naxalijam in chhattisgarh | छत्तीसगढ़ नक्सलवाद
naxalijam in chhattisgarh : छत्तीसगढ़ नक्सलवाद में सबसे बड़ी समस्या है | छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद जादातर उन इलाको ने जहा पर घने वनक्षेत्र है | छत्तीसगढ़ के इन नक्सलियों के कारन हर साल कई जवान शहीद हो जाते है | छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद का अंत बहुत ही जरुरी हो गया है | क्युकी ये नक्सवाद राज्य के साथ साथ देश की प्रगति को भी नुक्सान पहुंचाते है | छत्तीसगढ़ में सबसे जादा नक्सल प्रभावित क्षेत्रो में बस्तर , बीजापुर , सुकमा , दंतेवाड़ा , कांकेर , नारायणपुर , दंतेवाड़ा , कोंडा गाँव आदि है |
छत्तीसगढ़ में नक्सलगढ़ के नाम से प्रसिद्ध बस्तर जिले में सुरक्षा बालो के आक्रमक अभियान से नक्सली डर गये है उनके इस आक्रामक अभियान से नक्सली अपने घुटनों पर आ गये है | सुरक्षा बालो ने उन्हें आत्मसर्पण करने या मरने के लिए विवश कर दिया है | इस साल अर्थात 2024 में पिछले चार महीने में 150 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया है | जबकि पिछले 5 सालो में 4800 नक्सलियों ने सुरक्षा बालो के सामने घुटने टेके है |
नक्सलवाद की शुरुआत
नक्सलवाद की शुरुआत वर्ष 1967 में पश्चिम बंगाल के नक्सल बाड़ी गाँव में हुयी थी | नक्सलबाड़ी गाँव के नाम पर ही उग्रपंथी आंदोलनों को नक्सलवाद कहा गया | जमींदारों द्वारा छोटे किसानो पर किये जा रहे उत्पीडन पर अंकुश लगाने के लिए भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी के नेता सामने आये | इन नेताओ में चारु मजुमदार , कानू सान्याल और कन्हाई चटर्जी का नाम प्रमुख है | कुछ कम्युनिष्टो द्वारा राज्य को अस्थिर करने के लिए हिंसा का इस्तमाल किया जाता है इसे ही नक्सलवाद कहा जाता है |
छत्तीसगढ़ सहित भारत ने जादातर नक्सलवाद , माओवादी विचारधारा से प्रेरित है | इसके जरिये वे मौजूद शासन को उखाड़ फेकना चाहते है | और लगातार युद्ध के जरीये जनताना सरकार लाना चाहते है |
भाग रहे है नक्सली
छत्तीसगढ़ में नक्सलियों का प्रमुख गढ़ कहा जाने वाले बस्तर जिले में सुरक्षा बालो की आक्रमक रुख से दर कर नक्सली या तो आत्मसमर्पण कर रहे है या भाग रहे है | बताया जा रहा है की कई बड़े नक्सली छत्तीसगढ़ का बस्तर जिला छोड़कर आंध्रप्रदेश , तेलंगाना जैस अन्य राज्यों में भाग रहे है | बताया जा रहा है की कई बड़े नक्सली जो छत्तीसगढ़ के बस्तर से भागे थे वे तेलंगाना व आंध्रप्रदेश राज्यों में सरेंडर के प्रयास कर रहे है |
छत्तीसगढ़ सरकार की आत्म्समर्पण नीती ने भी स्थानीय नक्सलियों को प्रभावित किया है | और अब वे भी एक अच्छी जिंदगी जीने के लिए नक्सलियों का साथ छोड़कर मुख्यधारा से जुड़ने का प्रयास कर रहे है | इसकी रणनीति सोमवार को देखने को मिली जब आंध्रप्रदेश में 5 लाख रूपये के इनामी डिविजनल कमिटी स्तर का नक्सली खरं मिथिलेश उर्फ़ राऊ सहित असिस्टेंट कमांड किस्टाराम बारसे ने सुरक्षा बालो के सामने समर्पण कर दिया |
नक्सलियों के जड़ पर सीधा प्रहार
छत्तीसगढ़ में हांल ही में हुए चुनाव में भाजपा को भरी मतों से जित मिले और प्रदेश में डबल इंजन की सरकार बनी | छत्तीसगढ़ में डबल इंजन की सरकार आने के बाद अब सीधे नक्सलियों के जड़ पर वार किया जा रहा है | इस बार सीधे नक्सलियों के संगठन के अधार क्षेत्र कहे जाने वाले सुकमा औए बीजापुर के सीमा व पश्चिम बस्तर डिविजन के गढ़ में 16 फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस स्थापित कर वहा से ओप्रेसन कर रहे है | अबुझमाड़ा क्षेत्रो में भी चार नये कैम्प बना कर उत्तर बस्तर डिविजन और पूर्वी बस्तर डिविजन की घेरेबंदी की जा रही है |
बीजापुर के कोराचोली में 13 व कांकेर के छोटेबेठिया ने लड़ाकू दस्ते के 29 नक्सली को मार गिराने के बाद से नक्सल संगठन में और भी अधिक भय का भाव उत्पन्न हो गया है |
छत्तीसगढ़ में नक्सलियों का समर्पण
छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बालो के आक्रामक तेवर की वजह से नक्सली डरे हुए है जिसकी वजह से नक्सली सर कर समर्पण कर रहे है | 13 जनवरी को दंतेवाड़ा में पांच लाख के इनामी डूमामा गंगा उर्फ़ बरुम सहित 2 नक्सलियों ने अपने अथियार दाल दिए और आत्मसमर्पण कर दिया | इसके बाद 24 जनवरी को नारायणपुर में भी 5 लाख के इनामी नक्सली कुतुल एरिया कमिटी परलकोट एल. ओ. एस. कमांडर जयलाल कवाची ने समर्पण किया |
इसके बाद 18 मार्च को सुकमा में इनामी नक्सली दम्पती 5 लाख का इनामी नक्सली सोडी सुक्का , दो लाख का इनामी नक्सली सोडी सुक्की ने अपना आत्मसमर्पण किया |
इस महीने का इतिहास
छत्तीसगढ़ में आज कला दिन बहुत ही दुखद और पीड़ा दायक था | इस हमरे देश ने कई जावानो को खोया था आज का दिन छत्तीसगढ़ के लिए किसी ब्लैक डे से कम नही था | आज ही के दिन छत्तीसगढ़ के कई माताओं ने अपने सपूत को छत्तीसगढ़ के लिए खोया था | आज के दिन ही अर्थात 25 अप्रैल सन 2017 में छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में नक्सलियों के साथ मुदभेद में 25 जवानों ने अपनी शहादत दी थी |
नक्सलवाद को समाप्त करने के उपाये
- कुशक शासक
- नक्सल प्रभावित क्षेत्रो में इन्फ्रास्ट्रक्चर , सडक सेलफोने कनेक्टिविटी , पुल , स्कूल आदि का निर्माण किया जाना चाहिए |
- उच्च शिक्षा संस्थानों का निर्माण किया जाना चाहिए |
- इन क्षेत्रो में सरकारी की कुशल रणनीति होनी चाहिए |
- जादा से जादा रोजगार उपलब्ध करवाया जाना चाहिए |
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