Ram Vanvas Yatra : राम वनवास यात्रा
श्री राम सनातन धर्म के साथ-साथ पुरे संसार के महानतम और प्रिय भगवान है| वे मानवता के आदर्श, धर्म के परिपूर्ण प्रतिनिधि और सत्य के प्रतिक है| भगवान ram का जन्म अयोध्या उत्तरप्रदेश में हुआ था| और इनकी जीवनी को ‘रामायण’ कहते है| और यह भारतीय समाज में बहुत महत्वपूर्ण ग्रन्थ के रूप में माना जाता है| ram ji की धर्मपत्नी माता सीता और उनके भाई लक्षमण के साथ उनकी vanvas yatra आरंभ हुई और रावन के वध पश्चात धर्म की विजयी हुई और उनका अयोध्या वापसी हुआ|

about vanvas yatra : वनवास यात्रा के बारे में
जय श्री राम, आज हम जानेंगे ram vanvas yatra कैसे प्रारम्भ हुआ उनके जन्म से लेकर रावण वध तक एक सारांश के रूप में ताकि आप लोग प्रभु राम जी के वनवास यात्रा को जान सके| श्री राम जी के वनवास यात्रा को हमने कुछ पहलुओ में विभाजित किया है जिससे आप अच्छे से जान सके आइये एक-एक करके समझते है:-
birth of ram : राम जी का जन्म
प्रभु राम जी का जन्म अयोध्या UP में हुआ था, जो सरयू नदी के किनारे बसा हुआ है| shri ram ब्रह्मा जी के पुत्र दरिची, दरिची के पुत्र महर्षि कश्यप के वंश जो सुर्यवंश हुआ उसी के इक्ष्वा कुल में उनका जन्म हुआ| इन्हें श्रीरामचंद्र भी कहते है|
त्रेतायुग में चैत्र मॉस के शुक्लपक्ष की नवमी को अभिजित मुहूर्त में राजा दशरथ और माता कौशल्या के घर ram ji का जन हुआ| कैकयी से भरत जी और सुमित्रा से लक्ष्मन और शत्रुघ्न जी जन्मे| ऋषि वशिष्ठ जी ने चारो भाइयो को शिक्षा-दीक्षा दी| कैकयी ने अपने वचनों का लाभ लेते हुए राजा दशरथ से राम जी के लिए 14 वर्ष का वनवास ,माँगा और राम जी ने इसे स्वीकार कर लिया और यही से vanvas yatra प्रारंभ हुआ|
ताड़का वध और अहिल्या उद्धार
इसमें विश्वामित्र के साथ राम जी और लक्ष्मण जी उनके यज्ञ की राक्षसों से रक्षा के लिए दंडक वन की ओर गए| यहाँ पर prabhu ram ने ताड़का का वध किया| उसके बाद राम जी ने विश्वामित्र के सिद्धाश्रम में सुबाहु नाम के राक्षसों का वध किया और यज्ञ की रक्षा किये| फिर विश्वामित्र राम और लक्ष्मण को अहियारी ले गए| जहाँ माता अहिल्या को जो पत्थर के मूरत के रूप में थी, उन्हें प्रभु राम ने अपने पैर के अंगूठे से स्पर्श करके शाप से मुक्त किया|
marriage of ram ji and Sita ji : राम जी और सीता जी का विवाह
इसमें shri ram जी अहिल्या उद्धार के बाद जनकपुर पहुंचे और वहां विश्वामित्र जी को स्वयंवर का समाचार मिला| राम जी ने mata sita को पहली बार पार्वती मंदिर के पास वाटिका में देखा था| स्वंयवर में राम जी ने शिव जी के धनुष को तोडा और माता सीता ने उन्हें अपने पति के रूप में चुना|
vanvas yatra begins : वनवास यात्रा प्रारंभ
वनवास के समय श्री राम जी का आयु 25 वर्ष थी| सबसे पहले राम, सीता और लक्ष्मण ऋषि भारद्वाज के आश्रम पहुंचे| उनके साथ निषाद राज भी थे| भारद्वाज ने ही चित्रकूट के कादम्गीरी पर्वत में रहने की सलाह दिए| फिर अगले दिन तीनो ने प्रयाग संगम पर स्नान किये और अक्षय वट के दर्शन किये| फिर गंगा पार कर चित्रकूट के लिए निकल गए| केंवट जी ने यही पर ramजी के पैर धोकर उन्हें नदी पार कराये थे|
Bharat Milap : भरत मिलाप
