Bharat Agni Baan Launch || भारत के राकेट टेक्नोलॉजी अग्नि बाण
Bharat Agni Baan Launch : भारत विश्व का सबसे तेजी से बड़ते अर्थ व्यवस्था बन चूका है न केवल चीन बल्कि अमेरिका भी भारत की रफ्तार से पिछे हो गया है | भारत आज हर क्षेत्र में अपनी काबिलियत दिखा रहा है भारत की बडती ताकत ने दुनिया को हैरान कर दिया है इतना है नही भारत ने अपने technology इस इस्तर पर पंहुचा लिया है कि सभी देश भारत की तरफ देख रहे है और आसा कर करे है कि भारत अपने इस एडवास तकनीक को आफर करेगा |
भारत की कामयाबी देख कर अमेरिका और चीन ये समझ नही पारहे है कि उन्होंने भारत को कमजोर समझने का कोशिश कैसे कर दिया | अब वे भारत के साथ जुड़ कर उस तकनीक को समझना चाहते है जिसमे उन्हें आज तक समझ हासिल नही हो सकी है |
आज हम भारत के उस तकनीक के बारे में बात करेंगे की जिसे पुरे दुनिया को हैरान कर दिया है कि जिसे चीन और अमेरिका जैसे देश भी इजाद नही कर पाए है |
एक दसक पहले तक भारत में अंतरिक्ष प्रोग्राम के लिए सिर्फ एक ही संस्था थी ISRO शुरुआत से लेकर आज तक ISRO स्पेस मिसन को लेकर कई ऐसे कामयाबी अपने नाम किया है जिसका मुकाबला कोई दूसरी देशी इपेस एजेंसिया नही कर पाया है | लेकिन स्पेस सेक्टर में अमेरिका जैसे देश जिस तरह अपने यहाँ के प्राइवेट सेक्टर के कंपनियों को मौका दे रहे है उसे देखते हुए भारत सरकार ने भी निजी कंपनियों के लिए स्पेस एक्स सेक्टर में प्रवेश करने का दरवाजा खोल दिया है |
इसी का नतीजा है कि आज भारत में private sector के 47 ऐसे Startup काम कर रहे है जो भारत को Space Sector के क्षेत्र में काफी आगे ले जाया जा रहे है | निजी भागीदारी से ISRO को काफी आधिक मदत मिली है जहा वो पहले अपनी जरुरत के लिए दुसरे देशो पर निर्भर रहते है वही आज इन Startup अपनी जरुरतो को पूरा कर रहा है |
इनमे से दो Startup सबसे टॉप पर चल रहा है ये भारत में स्वदेशी Technology को विकशित करने इतने आगे आ चुके है पुरे दुनिया में इन दोनों Startup का नाम लिया जा रहा है इन Startups के नाम है स्काईरूट और अग्निकुल कॉसमॉस | इसमें हम अग्निकुल कॉसमॉस के बारे में बात करेंगे जिसकी तुलना Elon Musk के SpaceX से की जा रही है |
अग्निकुल कॉसमॉस द्वारा विकसित की गयी एक ऐसे तकनीक ने पुरे दुनिया में तहलका मचा दिया है अग्निकुल कासमॉस ने अपने नाम के मुताबिक Technology Word में एक ऐसी आग लगा दिया है कि दुनिया के ऐसी हर एक Space agencies इसकी तारीफ कर रहे है साथ ही इसने भारत को Space Sector का सबसे बड़ा खिलाडी बना दिया है |
अग्निकिल कॉसमॉस private sector की space कंपनी है इसका ऑफिस IIT MADRAS में है इसकी स्थापना साल 2017 में की गई थी | इसे श्रीनाथ रविचन्द्र ,मोईन SPM और आई. आई. टी मद्रास के प्रोफेसर SR चक्रवर्ती द्वारा स्थापित किया गया था | ये आय दिन कुछ न कुछ काम करता रहता है जिससे भारत का कद ऊचा उठता रहता है इसी क्रम में अग्निकुल कासमॉस ने दुनिया का पहला सिंगल पिक 3D प्रिंटेड राकेट इंजन बनाया है जिसका मतलब ये है कि इसे एक ही सॉर्ट में बनाया गया है ये अलग अलग पार्ट में नही बटेगा इस सिंगल पिस रॉकेट का नाम है अग्नि लेट |
