education system of japan || जापान की शिक्षा पद्धति
education system of japan : भारत में नई शिक्षा प्रणाली लागू किया गया है जिससे भारत की शिक्षा में कुछ सुधार किया जा सके | लेकिन इस नई शिक्षा प्रणाली में देश में कुछ सुधार होगा या नही ये तो आन वाला समय ही बताएगा | जब भी शिक्षा पद्धति कि बात करते है तो हम उदहारण के तौर पर बोल देते है कि अमेरिका का एजुकेशन पद्धति बहुत ही अच्छा है |
यूरोप के देशो में भी बहुत ही अच्छा शिक्षा व्यवस्था है | जापान के बात करे तो वहा कि शिक्षा व्यवस्था बहुत ही अच्छा है | जापान कि शिक्षा पद्धति बच्चो को किताबी कीड़ा नही बनाता है बलकी प्रेक्टिकल knowledge के ऊपर ज्यादा ध्यान देता है |
जापान के बच्चो का अविष्कार
जापान की शिक्षा पद्धति : -जापान में 12-13 साल के बच्चे नये नये अविष्कार कर देते है | जो सायद ही हमारे देश में इंजीयरिंग कि पढाई पूरी करने के बाद भी युवा न कर पाए | वही भारत कि शिक्षा पद्धति पर अगर ध्यान दे तो आप जानते ही होंगे मैट्रो सिटी ऑफ प्राइवेट स्कूल स्कोलर को हटा दिया जाए तो देश में ज्यादा तर स्कूल में स्कूलों को सिर्फ खाना पूर्ति के लिए चलाया जा रहा है |
गाँव कस्बो के स्कूलों में अगर बच्चे स्कूल जा तो रहे है लेकिन वहा के बच्चो को कुछ नया सिखने को नही मिल रहा है | लेकिन का शिक्षा पद्धति इतनी ख़राब क्यों है | आखीर जापान के अपने यहाँ इतना अच्चा शिक्षा पद्धति कैसे लागु किया है |
पढाई का महत्त्व
जापान के लोग पढाई के महत्व को जानते है तो वही पर भारत में आज भी लाखो लोग ऐसे है जिनके मुताबिक पढाई लिखाई सब बेकार कि चीज है | अगर घर में पापा का कुछ काम है तो पढाई करने कि जरूरत नही है | एक किसान का बेटा है तो उसे खेती बड़ी ही करनी है | पढ़ लिख कर कौन सा कलेक्टर बन जाओगे इस तरह कि ख़यालात बाले लोग आज इस देश में भरे परे है |
शिक्षा पद्धति
भारत – भारत की शिक्षा पद्धति इतना कठिन है कि बच्चो को स्कूल जाने का मन ही नही करता है | भारत में बच्चो का औसतन उपस्थिति 55% के आस पास है | भारत में बच्चो के उपस्थिति दर को बढ़ाने के लिए कई स्कूल वह कालेजो में 95% उपस्थिति का नियम लागू कर दिया है | लेकिन इससे भी बच्चो के पढाई पर कुछ ख़ास फर्क नजर नही आया है अब बच्चो का दीमक सिर्फ स्कूल जाना पर ही रहा गया है | न की स्कूल में जाकर कुछ नया सीखना |
वही पर भारत में 50 से 60 बच्चे आम बात है बहुत आबादी वाले इलाको में यह संख्या 100 के पार हो जाता है | एक क्लास में अगर 100 बच्चे होने तो शिक्षा किस तरह अपने बच्चो पर धयान दे पाएगा | ऐसे में गलती बच्चो कि है न ही टीचरों कि |
वही पर भारत में 40 बच्चो पर एक टीचर है लेकिन यह जो आकड़ा है वो सिर्फ कागजी है | लेकिन कई ऐसे स्कूल है जहा पर शिक्षक का नाम तो दर्ज है वो स्कूल जाते ही नही है | कितने स्कूलों में भर्तीया सिर्फ कागजो तक ही सिमित है |
भारत में सही शिक्षको का आकड़ा लगाना बहुत ही मुश्किल है |
जापान – जापान की बात करे तो बच्चो का उपस्थिति दर लगभग 99% होता है | जापान में एक क्लास रूम के केवल 30 ही बच्चे होते है | जिससे शिक्षक हर बच्चे पर अच्छे से ध्यान दे पाते है जापान में औसतन बच्चो पर एक टीचर है |
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