September 8, 2024
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Chhattisgarh Lok Natak : छतीसगढ़ी लोक नाटय के बारे में पूरी और अच्छी जानकरी देखे

Chhattisgarh Lok Natak : छतीसगढ़ी लोक नाटय के बारे में पूरी और अच्छी जानकरी देखे
Chhattisgarh Lok Natak : छतीसगढ़ी लोक नाटय के बारे में पूरी और अच्छी जानकरी देखे

Chhattisgarh Lok Natak  || छतीसगढ़ी लोक नाटय

छत्तीसगढ़ के प्रमुख लोक नाटय 

Chhattisgarh Lok Natak में नृत्य , गान व अभिनय का समावेश होता है , जो सामन्य समारोह के रूप में या कुछ स्थानीय कुरूतियो को प्रकाश में लाने के उद्देश्य से एक नाटय मंच के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है | छत्तीसगढ़ के प्रमुख लोकनाट्य का विवरण इस प्रकार है –

छत्तीसगढ़ के प्रमुख लोक नाटय 
छत्तीसगढ़ के प्रमुख लोक नाटय
  1. नाचा 

नाचा छत्तीसगढ़ का प्रचलित लोकनाट्य है नाचा ग्रामीण अंचल में सर्वव्याप्त है | इसका प्राचीन नाम पेखन है नाचा एक प्रकार से नृत्य से सम्बंधित है | और पेखन प्रेक्षण से बना है |नाचा पेखन का अर्थ नित्यनाट से है | इसके कई अन्य नाम भी है जैसे छैला पार्टी या छैला नृत्य यह मराठा काल में प्रारम्भ हुआ था जो नाचा कहलाता है |

छत्तीसगढ़ नाचा के दो प्रमुख अंग गीत और गम्मत है | यह मूलतः पुरुषो के द्वारा किया जाता है लेकिन अब महिलाये भी इसमें भाग लेती है नाचा में जो पुरुष महिला की भूमिका निभाती है उसे नाचा कहते है | नाचा में कही कही देवर जाति की महिलाये भी भाग लेती है | इस विधा में जोकर और परी की विशेष भूमिका होती है |

इसमें नर्तको की विशेष भूमिका होती है | छत्तीसगढ़ नाचा में प्रमुख वाध्ययंत्र मोहरी , दफ़ला , डमरू , निसान , मंजीरा इत्यादि का प्रयोग किया जाता है | इसका आयोजन गाव के चौपाल , मैदान , चौक – चौराहों में किया जाता है | इसका आयोजन मंडई महोत्सव , विवाह उत्सव , दशहरा एवं अन्य ख़ुशी के अवसर पर किया जाता है | इसके विषय प्रहसन , व्यंग्य , नाचा के मुख्य अवयव है |

नाचा के माध्यम से सामजिक दोष , समाज में व्याप्त बुराइयों , ढोंग . इत्यादि को समाप्त करने का माध्यम है |इसके पितामाह दुलार सिंह मंदराजी है | छत्तीसगढ़ की प्रथम नाचा पार्टी रवेली नाचा पार्टी है | जिसके संस्थापक दाऊ दुलार सिंह मंदराजी है | इन्हें नाचा का पित्माह कहा जाता है | इनका निधन 24 सितम्बर 1984 को हुआ | इसकी स्थापना रवेली नाचा पार्टी 1928 – 29 में हुयी थी |

प्रमुख लोकनाट्य कलाकार

1.दुलार सिंह मंदराजी 

इन्हें छत्तीसगढ़ नाचा के भीष्म पितामह कहा जाता है | इन्हें छत्तीसगढ़ नाचा का प्रवर्तक और पुरोधा खा जाता है |इनका जन्म 1 अप्रैल 1910 को हुआ | ये महाशय संपन्न ज़मीदार परिवार में जन्मे थे |इनका जन्म स्थान रवेली ग्राम है जो दुर्ग जिले में स्थित है |इनका निधन 24 सितम्बर 1984  को हुआ था | इन्होने रवेली नाचा पार्टी के नाम से अपनी नाचा पार्टी शुरू की | इन्होने अपनी पहले नाचा पार्टी की स्थापना 1928-29  में किया था | इन्होने अपनी प्रस्तुति रायपुर , दुर्ग , अंबिकापुर , रायगढ़ , टाटानगर , राजनांदगाव में किया है |

