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Togglechhattisgarh nakshlwad || मुठभेड़ के बाद भागे नक्सली , मौके से बरमद हुआ बन्दुक और बम बरामद
chhattisgarh nakshlwad :- छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले नक्सल उन्मूलन कार्यक्रम चलाया जा रहा है इस अभियान के तहत 15 फ़रवरी को दंतेवाड़ा और बीजापुर के सरहदी क्षेत्रो में डोडी तुमनार गमपुर क्षेत्र मर दरभा डिवीज़न और पश्चिम बस्तर डिवीज़न के शीर्ष नक्सलियों की उपस्तिथि होने की सुचना मिली थी | इस पर कारवाही करते हुए दंतेवाड़ा से नक्सल गस्त सर्चिंग अभियान के लिए उप पुलिस अधीक्षक राहुल उइके के नेतृत्व में डी.आर.जी. , बस्तर फाइटर्स , सी.ए.एफ. के साथ सी.आर.पी.एफ. के 111 वी वाहिनी , 230 वी वाहिनी और 195 वी वाहिनी की यंग पलटन रवाना हुए थे | गस्त सर्चिंग के दौरान 16 फ़रवरी की सुबह गमपुरगाव के पास पहुंचते ही डी.आर.जी. बस्तर फाइटर्स की टीम और सी.आर.पी.एफ.230 यंग पलटून पर नक्सलियों ने अपने अवैध स्वचलित हथियारो से सुरक्षा बालो पर नक्सलियों ने हमला कर दिया |
जवानो ने मुस्तैदी से जवाबी कार्रवाही की | सुरक्षा बालो की रानीतिक कार्रवाही से नक्सली जंगल एवं पहाडो आड़ लेते हुए मौके से भाग खड़े हए इसके बाद सुरक्षा बालो द्वारा आस-पास के क्षेत्रो में सघन सर्चिंग करने पर दो भरमार बन्दुक , एक कैलेमोर बम , 2 बी.जी.एल. सेल , 3 टिफ़िन बम , इलेक्ट्रिक वायर , डेटोनेटर सहित अन्य विस्फोटक हथियार सामाग्री के साथ नक्सल वर्दी और दस्तावेज सहित अन्य दैनिक उपयोगी सामाग्री बरामद किया गया |
नक्सलियों के पी.एल.जी.ए. के लिए गाव में खेती की जाति है
सुकमा जिले के गजरगुन्दा जैसे दुर्गम जंगलो वाले इलाके में स्थित है पुर्वती गाव गजर गुंडा से 22 किलोमीटर दूर दक्षिण में है , यहां पहुंचना बेहद मुश्किल है | पुवर्ती तक पहुचने के लिए कोई पक्की सडक नही है | पूरा इलाका नक्सलियों के कब्जे है | अभी तक नक्सलियों की इजाजत के बिना इस गाव तक कोई नही पहुंच सकता | जिसे अन्दर जाने की इजाजत मिली वाही गाव क्व अन्दर जा सकता है | यंहा पर नक्सलियों के जनता सरकार का राज चलता है |
नक्सलियों ने यहाँ अपने तालाब बनवाये है , जिनमे वे यहाँ मछली पालन करते है | इस गाव में सामूहिक खेती करती है | माना जाता है की यहाँ से उत्पादन होने वाले खाद्यान्न हर समय नक्सलियों के पी.एल.जी.ए. के लाल लडाको तक खाने के लिए पहुँचाया जाता है | गाव वालो के संत PLGA के लाल लड़ाके भी सामूहिक खेती करते है | फाॅर्स जवानो के यहाँ पहुचने पर उन्होंने ऐसे ही एक खेत को चिन्हांकित किया है | जिनमे नक्सलियों के लिए फसल बोने का अंदेशा है | दरअसल गाव में दाल , सब्जी की खेती बड़े पैमाने पर किया जाता है | बस्तर में दाल उत्पादन बेहद ही कम होता है | ऐसे पुवर्ती के गाव में दाल की खेती नक्सलियों के लिए किये जाने का अंदेशा है | फिलहाल जवानो ने किसी खेत को नष्ट नही किया है |
नक्सलवाद की पृष्ठभूमि
हमारे देश में नक्सलवाद की सुरुआत वर्ष 1976 में हुआ था | इसकी शुरुआर पश्चिम बंगाल के दार्जलिंग जिले के नक्सलबाड़ी गाव मव हुआ था | नक्सलबाड़ी गाव के नाम पर ही उग्रवादी आन्दोलन को नक्सलवाद कहा गया | जमींदारों द्वारा छोटे किसानो पर किये जा रहे उत्पीडन पर अंकुश लगाने के लिए भारतीय कम्युनिस्ट के कुछ नेता सामने आये | इन नेताओं ने चारु मजुमदार , कानु सान्याल और कन्हाई चटर्जी का नाम प्रमुख है |
कुछ कम्युनिस्ट द्वारा गुरिल्ला युद्ध के जरिए राज्य को अस्थिर करने का कार्य किया जाता है | इस हिंसा को नक्सलवाद कहते है | भारत में हो रहे नक्सलवाद ज्यादा तर इस तरह के माओवादी विचारो के कर्ण ही होता है | इससे वे मौजूदा सरकार की शासन व्यवस्था को उखड फेकना चाहते है तथा युद्ध के जरिए जनताना की सरकार लाना चाह रहे है |
नक्सलवाद के शुरुवात
- प्रथम चरण – साल 1967 से 1980 तक नक्सलवाद की शुरवात का प्रथम चरण था |प्रथम चरण मार्क्सवादी-लेनिनवादी और माओवादी विचारो पर आधारित था ,इस समय यह एक आन्दोलन के शक्ल में था | इस समय में नक्सलवादीओ को जमीन और अनुमान की कमी देखने को मिला | इस समय नक्सलियों को राष्ट्रिय पहचान मिला |
- द्वितीय चरण – साल 1980 से 2004 तक का समय जमीन के आभाव और जरुरतो के आभाव के कारण चलने वाला नक्सल गतिविधि था |
- तृतीय चरण – साल 2004 में इनका राष्ट्रिय स्वरूप सामने आया जो की नक्सलवाद राष्ट्र की सबसे बड़ी चुनौती के रूप में उभरा |
नक्सल वाद को समाप्त करने का प्रयास
- नक्सलवाद से निपने के लिए 2006 में एक अलग विभाग बने गया |
- नक्सल प्रभावित क्षेत्रो में बुनयादी ढाचो को मजबूत करने के लिए, कौशल विकास,शिक्षा ,उर्जा तथा डिजिटली कनेक्टिविटी के कम किये जा रहे है |
- नक्सल क्षेत्रो में तेजी से सड़क निर्माण का कार्य किया जा रहा है साल 2022 तक 48,877 किमी. तक सड़के बनाने का लक्ष्य था जो अभी तक जारी है |
- नक्सल क्षेत्रो में रोजगार तथा अजीविक के साधन उपलब्ध कराए जा रहे है ताकि वहा तेजी विकास हो सकते |
- साल 2017 में नक्सल की समस्या को दूर करने के लिए आठ सूत्रीय समाधान नाम से एक योजना की शुरुवात किया गया था |
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