Chhattisgarh Lok Kla Sanskriti | छत्तीसगढ़ की महान कला एवं संस्कृति
जस प्रकार भारत की संस्कृति और कलाओ में भिन्नता पाई जाति उसी प्रकार Chhattisgarh Lok Kla Sanskriti में भी भिन्नता पाई जातीवनों से आच्छादित व आदिवासी अधिकता के कर्ण यह की कला में वनों , प्राकृति , प्राचीन और परम्परा का विशेस स्थान और महत्त्व है |छत्तीसगढ़ की कला में हमें कई प्रकार के लोक नृत्य देखने को मिलते है | छत्तीसगढ़ में हर साल यहाँ के गावो में मेले का आयोजन होता है जिसे एक मिलन समारोह के रूप में भी जाना जाता है |
छत्तीसगढ़ में विभिन्न प्रकार के व्यंजन , शिल्प कला , लोक कला देखने को मिलते है | यहाँ अतिथियों को भगवान के समान मन जाता है | यहाँ की दीवाली में भी अपनी एक अलग ही विशेषता है |यहाँ की बोली भी मन को लुभा लेने वाली होती है | यहाँ पर अलग – अलग तीज त्यौहार मनाये जाते है |
छत्तीसगढ़ में प्रचलित लोक जीवन कला जो समाज द्वारा मानी है लोक संस्कृति कहलाती है | इसके अंतर्गत लोक नृत्य , लोक नाट्य , लोक गीत , छत्तीसगढ़ी त्यौहार , पर्व , आभूषण एवं व्यंजन का समावेश है | छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति मुख्यत: प्रकृति से प्रभावित है |लोक गीत एवं लोक नृत्य छत्तीसगढ़ की प्रमुख विशेषता है |

लोक गीत
छत्तीसगढ़ के लोकगीत की अपनी एक अलग विशेषता है | लोक गीतों की परम्परा प्राचीन समय से विद्यमान है इसके निर्माता प्रया: अज्ञात होते है ये गीत समूहगत रचनाशीलता का परिणाम होते है एवं मौखिक परम्परा में जीवित रहकर युगों की यात्रा करते है | लोक गीतों में राज्य के आदिम परम्परा व जनजाति विशेषताओ का बखान होता है इन लोक गीतों के द्वारा अपनी परमप्र , संस्कृति, प्रकृति के प्रति प्रेम को व्यक्त किया जाता है , जीवन के सार को बताया जाता है |

लोक गीतों का वर्गीकरण
धर्म व पूजा गीत
- भोजली गीत
- जंवारा गीत
- माता सेवा गीत
- नागपंचमी गीत
- जस गीत
- गौरा – गौरी गीत
मौसम पर आधारित लोकगीत
- सवनाही लोकगीत
- फाग लोकगीत
उत्सव सम्बन्धी लोकगीत
- राउत नाचा लोकगीत एवं दोहे
- सुआ लोकगीत
- छेरछेरा लोकगीत
संस्कार लोकगीत
- विवाह लोकगीत
- सोहर लोकगीत
- पठौनी लोकगीत
मनोरंजन लोकगीत
- करमा लोकगीत
- डंडा लोकगीत
- ददरिया लोकगीत
दुख के मौके पर
- बांस लोकगीत
वाद्ययंत्र एवं गीत
- तम्बूरा , करताल , खंजरी –पंडवानी
- मांदर , झांझ , झुमका – पंथी गीत
- टिमकी , ढोलक – चंदैनी गीत
- इकतारा , सारंगी – भरथरी गीत
- गढ़वा बाजा – राउत नाचा
लोकगीत एवं गीतकार
- पंडवानी – वेदमती शैली – ऋतू वर्मा , झाडूराम देवांगन , पुनाराम निषाद , रेवाराम साहू
कापालिक शैली – तीजनबाई , शांतिबाई , उषा बारले , प्रतिमा बारले
- पंथी गीत – देवदास बंजारे
- ददरिया – लक्षमण मस्तुरिया , दिलीप षडंगी , केदार यादव , शेख हुशेन
- चंदैनी गीत – चिंता दास
- भरथरी – सुरूजबाई खांडे
- बांस गीत – केजूराम यादव और नकुल यादव