आपको जान कर हैरानी होगी की अमेरिका ,रुष,चीन जैसे देश इतने Advance तकनीक का इस्तिमाल करते है वे भी सिंगल पिस पिस 3D प्रिंटेड रोकड़ इंजन विकशित नही कर पाए है लेकिन भारत ने इस क्षेत्र में सबसे पहले कामयाबी हासिल किया है ये space technology के क्षेत्र में भारत के लिए बहुत बड़ी सफलता है जो space sector में भारत के सुनहरे भविष्य की ओर इशारा करता है |
यह कामयाबी भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है किसी भी मशीनरी का इंजन एक तरह से उसके दिल का काम करता है | ठीक उसी तरह राकेट का इंजन भी उसके दिल होता है इसके बिना किसी भी राकेट लोंचिंग नही किया जा सकता है जिस राकेट का इंजन जितना मजबूत होता है वो राकेट उतना ही शक्तिशाली होगा | राकेट के इंजन अगर कमजोर होते है तो उसकी बौडी भी कुछ काम का नही होता है इस इंजन को बनाने के लिए कई सारे पार्ट बनाये जाते है |इन्हें बहुत ध्यान से और मेहनत से बनाया जताता है जब ये पार्टस बन कर तैयार हो जाते है तो इन पार्ट्स को असेम्बल किया जाता है |
जिसके बाद इंजन बन कर तैयार होता है लेकिन राकेट के ये पार्ट्स आसानी से भी तैयार नही होते है इसके हर पार्ट्स को बनाने में कितना मेहनत लगता है इसका हम और आप अंदाजा भी नही लगा सकते है | जब ये सरे पार्ट्स बन कर तैयार हो जाते है तो उन्हें भी बहुत बारीकी से विश्लेषण कर के उसमे फिट किया जाता है जैसे कि इग्नाइटर्स फ्यूल को इंजेक्ट करने के लिए इंजेक्टर इंजन को ठंडा करने के लिए कुलिंग चैनल ऐसे कई सारे पार्ट्स होते है जिन्हें राकेट के इंजन को तैयार करने के लिए बनाया जाता है |
लेकिन भारत जिस तकनीक के आधार पर इस अग्नि लेट को तैयार कर चूका है उसमे इन सभी कोम्पोनेंट को एक ही हार्ड वेयर में तैयार किया गया है इससे वैज्ञानिको को ये सुविधा हुयी कि दुसरे राकेट के इंजन को बनने में लगने वाला समय , पैसा और असेम्बल करने में लगने वाला समय सभी में काफी बचत हुआ | ये बहुत ही कम समय और बहुत ही कम पैसे में बन कर तैयार हो गया साथ ही इस इंजन की न्यू मर्स पार्ट को Manufacture करने और ट्रक करने में लगने वाला समय पुरे तरह से ख़त्म हो गया |
अगर हम भारत के राकेट के टेक्नोलॉजी के बारे में बात करे तो शुरूआती दौर में भारत को एक राकेट बनाने के लिए बहुत समय लगता था | क्युकी उसके आधे से जादा पार्ट्स भारत के बहार से मगवया जाता था भारत अमेरिका ,रुष और फ्रांस जैसे देशो से इन रोकेट पार्ट्स को मगा कर उन्हें पूरा करता था इसमें समय तो लगता ही था साथ ही साथ इसमें पैसा भी बहुत लगता था |
लेकिन इन सब में जो सबसे बड़ी समस्या थी वो भारत सरकार से पैसो को लेकर मिलने वाली मंजूरी थी | भारत से मंजूरी मिलने में महीनो लग जाते थे लेकिन बदलते समय के साथ चीजो और नियम सब बदल गये भारत अब दुसरे देशो से तकनीक नही मागता है आज वो खुद के तकनीक के दम पर अग्नि लेट जैसे तकनीक को विकशित कर चूका है |
