chhattisgarh raajim mahashivratri : छत्तीसगढ़ का दार्शनिक स्थल राजिम महाशिवरात्रि जाने यहाँ क्या है ख़ास

 chhattisgarh raajim mahashivratri || राजिम दार्शनिक स्थल

सोंढूर – पैरि – महानदी संगम के पूर्व में बसा raajim अत्यंत प्राचीन समय से छत्तीगढ़ क एक प्रमुख सांस्कृतिक केंद्र रहा है दक्षिण कौशल के नाम से प्रसिद्ध क्षेत्र प्राचीन सभ्यता , संस्कृति एवं कला के अमूल्य निधि संजोये इतिहासकारों , पुरातत्वविदों ओर क्लानुरागियो के लिए आकर्षण क केंद्र बना हा है | रायपुर से दक्षिण – पूर्व की दिशा में 45 किलोमीटर दूर देवभोग जाने वाली सडक पर यह स्थित है |

श्राद्ध , दर्पण ,पूर्वस्नान , दान आदि धार्मिक कार्य के लिए इसकी सार्वजानिक महत्ता आंचलिक लोगो की परम्परागत आस्था श्रद्धा एवं विश्वास की स्वाभाविक परिणिति के रूप में सध्य: प्रावाह्मान है |क्षेत्रीय लोग इस सनगम को प्रयाग सनगम के सामान ही पवित्र मानते है | इनका विश्वास है की यहाँ स्नान मात्र से मनाव के समस्त कल्मष नष्ट हो जाते है | तथा मरने के बाद वह विष्णु लोक प्राप्त करता है |यहाँ क सबसे बड़ा पर्व महाशिवरात्रि है | इस पर्व क आयोजन माघ मास के पोर्णिमा से प्रारम्भ होकर फाल्गुन मास की महाशिवरात्रि तक चलता है |

इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के कोने कोने से लोह यहाँ पर घुमने आते है | ओर इस सनगम में स्नान करते है |ओर लोग यहाँ पर इस संगम में स्नान करके भगवान् राजीवलोचन एवं कुलेश्वर महादेव क दर्शन करते है क्षेत्रीय लोगो की मान्यता है की जगन्नाथ पूरी की यात्रा तब तक पूरी नही होती जब तक राजिम की यात्रा नही कर लेता |

राजीवलोचन मंदिर 
राजीवलोचन मंदिर

राजिम के देवालय 

राजिम देवालय एतिहासिक ओर पुरातात्विक दोनों ही तरह से महत्वपूर्ण है| इन्हें हम इनकी स्थिति के आधार पर अधोलिखित चार वर्गों में विभक्त कर सकते है –

  1. पश्चिम समूह : कुलेश्वर (9वी सदी) , पंचेश्वर (9वी सदी) , तथा भूतेश्वर महादेव (14वी सदी ) के मंदिर |
  2. मध्य समूह : राजीवलोचन (7वी सदी), वामन , वराह , नृसिंह , बद्रीनाथ , जगन्नाथ , राजेश्वर एवं राजिम तेलिन मंदिर |
  3. पूर्वी समूह : रामचंद्र क मंदिर (8वी सदी)
  4. उत्तरी समूह : सोमेश्वर महादेव का मंदिर |

नलवंशी नरेश बिलास्तुंग के राजिव लोचन मंदिर अभिलेख के आधार पर अधिकांश विद्वान ने राजिव लोचन मंदिर को 7 वी सदी में निर्मित माना जाता है | इस मंदिर के विशाल प्रकोष्ठ के चारो ओर अंतिम कोने पर बने वामन , वाराह , नृसिंह तथा बद्रीनाथ में मंदिर स्वतन्त्र वास्तु रूप के उदाहरन नही माने जाते है | ये मुख्य मंदिर के अनुसंगी मंदिर है  | राजिम के देवालय सामान्यत : 7वी , 8वी ओर 14 शताब्दी के बने माने जा सकते है |

