Climate change and government | जलवायु परिवर्तन
Climate change and government : वर्तमान समय में पूरी दुनिया विकास की अंधी दौड़ में भाग रही है | इंसान अपने स्वार्थ की पूर्ति में इतने अंधे हो गये है की की उसे आने वाले समय की बर्बादी दिखाई नही दे रही है | वर्तमान समय में हो रहे प्रकृति के दोहन से यह तो साफ़ है की आने वाले समय में इंसानों भारी तबाही का सामना करना पडेगा | इंसान जिस गति से अपने निजी स्वार्थ के लिए प्रकृति को नुकसान पंहुचा रहे है एक दिन इंसानों के विनाश का कारण बनेगा |
इंसानों की लापरवाही
देखा जा रहा है की इंसान अपने फायदे के लिए धरती से पेड़ो को काट कर पाने घर को सजा रहे है | वे लोग इतना नही सोच रहे है की अगर ये धरती ही नही रहेगी तो घर क्या करोगे | इंसान अपने स्वार्थ के लिए पेड़ पौधों को तो काट देती है लेकिन एक पेड़ लगाने को कहो तो लगायेंगे नही | इंसान बड़े बड़े पेड़ो को काट दे रहे है जो बिना की किसी स्वार्थ के इंसानों को गर्मी , धुप से बचाती है | उन्हें अपना फल फुल देती है , लेकिन इंसान इतना मतलबी है की वे उसी पेड़ को काट देते है और दिखावे के लिए गहरो में मनीप्लांट लगा रहे है |
इंसानों को दिखाई नही दे रहा है की वर्तमान में गर्मी इंतनी क्यों बढ़ गयी है | उन्हें क्या उन्हें ये पता नही चल रहा है की धरती का तापमान लगातार बढ़ रहा है | आज वातावरण का तापमान 47 डिग्री तक पहुँच गया है | अगर इंसानों को इस धरती पर आगे अपनी पीढ़ी को सुरक्षित देखना है तो धरती का ख्याल रखना बहुत ही जरुरी है |
हम इंसानों ने आज अन्तरिक्ष को भी नही छोड़ा है | यहाँ पर भी इतने प्रदुषण हो चुके है की इतने कृत्रिम उपग्रह के कचरे है की अगर धरती पर एक साथ गिरे तो भारी तबाही ला दे |
सरकार की लापरवाही
पृथ्वी को हमारी इस सुन्दर प्रकृति को नष्ट करने में सरकार भी पीछे नही | प्रकृति को सबसे बड़ा नुक्सान पहुचाने में सरकार का ही सबसे योगदान है | सरकार के पास हर मुद्दे को महत्वपूर्ण मानकर काम कर रही है लेकिन प्रकृति के विषय पर क्यों सरकार कुछ नही बोल रही है | वर्तमान डेटा के अनुसार साल 2023 में भारत में 134 हेक्टेयर प्राकृतिक जंगलो को हम इंसानों ने खो दिया है | यह आकंडा केवल भारत है , तो सोचिये पूरी दुनिया में कितने ऐसे वनों को नष्ट किया होगा , काटने से पहले यह तक नही सोच रहे है की यह जंगल किसी का घर भी था |
सरकार देश के विकास के मुद्दे , राजनितिक तंज , औद्योगिकीकरण , शहरीकरण , एक पार्टी दुसरे पार्टी पर आरोप लगाती है | सरकार ये स्थापित कर रही है वो स्थापित कर रही है ओर सोच रहे है है की हम अपने देश का भला कर रहे है लेकिन सरकार इन सब के लिए कितने पेड़ो काट रहे है | वास्तव में तो हम लोगो में प्राण इस प्रकृति के कारण ही है | अगर ये पेड़ पौधे , जंगल , नदी , झरने , पहाड़ , पर्वत न रहे तो हम इंसानों का जीवित रहना संभव नही है |
