सवरा जनजाति छत्तीसगढ़ | Savra Tribe Chhattisgarh
Savra Tribe Chhattisgarh : सवरा जनजाति छत्तीसगढ़ राज्य के एज बहुत ही मत्वपूर्ण जनजाति समुदाय है | यह पुरे छत्तीसगढ़ राज्य में मुख्य रूप से अपनी विशिष्टताओ के लिए प्रसिद्ध है | यह जनजाति छत्तीसगढ़ राज्य के कई जिलो में मुख्य रूप से निवास करती है | सवरा जनजाति मुख्य रूप से दंतेवाड़ा , सुकमा , कांकेर और बीजापुर जिले में पायी जाती है | यह क्षेत्र भी आदिवासी जनसँख्या से भरा हुआ है | यह क्षेत्र सवरा जनजाति का पारम्परिक स्थल है |
सवरा जनजाति का इतिहास
Savra Tribe छत्तीसगढ़ राज्य का बहुत ही महत्वपूर्ण जनजाति समुदाय है | यह छत्तीसगढ़ राज्य के कई अहम जिलो में निवास करती है | दन्त कथाओ के अनुसार भगवान् शिव ने पृथ्वी , नदी , समुद्र , पहाड़ , जंगल , पशु – पक्षी आदि जीवो के बनाने के बाद आदिवासियों की उत्त्पति की | इन्हें खेती जैसे कार्यो को सिखाने के लिए हल भी बनाये |
इसके पश्चात् Savra Tribe के पूर्वजो को जंगलो को काटकर खेती के लायक जमीन बनाने को कहा तथा अपने वाहन नंदी को वही पर छोड़कर हल में नंदी की जोड़ी बैल लेने के लिए भगवन शिव चले गये | सवरा जनजाति ने कुल्हाड़ी से जंगल को काटकर खेती के लायक मैदान बनाया | लेकिन इस कार्यं को करने में उन्हें बहुत ही जोर से भुख लगी उसने आसपास खाने की वस्तु खोजे लेकिन उन्हें कुछ भी नही मिला और उन्होंने नंदी को ही मारकर उसका मांस खा लिया |
भगवान् शिव वापस औते और खेती के लिए तैयार जमीन को देखकर बहुत ही प्रसन्न हुए और उन्हें तंत्र मन्त्र और जड़ी – बूटी का ज्ञान प्रदान किया | और इसके बाद भगवान् शिव अपने वाहन नंदी को खोजने लगे | और फिर भगवान् शिव ने मरे हुए नंदी को देख कर अत्यंत क्रोधित हुए और उन्होंने सवरो को श्राप दिया दिया की वे उनके वंशज भूखे ही रहेंगे | तब से गरीबी इनके साथ जुडी मानी जाती है |
सवरा जनजाति के उपजाति
सवरा जनजाति एक बहुत ही महत्वपूर्ण जनजातीय समुदायों में से एक मानी जाती है | यह जनजाति भारतीय आदिवासीआदिवासी समुदायों में से एक है | यह जनजाति छत्तीसगढ़ राज्य के अलावा ओड़िसा , झारखंड जैसे राज्यों में भी बड़ी संख्या में पायी जाती है | सवरा जनजाति की कई उपजाति भी होती है जो इस प्रकार है –
- संभाल – यह उपजाति मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ और झारखंड में पायी जाती है | संभाल उपजाति मुख्य रूप से अपनी पारंपरिक रीती रिवाजो और अनुष्ठाओ के लिए जानी जाती है |
- कोरवा – कोरवा उपजाति भी सवरा जनजाति का एक अंग है एक भाग है | यह उपजाति मुख्य रूप छत्तीसगढ़ राज्य में निवास करती है | ये लोग अपनी विशेष जीवनशैली और संस्कृति के लिए जानी जाती है |
सवरा जनजाति की बोली भाषा
सवरा जनजाति की बोली और भाषा उनके सामाजिक जीवन का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है | Savra Tribe की भाष को मुख्य रूप से सरवा भाष के रूप में जाना जाता है | यह भाष मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ , झारखंड और ओड़िसा के आदिवासी क्षेत्रो में बोली जाती है | सवरा भाषा द्रविड़िय भाषा परिवार की ही एक शाखा मानी जाती है |
सवरा जनजाति की खेती और कार्य
Savra Tribe के लोग अपनी आजीविका के लिए जंगली कंदमूल , महूआ , गुल्ली , चार , तेंदू , हर्रा , तेंदू पत्ता , सरई बीज आदि को उगाते और एकत्र करके बेचते है | | खरगोश , हिरण और पक्षियों का शिकार तथा कृषि , मजदूरी इनके आजीविका के प्रमुख साधन है | वे कई तरह के जड़ी बूटियों की भी जानकारी रखते है | इस जनजाति में जादू , टोना , तंत्र – मन्त्र आदि भी मुख्य रूप से प्रचलित है |
लोकगीत एवं लोकनृत्य
सवरा जनजाति के प्रमुख लोकगीत – इस जानजाति के लोग अनेको अवसरों पर कई तरह गीत गाते है | Savra Tribe के लोग अपने लोकगीतों के लिए पुरे भारत में प्रसिद्ध है | इस जनजाति समुदाय के द्वारा फसल उत्सव गीत जैसे – सोनहा गीत , उत्सव आदी गाये जाते है | विवाह के अवसर पर विवाह गीत , घोटुल गीत , लोरी गीत , सामाजिक गीत आदि गाये जाते है |
इनके द्वारा कई तरह के लोकनृत्य भी किये जाते है जैसे – कत्थक नृत्य , डंडा नृत्य , फुलकी नृत्य , सारही नृत्य , लोहांगी नृत्य आदि इस जनजाति समुदाय के प्रमुख लोकनृत्य है जिसे वे विवाह , उत्सव जैसे कई तरह के अवसरों पर करते है |
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