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Toggleश्वेत पत्र I shvet patra
shvet patra शब्द की उत्पत्ति सबसे पहले ब्रिटिश सरकार में हुई थी| दुनिया का सबसे पहला श्वेत पत्र जो है ब्रिटेन के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने 1922 मे लाये थे| श्वेत पत्र सरकार द्वारा जारी एक रिपोर्ट कार्ड होती है जिसमें सरकार की पोलिशी, उपलब्धियों और महत्वपूर्ण मुद्दों या किसी स्कीम (पोलिशी) पर जनता की राय जानने के लिए संसद में वर्तमान केंद्र सरकार द्वारा पेश किया जाता है|
वर्तमान केंद्र सरकार द्वारा श्वेत पत्र में 2014 से पहले के 10 वर्ष और बाद के 10 वर्ष की आर्थिक स्थितियों के बारे में बताया गया है। नरेन्द्र मोदी की सरकार में संसद में 8 फरवरी 2024 को वर्तमान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा shvet patra पेश किया गया| इसके द्वारा मनमोहन सरकार और नरेन्द्र मोदी के समय आर्थिक स्थिति की तुलना करना है|
श्वेत पत्र का इतिहास I history of shvet patra
विश्व में सबसे पहला श्वेत पत्र ब्रिटेन में लाया गया था| फिर भारत में भी लाया गया इसके साथ साथ व्यापारियों ने भी श्वेत पत्र लाया, आइये जानते है श्वेत पत्र का इतिहास :- ब्रिटेन के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने 1922 में फिलिस्तीन मामलो के लिए पहला श्वेत पत्र पेश किये| इसके द्वारा ब्रिटिश सरकार ने फिलिस्तीन के भविष्य पर अपनी निति बनाई| जब भारत गुलाम था उस समय 1935 में साइमन कमीशन की रिपोर्ट पर ‘संवैधानिक सुधारो का श्वेत पत्र’ पेश किया गया था|
साइमन कमीशन का काम ब्रिटिश भारत में संवैधानिक सुधारो पर रिपोर्ट देना था,इसका विरोध होने के बाद भी साइमन कमीशन ने अपना काम पूरा किया| मार्च 1933 में इसे लागु करने के लिए श्वेत पत्र जारी हुआ| फिर भारत के आजाद होने के बाद रियासतों और प्रान्तों के भारत में विलय होने के लिए 5 जुलाई 1948 को राज्य मंत्रालय द्वारा जरी हुआ| इसके अनुसार सभी रियासतों और प्रान्तों को भारत में शामिल किया जाना था| इसके बाद देश के सबसे पहले बजट में भी श्वेत पत्र लाया गया था|
सबसे पहले 28 फरवरी 1950 को republic Bharat का बजट पेश किया गया था| इसे उस समय के वित्त मंत्री जान मथाई ने पेश किया था| जिसमे आर्थिक विकास की जानकारियां थी| मथाई ने कहा था की इसमें सभी सांसदों को बजट की पूरी जानकारी मिलेगी जो बजट को समझने में मदद करेगा| व्यापर में भी श्वेत पत्र लाया गया, 1990 के दशक में बड़ी-बड़ी कंपनिया श्वेत पत्र का उपयोग करने लगी| श्वेत पत्र किसी कंपनी में इसलिए लाया जाता है जिससे की उसकी समस्या को हल करके कैसे उत्पादकता को बेहतर किया जा सके| इसी क्रम में मोदी सरकार ने सबसे पहले अपने कार्यकाल में श्वेत पत्र 2014 में रेलवे के लिए लाया गया था|
मोदी सरकार का श्वेत पत्र 2024 I shvet patra of modi sarkar 2024
2024 से पहले मोदी की सरकार ने 2014 में रेलवे के लिए श्वेत पत्र लाया था| अब 2024 में 2004 से 2014 के बिच UPA शासन के समय कैसे आर्थिक नुकसान हुए उसका कैसे दुरूपयोग किया गया इसके लिए श्वेत पत्र लेन जा रही है| इसके तहत यह बताया जायेगा की कैसे मोदी की सरकार आने से पहले उन 10 वर्षो में आर्थिक हालात कैसे ख़राब हुए थे,कैसे विकास बाधित हुई थी आदि इन सभी के बारे में बताया जायेगा|
और कैसे मोदी की सरकार आने के बाद देश की आर्थिक स्थिति सुधरी और देश आर्थिक क्षेत्र में कैसे आगे बढ़ रहा है और कैसे आर्थिक का सहि उपयोग कर रही है इसके बारे में भी बताया जायेगा| इसके तहत कैसे हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत हुई इसके बारे में भी जानकारियां दी जाएगी| इसके अलावा थोडा पीछे चलते है सन 2020 में भी एक श्वेत पत्र सूक्ष्म,लघु, और माध्यम उद्दयम मंत्रालय पर लाया गया था| इसे तकनिकी संस्कृति प्रबंधन और तकनिकी सेंटर सिस्टम प्रोग्राम पर जारी किया था|
श्वेत पत्र की क़ानूनी अहमियत I legal importance of the shvet patra
श्वेत पत्र एक रिपोर्ट होती है, जिसे वर्तमान सरकार द्वारा अपनी निति बताने के लिए जारी करती है| इसमें बहुत से तथ्य होते है, परन्तु इसकी कोई क़ानूनी अहमियत नहीं होती है| श्वेत पत्रों के तथ्यों और आरोपों अगर कोई जाँच हो या कोई योग बने तब उनका क़ानूनी आधार होता है|
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केंद्र सरकार के द्वारा UPA की सरकार में महंगाई औसतन 8% से ऊपर थी| वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने श्वेत पत्र पेश किया जिनके अनुसार 2004-2014 के बिच सालाना औसत महंगाई दर 8.2% रही थी| 2004 में यह 3.9% था जो 2010 में 12.3% के उच्चतम स्टार पर पहुँच गयी थी और 2014 में 9.4% पर थी|सीतारमण ने कहा की NDA सरकार के सुधारो के कारन 2004-2008 के बिच इकॉनमी में तेजी से वृद्धि हुई|
UPA ने जब अपना कार्यकाल प्रारंभ किया तब देश की विकास दर 8% थी| और अब अटल जी के नेतृत्ववाली NDA सरकार ने कार्यभार संभाला तब सरकारी कंपनियों का फसा हुआ कर्ज का अनुपात 16% था और उसके बाद उनके पद छोड़ने के बाद यह 7.8% पर आ गया था| लेकिन सितम्बर 13 में UPA की नीतियों की वजह से यह फिर 12.3% तक चढ़ गया था| मार्च 2004 में सरकारी बैंको का डूबा हुआ कर्ज 6.6 लाख करोड़ था, जो मार्च 2012 में 39 लाख करोड़ पहुँच गया था|
UPA की सरकार में बाह्य वाणिज्यिक उधारी सालाना 21.1% दर से बढ़ गया था,तो हमारी अर्थव्यवस्था कमजोर हो गया था| 2011 से 2013 के बिच रूपया 36% तक गिरा जबकि 2014-2023 के बिच NDAके कार्यकाल में 4.5% की दर से से बढ़| UPA सरकार में विदेशी मुद्रा भंडार जुलाई 2011 के 294 अरब डॉलर से घटकर अगस्त 2013 में 256 अरब डॉलर पर सिमट गया था| राजस्व घाटा वित्त वर्ष 2008 में GDP के 1.07% से 4 गुना से ज्यादा बढ़कर 2009 में 4.6% बढ़ गया था|
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