वर्तमान में भारत सरकार मुंबई – वडोदरा हाइवे बना रही है जिसमे अब तक लगभग 32 हजार पेड़ काटे का चुके है और संभावना है की इसमें 9 हजार पेड़ और पेड़ काटे जा सकते है | सरकार को पेड़ न काट कर इसके अतिरिक्त विकल्प की खोज करनी चाहिए |
सरकार देश के विकास के लिए बड़ी बड़ी परियोजनाए ला रही है लेकिन इस प्रकृति का क्या कभी विचार किया | कभी देश का बजट जारी करते समय इस बात को ध्यान में रखा जाता है की चल इस पर्यावरण को बचाना भी हमारी जिम्मेदारी है इसके लिए भी बजट में कोई प्रवधान किया जाये , लेकिन नही सरकार कहा इस पर ध्यान देगी उन्हें तो अपने राजनीति , देश में बड़े बड़े सडक , प्रकृति का दोहन ही दिखाई देती है |
हमारे देश के वैज्ञानिक
हमारे देश महान वैज्ञानिक भी कभी ये नही सोच रहे है की इस प्रकृति को कैसे बचाए | कैसे हम इसे भविष्य के लिए सुरक्षित करे ? हमारे देश वैज्ञानिक बड़े बड़े अविष्कार कर रहे है अन्तरिक्ष में पाने यान भेज रहे है अन्तरिक्ष के अध्ययन के लिए लेकिन धरती में हो रहे जलवायु परिवर्तन पर कोई बात नही कर रहे है | अरे भाई उन सब चीजों का क्या करेंगे अगर ये दुनिया ही नही रहेगी तो | बजाए रॉकेट बनाने के बजाये मंगल पर जीवन ढूंढने के , बजये चाँद और मंगल ग्रह में जीवन बसाने के धरती के जीवन को बचाने में ध्यान देना ज्यादा जरुरी है |
पिछले एक दशक में कितने पेड़ काटे जा चुके है ?
साल 2010 से 2020 तक वैश्विक स्तर पर 4.7 मिलियन हेक्टेयर प्रति वर्ष वनों को नुक्सान हुआ | पूरी दुनिया में इसका असर साफ़ दिखने लगा है | कही बेमौसम बरसात हो रही है तो कही पर सुखा पड रहा है | धरती का तापमान बढ़ रहा है जिससे आज भारत के ही कई शहरो में पारा 45 डिग्री के पार चला गया है | तापमान में वृद्धि के कारण ग्लेशियर पिछल रहे है जिससे समुद्र में जल का स्तर लगातार बढ़ रहा है |
प्रकृति से छेड़छाड़ का नतीजा
नेचर से छेड़छाड़ का बहुत भारी परिणाम भोगने पड़ सकते है | और वर्तमान में भोग ही रहे है वातावरण इतनी गर्म हो चुकी है की पारा 45 डिग्री के पार चला गया है | नेचर से छेड़छाड़ का नतीजा बेमौसम बरसात और बाढ के रूप में देखने को मिल रहे है | राजिस्थान जहाँ पर ज्यादा बारिश नही होती थी पिछले साल ही बाढ़ जैसे हालत थे | वर्तमान में वहां की धरती जगह जगह पर धंस रही है | हिमालय के बर्फ पिघल रहे है |
प्रकृति को कैसे बचाए
- अधिक से अधिक वृक्षारोपण किया जाना चाहिए |
- प्रकृति इंधन का अधिक कारगर विकल्प विकसित करने पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए |
- देश के बजट में नेचर को बचाने के लिए प्रावधान करने होंगे |
- इस विषय पर वश्विक स्तर पर सोचना होगा |
- इंधन के रूप में लकड़ी का उपयोग काम करें |
- पेड़ो को निजी स्वार्थ के लिए ना काटे |
मनीप्लांट लगाने से केवल ही घर सुन्दर बनेगा लेकिन , पेड़ लगाने से घर के साथ पूरी दुनिया सुन्दर बानगी
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