guru ghasidas baba | गुरु घासीदास
guru ghasidas baba : संत शिरोमणि गुरू घासीदास जी छत्तीसगढ़ के एक महान संत थे जिन्होंने छत्तीसगढ़ की धरती में जन्म लेकर छत्तीसगढ़ की धरती को पावन बना दिया | उन्होंने छत्तीसगढ़ को एक अलग पहचान दिलाई है | छत्तीसगढ़ के लोगो को सत्य के मार्ग पर ले जाने का एक महान कार्य किया | उन्होंने जात पात का भेदभाव मिटा कर एकता का सन्देश दिया | उन्होंने बुरइयो को त्यागने का सन्देश दिया लोगो के अन्दर सत्य निष्ठां का भाव जागृत किया |
संत शिरोमणि गुरुघासीदास जी (sant guru ghasidas baba) भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के संत परम्परा में सबसे ऊपर माने जाते है | बाल्यकाल से गुरु घासीदास जी के मन वैराग्य का भाव जागृत हो गया था | हमारे भारतीय समाज में व्याप्त पशुबलि जैसे कई अन्य कुप्रथाओ का वे बचपन से ही विरोध कर रहे थे | सत्य से साक्षात्कार करना ही संत Guru Ghasidas जी का परम लक्ष्य था | गुरु घासीदास जी को छत्तीसगढ़ में सतनाम धर्म के संस्थापक के रूप में माना जाता है |

गुरु घासी दास जी का जीवन परिचय
guru ghasidas baba जी का जन्म 18 दिसंबर सन 1756 में हुआ था | गुरु घासीदास जी का जन्म छत्तीसगढ़ के गिरौदपुरी नामक स्थान में हुआ था जो पहले बालौदाबाजार जिले में स्थित था | बाबा जी के पिता जी का नाम श्री महंगूदास जी था तथा उनकी माता जी का नाम श्रीमती अमरौतिन बाई था | और गुरु घासीदास जी की धर्म पत्नी का नाम श्रीमती सफुरा देवी था | बाबा जी के 5 संताने थी गुरु अमरदास जी , गुरु बालकदास जी , गुरु अड़गाडिया दास जी , और माता सहोद्रा देवी जी | गुरु घासीदास जी का उत्तराधिकारी गुरु बालकदास जी को माना जाता है |
गुरु घासीदास जी (ghasidas baba born) का जन्म ऐसे समय में हुआ जब सम्पूर्ण समाज में छुआ – छुत उचनीच झूठ कपट फैला हुआ था | बाबा जी ने ऐसे समय समाज को आपसे भाई चारे एकता तथा समरसता का सन्देश लोगो को दिया | बाबा जी की सत्य के प्रति अटूट आस्था की वजह से ही इन्होने बचपन में ही कई चमत्कार किये जैसे – सांप के द्वारा काटे गये बालक को जीवित किया , जो बैल चल भी नहीं पा रहा था उसे चलाया आदि कई चमत्कार बाबा जी ने दिखाए है |
गुरु घासीदास जी (guru ghasidas photo) ने लोगो को सात्विक जीवन जीने को कहा उन्होंने न केवल सत्य के आराधन की बल्कि समाज में नई जागृति पैदा की और अपनी तपस्या से प्राप्त ज्ञान और शक्ति का प्रयोग उन्होंने ने लोगो के भलाई के लिए किया |
आत्मज्ञान की प्राप्ति
संत शिरोमणि परमपूज्य गुरु घासीदास जी (guru ghasidas photo) बचपन से ही सवेदनशील थे और संत्संग , चिंतन मनन तथा ध्यान में रहते थे | एक बार जब बाबा जी शांति की खोज में जगन्नाथपुरी जा रहे थे तो सारंगढ़ से वापस लौट आये और घर बार छोड़ कर सोनाखान के जंगल में स्थित छाता पहाड़ में औरा – धौरा पेड़ एवं तेंदू पेड़ के नीचे सत्यनाम की साधना शुरू कर दी | इस तरह कठोर तपश्या के पश्चात बाबा जी को सतनाम रूप आत्मज्ञान जी प्राप्ति हुयी |
गुरु घासीदास जी के मुख्य कार्य
guru ghasidas baba जी ने मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ राज्य के लोगो के लिए सतनाम का प्रचार किया घासीदास जी के बाद उनके पुत्रो ने के लिए सतनाम का प्रचार किया घासीदास जी के बाद उनके पुत्रो ने उनकी शिक्षा को लोगो तक पहुचाया | गुरु घासीदास जी ने गुरु घासीदास जी ने छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ में सतनामी सम्प्रदाय की स्थापना की इसलिए उन्हें सतनाम पंथ का संस्थापक भी माना जाता है |
गुरु घासीदास जी का समाज में एक नयी सोच और विचार उत्पन्न करने में बहुत बड़ा योगदान रहा है उन्होंने समाज में फैले छुआ छुट , उचनीच का भेद मिटाया लोगो को सत्य का सन्देश दिया | उन्होंने मूर्ति पूजा , पशु बलि जैसे कुप्रथा को ख़त्म करने में बहुत ही बड़ा योगदान दिया |

गुरु घासीदास जी के सिद्धांत
गुरु घासी दास जी ने लोगो को सात प्रमुख सिद्धांत दिए है जो निम्न प्रकार है –
- सत्य ही इश्वर है ( सतनाम को मानो )
- मूर्ति मूर्ति पूजा मत करो ( अंध विश्वास से दूर रहो )
- पर स्त्री को माता मानो ( नारी जाती का सम्मान करो )
- जीव ह्त्या मत करो
- नशा पान मत करो ( मानवीय चेतना को जागृत रखो )
- जाती – पाती के प्रपंच में मत पडो
- दोपहर में खेत में हाल मत चलाओ ( पशुओ पर दया करो )
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