Kaushalya Mata mandir | कौशल्या माता मंदिर चंखुरी आरंग
प्रभु श्रीराम माता सीता और लक्षमण के तट महानदी के तट पर बसी प्राचीन नगरी श्रीरपुर होते हुए चन्द्र पूरी पहुचे | महानदी तट पर स्थित आरंग में कौशल्या कुंड एवं प्राचीन बागेश्वर शिव मंदिर है| चंद्रवंशी राजाओं के नाम से चन्द्रखुरी कहलवाने वाला ग्राम चंदखुरी छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 27 किलोमीटर दूर स्थित है |
इस गाव में कुल 126 तालाब स्थित है और इसी में से एक तालाब जलसेन तालाब के बिच में भारत क एक मात्र Kaushalya Mata mandir स्थित है | इस मंदिर में माता कौशल्या का अपने पुत्र रामचन्द्र जी को गोद में लिए हुए एक अद्भुत प्रतिमा विद्यमान है | जो इस मंदिर को दुर्लभ ओर आकर्षक बनाती है | ओर इसी कर्ण से ही छत्तीसगढ़ को प्रभु श्रीराम जी क नैनिहाल भी माना जाता है |
छत्तीसगढ़ प्राकृतिक सुन्दरता , जनजातीय संस्कृति , कला – परम्परा और पर्यटन की दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण और समृद्ध राज्य है | पौराणिक , एतिहासिक और पुरातात्विक दृष्टिकोण से छत्तीसगढ़ राज्य की बहुमूल्य धरिहार आज भी अपने एश्वर्य के साथ खड़ा है |
राम वनगमन पर्यटन परिपथ को विक्सित करने का उद्देश्य हमारी भावी पीढ़ी के द्वारा ओर देश विदेश के पर्यटकों को छत्तीसगढ़ के पौराणिक और पुरातन इतिहास से परिचित कराने के साथ ही छत्तीसगढ़ भ्रमण के दौरान उच्च स्तरीय सुविधा भी प्रदान करना है
एतिहासिकता
मर्यादा पुरसोत्तम श्री राम जी की माता कौशल्या के जन्म स्ताहन कोशल देश के बारे में रामायण में उल्लेख मिलता है , कोशल उत्तर ओर दक्षिण दो भागो में विभक्त है | दक्षिण कोशल ही छत्तीगढ़ है जिसे दक्षिणा पथ के नाम से भी जाना जाणा जाता है | माता कौशल्या जी का जन्म स्थान छत्तीसगढ़ होने के कर्ण इसे प्रभु श्री राम जी किआ नैनिहाल माना जाता है | और उन्हें छत्तीसगढ़ में उन्हें भांजे के रूप में पूजा जाता है |
पुरातात्विक दृष्टि से इस मंदिर के अवशेषो के अवलोकन से यह मंदिर सोमवंशी कालीन आठवी नौवी सकदी का माना जाता है | जलसेन तालाब के आगे कुछ दुरी पर समकालीन पाराचिन शिव मंदिर के भग्नावशेष अपनी प्राचीनता को सिद्ध करता है | माता कौशल्य्ता जी क यह मंदिर जलसेन तालाब के मध्य में स्थित है |
और इस मंदीर तक जाने के लिए सेतु क निर्माण किया गया है | यह तालाब लगभग 16 के क्षेत्र में फैला हुआ है | तालाब के चारो ओर की प्राकृतिक सुन्दरता इस मंदिर की रमणीयता को और भी बढाती है | इस मंदिर के गर्भ गृह में वात्सल्य मय माता कौशल्या की गोद में बालरूप में भगवान श्री राम जी की प्रतिमा भक्तो का मन मोह लेती है | चंखुरी सैकड़ो वर्ष पूर्व तक चन्द्रपुरी के नाम से जाना जाता था | कालान्तर में यह स्थान चन्द्रपुरी से चन्द्रखुरी हो गया | जलसेन तालाब की यह कहावत है की यह इस क्षेत्र क सबसे बड़ा तालाब है | इसके चरो ओर छह कोरी अर्थात 126 तालाब होने की जनश्रुति मिलती है |
पौराणिकता
‘ ततो कोशल राजा भानुमनतम समुद्ध्रितम ’
युवराज दशरथ के राज्यभिषेक समाहरोह में कोसल राजा श्री भानुमंत को भी अयोध्या आमंत्रित किया गया था और इस अवसर पर युवराज द्वारा राजकुमारी भानुमती जो अपने माता पिता के साथ अयोध्या गयी थी उनकी सुन्दरता से मुग्ध होकर भानुमत की पुत्री से विवाह का प्रस्ताव् रखा गया | विवाह उपरांत परम्परा अनुसार कोसल की राज्दुहिता होने के कारण राजकुमारी भानुमती को कौशल्या नाम मिला | रानी कौशल्या की कोख से प्रभु श्री राम जी क जन्म हुआ |
कोसल प्रदेश का बाद में दो भागो में विभाजन हुआ उत्तर कोसल या इसी को अवध क्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है और दक्षिण कोसल जो छत्तीसगढ़ कहलाया | इस प्रकार माता कैशाल्या का सम्बन्ध कोशल से होने के कारन भगवान श्री राम जी की जननी वात्सल्य मयी कौशल्या माता मंदिर छत्तीसगढ़ की हृदय स्थल आरंग की पान भूमि के अन्त्र्गर आने वाले विकासखंड के ग्राम चंखुरी में निर्मित किया गया |
कहा जाता है की कोसल नरेश भानुमत की पुत्री एवं उत्तराधिकारी होने कारन दक्षिण कोसल श्री राम जी को उत्तराधिकार में प्राप्त हुआ था | पौराणिक कथाओ के अनुसार श्री राम जी ने अपनी माता से प्राप्त नैनिहाल दक्षिण कोसल राज्य अपने पुत्र कुश को सौप दिया था | इस प्रकार छत्तीसगढ़ का पौराणिक सम्बन्ध रामयांकालीन से है |
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