भगवान् राजीवलोचन
भगवान् राजीवलोचन
  1. राजीवलोचन मंदिर

एक विशाल आयताकार प्रकोष्ठ के मध्य में बनाया गया है | भू-विन्यास योजना में राजिव लोचन का मंदिर – महामंड़प , अंतराल , गर्भगृह ओर पर्द्क्षिणा – पथ इन चार विशिस्ट अंगो विभक्त है |

  1. महामंड़प

नागर प्रकार के प्राचीन मंदिर में महामंड़प भित्तिसत्म्भो क सम्मुख भाग राजीवलोचन मंदिर के मंडप के भित्तिसत्म्भो की भाति ही विविध विषयों की पुर्नाम्नुश्कार की मूर्तियों से मंडित है | दायी ओर की पार्श्व भित्ति पर के पहले भित्ति – स्तम्भ पर मकर वाहिनी गंगा की प्रतिमा है | दुसरे पर एक राजपुरुष की मूर्ति है | तीसरे पर अष्ट भीजी गणेश की मूर्ति है |

  1. पंचेस्वर महादेव

यह रामचंद्र मंदिर की भांति ईंटो क बना हुआ है | यह मंदिर नदी के तट पर बनाया गया है | तथा  पश्चिमाभिमुखी है | वर्तमान में इस मंदिर का केवल विमान ही शेष है |ओर वह भी अत्यधिक जीर्ण – शीर्ण अवस्था में है |

  1. राजिम तेलिन मंदिर 

इस मंदिर क वस्तिशिल्प पंचेश्वर तथा भूतेश्वर मंदिर के वास्तिशिल्प से समरूपता रखता है | यह मंदिर राजेश्वर तथा दानेश्वर मंदिर के पीछे स्थित है | वर्तमान में इस मंदिर का विमान प्राचीन निर्मित्त क प्रतिनिधित्व करता है |

  1. भूतेश्वर महादेव मंदिर

यह मंदिर नदी के तट पर पंचेश्वर महादेव मंदिर के पास स्थित है | यह भी ऊँची जगती पर स्थापित किया गया है | यह मंदिर भू – विन्यास में यहाँ के अंत पूर्ण मंदिरों की तरह महामंड़प , अंतराल ओर गर्भगृह से युक्त है | विमान नागर प्रकार का है | तथा कलचुरी कालीन मंदिर वास्तु की परम्परा में बनाया गया है |

  1. जगन्नाथ मंदिर 

राजिव लोचन मंदिर के प्रकार के उत्तरी – पश्चमी कोने पर बने नृसिंह मंदिर के उत्तरी बाजू में परिसर से बाहर यह मंदिर बना हुआ है | इस पुर्व्भिमुख मंदिर क अंग है :- महामंडप , अंतराल , गर्भगृह ओर पर्द्क्षिना पथ | भू – विन्यास योजना में ये चार प्रमुख अंग है |

  1. सोमेश्वर महादेव मंदिर

यं मंदिर राजिम के वर्तमान बस्ती के ऊपर में थोडी दुरी पर नदी के तट से हटकर स्थित है | स्थापत्य की दृष्टि से यह अपेक्षाकृत अल्प महत्वपूर्ण है तथा वर्तमान रूप में बहुत बाद की कृति प्रतीत होती है |

सोंढूर – पैरि – महानदी संगम
सोंढूर – पैरि – महानदी संगम

आवास व्यवथा 

यहा पर छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल का 6 कमरे क पुन्नी रिसोर्ट एवं PWD क विश्राम गृह संचालित है | अधिक आरामदायक सुविशा के लिए रायपुर में भिन्न पराक्र के होटल उपलब्ध है |

 

कैसे पहुंचे

  • वायु मार्ग – रायपुर (45 किलोमीटर ) निकटतम हवाई अड्डा है तथा मुंबई , दिल्ली , नागपुर , हैदराबाद , बेंगलुरु , कोलकाता , विशाखापत्तनम एवं चेन्नई से जुदा है |
  • रेल मार्ग – रायपुर निकतम रेलवे स्टेशन है तथा यहाँ हावड़ा – मुंबई मुख्य रेल मार्ग स्थित है |
  • सडक मार्ग – राजिम नियमित बस तथा टैक्सी सेवा से रायपुर तथा महासमुंद से जुडा हुआ है |

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