Narad muni Jayanti : नारद मुनी जयंती देखिये उनके बारे में सम्पूर्ण जानकारी

नारद मुनी : narad muni

नारद जी भगवान विष्णु के सबसे बड़े भक्त माने जाते है| जो हर वक्त सिर्फ नारायण – नारायण का जाप करते है| नारद जी ब्रम्हा जी के सात मानस पुत्रो में से एक है| नारदमुनी जी को देवताओ के ऋषि माना जाता है| नारद जी एक प्रमुख देवर्षि है जिन्हें बहुत से वेदों तथा पुराणों और भगवान के बारे में सभी जानकरियां ज्ञात है| narad muni जी का उल्लेख वेद, और धार्मिक ग्रंथो में किया जाता है|

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 narad muni jayanti  : नारद मुनी जयंती

सन 2024 में 25 मई को जयेष्ट मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीय तिथि को narad muni jayanti मनाई जा रही है|

  • narad muni जी भगवान विष्णु के सबसे बड़े भक्त है| और हमेशा वे नारायण नारायण का उच्चारण करते रहते है|
  • नारद जी संगीत के बहुत अच्छे ज्ञाता है| उन्हें संगीत के बारे में बहुत ज्ञान है| और संगीत में उन्हें महारत हासिल है| इसलिए उनके हाथ में हमेशा वीणा रहता है|
  • नारद मुनि जी सभी लोको में भ्रमण कर सकते है और करते भी है|
  • नारद जी को संदेशवाहक भी कहते है क्योंकि वे देवताओ और मनुष्यों के बिच संवाद स्थापित करते है| और मनुष्यों की बात देवताओ से करते रहते है|
  • इनमे ज्ञान का भंडार है| और इन्होने बहुत से पुराणों की रचना भी किये है|

नारद मुनि से जुडी एक कथा

एक बार नारद जी भगवान नारायण के पास गए और उन्हें प्रणाम किया और बोले हे प्रभु मै आपका सबसे बड़ा भक्त हूँ | और मुझे इस बतर पर बहुत गर्व है| भगवान नारायण मुस्कुराये और बोले नारद या तुम मेरे सच में सबसे बड़े भक्त हो? इसके बाद भगवान विष्णु कहते है की मुझे एक ग्वाले की याद आ रही  है| जो अपने काम में व्यस्त रहता है|

नारद जी यह बात सुनकर बहुत आश्चर्य चकित हो गए और उन्होंने नारायण से पूछा की प्रभु वह ग्वाला कौन है| उसके बाद विष्णु जी ने नारद को उस ग्वाले के पास भेज दिया| नारद मुनि जी जब उस ग्वाले के पास गए तो उन्होंने देखा की वह ग्वाला अपने गायो के साथ बहुत व्यस्त था| और वह भगवान नारायण का नाम बहुत ही कम ले रहा था| नारद जो सोच में पद गए और सोचने लगे की यह कैसा सबसे बड़ा भक्त है मै तो दिन भगवान का नाम लेता हूँ|

नारद मुनि भगवान विष्णु के पास आये और उन्होंने वो सब बाते बताई जो उन्होंने वहां देखा| उसके बाद नारायण जी नारद को एक काम देते है| नारद को कहते है की एक कटोरे में जल लेकर उसे अपने सर पर रखकर पुरे दिन चलना और याद रहे की उससे एक बूंद भी निचे नहीं गिरना चाहिए| उसके बाद नारद जी ने वैसा ही किया जैसा भगवान विष्णु ने कहा था| शाम के वक्त जब नारद जी नारायण के पास पहुंचे और उन्होंने कहा की मैं आपके आदेश का पालन किया और उससे एक बूंद भी निचे नहीं गिरा|

उसके बाद नारायण ने नारद मुनि से पूछा की नारद इस पुरे दिन में तुमने मेरा नाम कितनी बार लिया| यह सुनकर नारद जी शांत हो गए|  उसके बाद विष्णु जी ने नारद को समझाया की कैसे वह ग्वाला इतना व्यस्त था उसके अब्द भी वह दिल से मेरी भक्ति कर रहा था| भक्ति का मतलब यह नहीं है की तुम लगातार भगवान का बस नाम जपो, जबकि यह की तुम भगवान को दिल से याद रखो और अपना कर्म करते रहो| इस प्रकार नारद जी सब समझ गए| और उन्होंने भगवान विष्णु के प्रति अपनी भक्ति को और भी मजबूत कर लिए|

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