अग्नि लेट हमारे भारत का ही तकनीक है इसके किसी भी हिस्से को दुसरे देश से नही मगवाया गया है इस राकेट इंजन की सबसे बड़ी बात यह है कि इसे राकेट में फिट करना सबसे जादा आसान है |इतना ही नही ये अब तक के बनाये राकेट के सबसे हल्का इंजन भी है 2021 में ISRO ने इस राकेट इंजन को निरिक्षण भी किया था जो पूरी तरीके से सफल रहा था |
अग्नि कुल कॉसमॉस के मुख्य कार्यकर्ता श्री नाथ रवि चन्द्र ने बताया है कि राकेट इफेक्टिव तो है ही इसमें गलती के लिए कोई जगह नही है | श्रीनाथ रविचद्रन का कहना है कि ये तकनीक ऐसी है कि इसे आसानी से राकेट में फिट किया जा सकता है | इसके लिए किसी आसेबलिग की जरुरत नही है | उन्होंने बताया कि किसी अग्निलेट को कंपनी के राकेट, अग्निबाण के लिए बनाया गया है |
अग्नि बाण
Bharat Agni Baan Launch : अग्नि बाण एक customize टू स्टेज लोंचर विकल है ये लांच विकल 100 कि. ग्रा. तक सेटल लेट्स को पृथ्वी के निचले कक्षा में स्थापित करने में सक्षम है इसमें Plug and play engine configuration का इस्तिमाल किया गया है अग्नि लेट अग्नि बाण का टू स्टेज इंजन है इसके पहले इंजन अग्नि नाईट का परिक्षण नही किया गया है अग्नि लेट हमारे भारत के लिए एक हथियार की तरह है साल 2021 में International Astronautical Congress ने इसे दुनिया के सामने लाया था |
जब ये तकनीक दुनिया के सामने आई तो पूरी दुनिया हैरान रह गया था दुनिया के ताकत वर देश इसे देख कर सोच में पड़ गये थे कि भारत जैसा विकाश सिल देश ऎसी तकनीक कैसे विकशित कर सकता है | कुछ महीने पहले ही अग्नि कुल कॉसमॉस ने इस कुछ महीने पहले ही अग्नि कुल कॉसमॉस ने इस 3D प्रिंटेड राकेट इंजन के डिज़ाइन और वी निर्माण की केंद्र सरकार से पेटेंट हासिल कर लिया है
दिगज कारोबारी आनंद महिंद्रा ने भी अपने इस कंपनी में निवेश किया है | इन लोगो के साथ सितारों की सवारी करना ,मुझे इस प्रतिभाशाली और महत्वाकाक्षी टीम में एक निवेशक होने पर गर्व है | इसे बहुत ही कास्ट इफेक्टिव बताया जा रहा है |
अग्नि कुल कॉसमॉस ने अभी तक 105 करोड़ की फंडिंग जुटाई है श्रीनाथ रविचंद्रन ने कहा था की वर्तमान में सुविधावो को देखते हुए हम हर हफ्ते स्क्रफ से दो राकेट बनाने की क्षमता रखते है स्पेस टेक्नोलॉजी से जुडी स्टार्टअप भरता में पहली राकेट इंजन फैक्ट्री Establish किया है ये भारत की पहली ऐसी Rocket engine factory है जिसमे 3D प्रिंटेड राकेट इंजनो का निर्माण किया जायेगा इस फैक्ट्री को राकेट फैक्ट्री वन का नाम दिया गया है |
2 भारत के दुसरे सबसे बाद स्टार्टअप सकाईरूट एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड भारत के पहले राकेट विक्रम वन के इंजन को परिक्षण के आहम पड़ाव कामयाबी के साथ पार कर लिया विक्रम वन के तीसरे स्टेज का सफल परिक्षण नाग पुर में किया गया | विक्रम वन को इस साल लोंच कर दिया है इसके साथ ही इंडियन स्पेस साइंस के क्षेत्र में एक प्राइवेट खिलाडी पुरे दम के साथ तैयार दिख रहा है
विक्रम वन एक छोटा लोंच वियेकल है जो 225 कि.ग्रा. फेलोड को अन्तरिक्ष में 500 कि.मी. की उचाई तक लोंच कर सकेगा इसका उद्देश्य छोटे सेटल लाईट को लोंच करना है |
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