल मार्क्स का कथन है कि इतिहास अपने को दोहराता है पहले त्रासदी के रूप में दूसरी बार प्रहसन की तरह |

द्वंद्वात्मक भौतिकवाद

द्वंद्वात्मक भौतिकवाद का सिद्धांत मार्क्स के संपूर्ण चितन का मूल आधार है | जिसमे उन्होंने व्दद का विचार मार्क्स ने हीगल से लिया था और भौतिक का विचार फ्युअरबाख से लिया | क्योकि इस सिद्धांत को व्दंद और भौतिकवाद को मिलकर बनाया गया है |

B.C. का पूरा नाम

B.C. का फूल फॉर्म before christ होता है | B.C. मतलब ईसा मसीह के जन्म के पहले से है |

A.D. का पूरा नाम

A.D. का फूल फॉर्म Anno Domini होता है AD का मतलब ईसा मसीह के जन्म के बाद की समय या तारीख से है | उदहारण के लिए 52 ई.पू. के बाद आता है |

विक्रम संवत कब से प्रारंभ होता है ?

भारतीय उपमहाद्वीप(Indian subcontinent) में प्राचीन या पुराना हिन्दू पंचांग है भारत में बहुत से राज्यों में प्रचलित पारम्परिक पंचांग है | इसके अनुसार माना जाता है कि विक्रम संवत् का आरम्भ 58 ई.पू. में हुआ था |

शंक संवत का प्रारंभ

शंक संवत की शुरुआत कुषाण के एक राजा कनिष्क ने प्रारंभ किया था शंक संवत का प्रारंभ भारत का राष्ट्रिय संवत है जिसे कुषाण वंशी राजा कनिष्क ने 78 ई में शुरू किया |

गुप्त संवत की शुरुआत

चन्द्रगुप्त प्रथम ने अपने शासन काल में एक नया संवत चलाया , जिसे गुप्त संवत कहा जाता है | यह जो संवत है वो गुप्त संवत तक ही चल पाया उसके बाद उसका चयन नही रहा | चन्द्रगुप्त प्रथम ने एक संवत गुप्त संवत ( 319 – 320 ) के नाम से चलाया |

चन्द्रगुप्त प्रथम ने गुप्तवंश को एक साम्राज्य एक रूप से स्थापित किया | चन्द्रगुप्त को ही इतिहास(history) में एक नया संवत चलने का श्रेय भी दिया जाता है |

हर्ष संवत

हर्षवर्धन ने 606 ई में हर्ष संवत की स्थापना के उपलक्ष्य में किया था | हर्षवर्धन प्राचीन या पुराने भारत का एक राजा था जिसने उतरी भारत में 606 ई से 647 ई समय तक राज किया | वह वर्धन राजवंश के शासन प्रभाकर्वधन का पुत्र था | जिसके पिता अल्कोन हूणों को युद्ध में पराजित किया था |

Kalachuri Dynasty
Kalachuri Dynasty

कलचुरी राजवंश का त्रैकूटक संवत

 

कलचुरी वंश मध्य भारत का एक बहुत ही ताकतवर राजवंश था | इस वंश की दो प्रमुख शाखाए थी जिन्होंने अलग अलग शताब्दियों के समय पर अलग अलग जगहों पर शासन किया | कलचुरी वंश के शासक को महिष्मति कहां जाता था 6वी से लेकर 7 वी शताब्दी ईस्वी के बीच के समय में पश्चिमी मध्य भारत में अपना शासन चलाया |

कलचुरी शासक के द्वारा त्रैकूटक संवत को प्रयोग में लाया गए थे जो 248 – 249 ई. समय तक चलाया गया |

चालुक्य विक्रम संवत

8वी से लेकर 9वी शती में विक्रम संवत के नाम को बदल कर एक विशेष नाम मिला | जिसे चालुक्य विक्रमादित्य के एक लेख वेडरावे शिलालेख में मिलता है | इस समय राजा ने शंक संवत को बदल कर चालुक्य विक्रम संवत को अपने कार्य काल में चलाया | जिसका प्रथम समय या वर्ष 1076 – 77 तक चला |

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