2.दाऊमान सिंह चंद्राकर

इन्हें छत्तीसगढ़ लोककला के पुजारि के रूप में सम्मानित किया गया है | इनका जन्म 1917 में हुआ था इनका निवाश स्थान आमदी में हुआ है | जो जिला दुर्ग में स्थित है , ये सोनहा बिहान के संस्थापक है इन्होने नरेन्द्र देव वर्मा की रचना सुभ की तलाश पर सोनहा बिहान नामक नाटक का मंचन किया | लोक कलाकार केदार यादव , ममता चंद्राकर , कुलेश्वर ताम्रकर इस मंच की देन है |

3.दाऊ रामचंद्र देशमुख 

इन्हें छत्तीसगढ़ लोककला के उद्धारक की उपाधि से सम्मानित किया जाता है | उनका जन्म 1916 में हुआ है और उनका निधन 1998 में हुआ था | ये महाशय बघेला ग्राम दुर्ग के निवासी थे | इन्होने 1951 में देहाती कला मंच का गठन किया , 1971  चंदैनी गोंदा नाचा पार्टी का गठन , इहोने 1984 में प्रसिद्ध साहित्यकार पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी की कहानी कारी को अभिनायित किया था |

4.हबीब तनवीर 

  • जन्म – 1923 रायपुर में
  • निधन – 2009 भोपाल में
  • निवासी – रायपुर
  • बचपन का नाम – अबीब अहमद खान
  • स्थापना – हिंदुस्तान थियेटर दिल्ली

नया थियेटर रायपुर

  • मंचन \ नाटय – चरनदास चोर (1975) , आगरा बाज़ार (1954) , माटी के गाडी
  • प्राप्त पुरस्कार – पद्मश्री (1983) , पद्मभूषण (2002)

ये छत्तीगढ़ के प्रसिद्ध रंगमंच कर्मी है |इन्होने नाचा को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुचाया है | बचपन से से इनकी कविता लिखने बहुत रूचि है | इन्होने 1945  में आकाशवाणी केंद्र में काम किया है |

5.गोविन्द निर्मलकर

  • जन्म – 1935
  • निधन – 2014
  • अभिनय – मिर्ज़ा सोहरत बेगम (1960) , बहादुर कलारिन (1978)
  • प्राप्त सम्मान – पद्मश्री (2009)
  • विशेष – इनकी बाल्यकाल से ही नाचा के प्रति इंतनी अधिक लगन थी की 20 वर्ष की आयु में ही उन्होंने अपने पैरो में घुँघरू बांधकर अपने गुरु मदन निषाद के नेतृत्व में नाचा के कलाकार बने |

 

छत्तीसगढ़ के प्रमुख नाचा पार्टी : नाचा से सम्बन्धित संस्थान  

  1. रवेली नाचा पार्टी(1928-29) – दुलार सिंह मंदराजी
  2. छत्तीसगढ़ देहाती कला मंच (1951) – रामचंद्र देशमुख
  3. हिंदुस्तान थियेटर(1954) , नया थियेटर (1959) – हबीब तनवीर
  4. चंदैनी गोंदा नाचा पार्टी (1971) – दाऊ रामचंद्र देशमुख
  5. सोनहा बिहान – दाऊ महासिंह चंद्राकर
  6. चिन्हारी नाचा पार्टी – ममता चन्द्राकर
  7. मटेवा नाचा पार्टी – नाईकदास एवं झुमुकदास

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