ram ji को खोजते हुए या उनसे मिलने के लिए अयोध्यावासियो के साथ कामदगिरी कुटिया पहुंचे थे| यही पर राम-भरत मिलाप हुआ था| फिर राम जी को दशरथ जी के मृत्यु का समाचार मिला| राम जी दशरथ जी का श्राद्धकर्म किया| भरत राम को वापस ले जाना चाहते थे, राम नहीं माने तो उनकी चरण पादुका ले ली जिन्हें सिंहासन पर रखकर उन्होंने अयोध्या का शासन चलाया|
abduction of Sita : सीता माता का हरण
दंडकारन्य में घूमते हुए ravana की बहन सूर्पनखा ने राम जी को देखा और विवाह का प्रस्ताव रख दिया| राम के मना करने के अब्द सूर्पनखा द्वारा जबरदस्ती करने पर लक्ष्मन ने उसके नाक काट दिए| फिर रावण को इसका पता चलते ही मारीच को स्वर्णमृग बनाकर भेजा और राम द्वारा स्वर्णमृग को तीर लगते ही राम जी की नकली आवाज निकलना जिससे लक्ष्मण और माता सीता का ध्यान भ्रमित होना और रावण द्वारा साधू के भेस में आकार छल से माता सीता का हरण करना| माता सीता को रावण अशोक वाटिका में रखा था|
meeting Shabari : शबरी से भेंट
कर्नाटक के बेलगाँव के जंगलो में शबरी आश्रम है| पंचवटी से निकले श्री राम छत्तीसगढ़ के कुछ हिस्सों से होते हुए आगे बढ़ते गए| कबंध नाम के राक्षस का वध भी किया| कबंध एक गन्धर्व था जो ऋषि के शाप से राक्षस बन गया था| श्री राम ने उसे शाप से मुक्ति दिलाई और उसने ही शबरी के बारे में बताया| राम-लक्षण के आने आर शबरी ने उनका अच्छे से सत्कार किया और भगवान राम ने शबरी के झूठे बेर भी खाए| शबरी ने ही राम को सुग्रीव के बारे बताया|
killing of bali by ram : राम द्वारा बाली का वध
कर्नाटक के हम्पी को किष्किन्धा से जोड़ा जाता है| यही हनुमान का जन्म स्थल भी है, जिसे आंजनेय पर्वत भी कहते है| और यही पर राम और hanuman ji की पहली भेंट हुई थी| hanuman ने राम की मित्रता सुग्रीव से कराइ| श्री राम जी ने बाली का वध कर सुग्रीव को किष्किन्धा का राजा बनाया| यही पर श्री राम 4 महीने रुके थे| बारिश का महिना निकलने के बाद वानर दलों ने माता सीता की खोज प्रारंभ कर दी| फिर हनुमान, अंगद और जामवंत, नील-नल दक्षिण दिशा की ओर गए| जहाँ हनुमान ने समुद्र पार किया और लंका में माता सीता की खोज किये|
Construction of Ram Sethu and entry into Lanka : राम सेतु का निर्माण और लंका प्रवेश
समुद्र तट पर भगवान राम ने एक शिवलिंग की स्थापना किये जिसे रामेश्वर ज्योतिर्लिंग कहते है| यही पर विभीषण श्री राम जी से मिले| राम ने समुद्र से रास्ता मांगने के लिए तप किये 3 दिन पश्चात वानर सेना सेतु बनाना प्रारंभ किया| जिसे रामसेतु नाम दिया गया इसी से राम और वानर सेना लंका पहुंचे|
Killing Ravana : रावण वध
राम और वानर सेना लंका पहुंचे फिर अंगद के द्वारा राम ने रावण के पास आखिरी शांति प्रस्ताव भेजा| रावण के द्वारा शांति प्रस्ताव ठुकराने के पश्चात दोनों सेनाओ के बिच घमासान युद्ध हुआ| लक्ष्मण ने इन्द्रजीत का वध किया| राम जी ने पहले कुम्भकर्ण का वध किया फिर रावण का वध उसकी नाभि पर प्रहार करके किया| सीता को मुक्त कराने के पश्चात माता सीता की अग्नि परीक्षा हुई| विभीषण को लंका का राजा बनाकर रावण के पुष्पक विमान से राम जी और पूरी वानर सेना अयोध्या आये| अयोध्या में भगवान राम जी का राज्याभिषेक किया गया| और राम जी अयोध्या के राजा बने|

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