sant gahira guru | संत गहिरा गुरु
संत गहिरा गुरु जी छत्तीसगढ़ के एक महान समाज सेवक है जिन्होंने समाज के कल्याण के लिए कई सारे काम किये है | संत गहिरा गुरु जी को वनवासियों का परम आराध्य माना जाता है | संत गहिरा गुरु जी दिन दुखियो और गरीब , असहाय लोगो की पुरे दिल से सेवा करते थे | संत गहिरा गुरु जी एक महान व्यकतित्व के धनी थे जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन लोगो की सेवा में बिताया | आज उनके इन्ही कल्याण कारी कार्यो के लिये पुरे भारत देश में उनका सम्मान के साथ नाम लिया जता है |
छत्तीसगढ़ शासन ने संत गहिरा गुरु के सम्मान में अम्बिकापूर विश्वविद्यालय , सरगुजा विश्वविद्यालय को अब संत गहिरा गुरु विवि कर दिया गया है | इसकी घोषणा 3 सितम्बर को छत्तीसगढ़ के उस समय के तात्कालिक मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह जी ने राजीवगांधी पीजी कॉलेज में आयोजित मेडिकल कॉलेज और उज्ज्वला योजना के शुभ आरम्भ के समय की |
संत श्री संत गहिरा गुरु जी का जीवन परिचय
छत्तीसगढ़ के वनवासियों का परम आराध्य माने जाने वाले परम पूज्य संत श्री संत गहिरा गुरु जी का जन्म भारत देश के छत्तीसगढ़ राज्य के रायगढ़ जिले में स्थित लैलूंगा विकासखंड के ग्राम गहिरा में हुआ | उनका जन्म एक आदिवासी कंवर परिवार में श्रावण आमावाश्या में सन 1905 में हुआ था | उनका मूल नाम संत रामेश्वर दास जी था | परम पूज्य संत संत गहिरा गुरु जी ने 21 नवम्बर 1996 को के दिन अपनी सभी सांसारिक शारीर को त्याग कर 92 साल की उम्र में धरती मे समा गये |
पचपन से ही संत संत गहिरा गुरु जी अलौकिक शक्तियों को ओर आकर्षित रहे थे | उन्होंने ग्रिहती जीवन में रहकर भी लोक कल्याण के लिए सार्थक तपश्या की | उन्होंने अपने अभिनव सेवा प्रयोग से यह सीधा कर दिया की भगवन की उपासना , धर्म और सद्ज्ञान की मदद से भी पिछड़े समाज में व्यापक स्तर पर सुधार लाया जा सकता है | गहिरा गुरु जी के माता का नाम श्रीमती सुमित्रा देवी तथा उनके पिता जी का नाम श्री बुदकी कंवर जी था |
समाज सुधार
संत श्री संत गहिरा गुरु जी को पता था की जनजातीय दुर्गम क्षेत्रो में पशु और मांश भक्षण तथा बलि देने कुप्रथा पूरी तरह व्याप्त है तो उन्होंने अँधेरे में भटकते आदिवासियों को शांति और सेवा का व्रत करने के लिए प्रेरित किया | और लोगो सत्य की ज्योति जलाई | संत श्री संत गहिरा गुरु जी ने वनवासी समाज के बिच गांव – गाँव घुमकर ग्राम वासियों के जीवन स्तर , रहन सहन , आचरण , एवं व्यवहार में सुधर लाने के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया |
उन्होंने वनवासी समाज को बलि प्रथा त्याग कर वैदिक पद्धति से भगवान् की पूजा करने की विधि सिखाई | जिनके कारण वन क्षेत्र में रहने वाले वनवासी समाज में संस्कृति और सभ्यता का बिना रुके प्रवाह हुआ | संत श्री संत गहिरा गुरु जी ने आदिवासियों को सिखाया की वे पिछड़े , दलित नही बल्कि वे महाबली भीम की संतान घटोत्कच के वंशज है | जिससे उनमे आत्मसम्मान की भावना जागृत हुयी |
सनातन धर्म संत समाज की स्थापना
श्रावन मास की आमावाश्या , सन 1943 में गहिरा गुरु जी ने गहिरा ग्राम में सनातन धर्म संत समाज की स्थपना की | सुदूर वन क्षेत्रो में उनकी ख्याति ऐसी हो गयी की वनवासी उन्हें भगवन की तरह पूजने लगे थे | वनवासी समाज को सनातन धर्म के दैनिक संस्कारों से परिचित कराने का कार्य भी संत श्री संत गहिरा गुरु जी ने ही किया | 16 संस्कारो , वैदिक विधि से विवाह करना , शुभ्र ध्वज लगाना और उसे प्रति माह बदलना , यह गहिरा गुरु द्वारा स्थापित सनातन धर्म संत समाज क्र प्रमुख सूत्र है |
संत श्री संत गहिरा गुरु जी का आश्रम
संत श्री संत गहिरा गुरु जी ने जशपुर में एक आश्रम बनाया था जिसे आज कैलाश गुफा या गहिरा गुरु गुफा के नाम से जाना जाता है | अम्बिकापुर नगर से पूर्व दिशा में 60 किलोमीटर की दुरी पर स्थित सामरबार नामक स्थान है जहा पर प्राकृतिक वन सुषमा के बिच कैलाश गुफा स्थित है | इसी संत गहिरा गुरु जी ने पहाड़ी चट्टानों को तरासकर बनाया था | यहाँ पर महाशिवरात्रि के दिन महा मेले का आयोजन होता है | यहाँ पर संस्कृत का पाठशाला है , यहाँ शिवमंदिर और पार्वती का मंदिर भी स्थित है |
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