नृत्य से सम्बंधित लोकगीत
सुआ लोकगीत और गौरा-गौरी लोकगीत
यह लोकगीत सुआ नृत्य के समय गया जाता है यह गीत छत्तीसगढ़ में दीवाली के पर्व में गया जाता है और इसका समापन शिव – गौरा विवाह के पश्चात् किया जाता है | इसका प्रतिक शिव और माता गौरी होता है |गीत को – तरी हरी नहा नरी ना ना रे सुअना इस प्रकार से सुरु किया जाता है |इस गीत में श्रृंगार रस घुला होता है | इस गीत और नृत्य को केवल महिलाओ के द्वारा गया जाता है अर्थात यह गीत महिला प्रधान गीत है यह गीत प्रमुखता से गोड महिलाओ के द्वारा गया जाता है |
इस गीत के माध्यम से किशोरी महिलाये अपने प्रेमी को सुआ के माध्यम से सन्देश भेजती है | सुआ गीत नारी जीवन के समस्त सुख-दुःख और प्रेम प्रधान करुना की गीत है |इस गीत में किसी भी प्रकार के वाध्ययंत्रका प्रयोग नही किया जाता है |
2. पंथी गीत
यह गीत सतनाम पंथ के अनुयायी द्वारा गाया जाता है इसके माध्यम से छत्तीसगढ़ के प्रमुख संत , संत शिरोमणि गुरु घासीदास बाबा जी संदेशो को जन – जन तक पहुचाया जाता है , इसमें जीवन का सार छुपा है
इस गीत में मांदर, झांझ , झुमका आदि वाध्ययंत्रो का प्रयोग किया जाता है इसके गीत कार स्वर्गीय देवदास बंजारे जी है | इस गीत को international ख्याति दिलाने का श्रेय स्वर्गीय देवदास बंजारे को दिया जाता है |
प्रणय से सम्बंधित लोकगीत
ददरिया
इसे लोक गीतों का राजा खा जाता है इसे श्रम गीत भी खा जाता है इसका पठारी और कचहरी रूप में होता है |यह गीत सवाल-जवाब शैली पर आधारित गीत है | इस गीत को श्रृंगार रस में गया जाता है इस गीत को ख़ुशी के मौके पर गाया जाता है |
फसल बोते समय युवक – युवती अपने मन की बात को एक दुसरे तक पहुचाते है | ददरिया को प्रेम गीत के रूप में मन जाता है | इसके गीतकार लक्ष्मण मस्तुरिया , दिलीप षडंगी , केदार यादव आदि है |
2. चंदैनी गायन
यह गीत लोरीक और प्रेम पप्रसंग पर आधारित है |इसके प्रमुख गायक चिंतादास जी है इसमें टिमकी , ढोलक वाध्ययंत्रो का प्रयोग किया जाता है इस गीत को मूल रुप से राउत जाति द्वारा गया जाता है इस गीत में गाथामय शैली किआ प्रयोग किया जाता है |
3. भरथरी गीत
यह गीत राजा भरथरी और रानी पिंगल के वैराग्य जीवन पर आधारित है |इसके प्रमुख गीतकार सुरूजबाई खांडे है |
इस गीत को गाते समय इकतारा व सारंगी का प्रयोग किया जाता है |भरथरी लोकगीत विधा के रूप में जाना जाता है | इस गीत का गायन प्राय: नाथपंथी गायक करते है |भरथरी राजा विक्रमादित्य के भाई थे |
छत्तीसगढ़ी व्यंजन
छत्तीसगढ़ के प्रमुख व्यंजन निम्न है-
- मुठिया
- चिला
- फरा
- खुरमा
- डुबकी कड़ी
- बरा
- दाल मखनी बुखारा
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