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nagpura chhattisgarh : नगपुरा छत्तीसगढ़ जाने इसका इतिहास

nagpura chhattisgarh : नगपुरा छत्तीसगढ़ जाने इसका इतिहास
nagpura chhattisgarh : नगपुरा छत्तीसगढ़ जाने इसका इतिहास

nagpura chhattisgarh | नगपुरा छत्तीसगढ़

 

छत्तीसगढ़ राज्य का सबसे शिक्षित जिला माने जाने नगपुरा जिला दुर्ग से 14 किलोमीटर दुरी पर स्थित यह स्थल छत्तीसगढ़ की आध्यात्मिक भूमि का परिचय देता है | यह मंदिर शिवनाथ नदी के पश्चिम तट पर स्थित है | यहाँ पर कलचुरी कालीन स्थापत्य कला का इतिहास सजीव हो उठता है |

nagpura chhattisgarh : राष्ट्रिय राजमार्ग 6 से लगी हुयी दुर्ग जालबांधा सडक पर स्थित श्री उवसग्गहरम पार्श्व तिर्थपति का प्रवेश द्वार प्राचीन धर्म और संस्कृति का जिवंत उदहारन है | आज के समय स्थल छत्तीसगढ़ राज्य का एक प्रमुख तीर्थस्थल के रूप में उभरा है जहा पर हर साल लाखो सैलानी घुमने ओर श्री उवसग्गहरम पार्श्व तिर्थपति जी का दर्शा करने जाते है |

यहाँ ऐसी मान्यता है की मंदिर में स्थापित श्री उवसग्गहरम पार्श्व तिर्थपति प्रभु की मूर्ति श्री माहवीर प्रभु की विद्यमानता में ही उनके 37वी वर्ष में बनी है | यहाँ की मुख्य मंदिर की सीढियों से पहले संवत 919 में कलचुरी शासको द्वारा स्थापित किया गया है श्री पार्श्व प्रभु की चरण पादुका है |

श्री उवसग्गहरम पार्श्व तिर्थपति
श्री उवसग्गहरम पार्श्व तिर्थपति

 

श्री पार्श्वनाथ मुख्य मंदिर के पांच प्रवेश द्वार 

  1. श्री शंखेश्वर पार्श्व
  2. श्री कलकुंड पार्श्व
  3. श्री तीरथपति पार्श्व
  4. श्री पंचासरा पार्श्व
  5. श्री जरीवाला पार्श्व

इस मंदिर के तीन शिखर है ,जिनकी उचाई 67 फिट है | इस मंदिर के मूल गर्भ में पाश्वनाथ की 15 मुर्तिया मौजूद है | ताथा यहाँ पर नृत्य मंडप और रंग मंडप में 14 आकर्षक मुर्तिया है | श्री पार्श्वनाथ की सप्टकण नागराज वाली प्रतिमा इस मंदिर की मुख्य आकर्षण का केंद्र है | मुख्य मंदिर की प्रथम मजिल की शिखर पर कायोत्सर्ग मुद्रा में श्री पार्श्वनाथ और पद्मादेवी सहित 9 मुर्तिया है |

मंदीर  के दाई ओर बढ़ने पर अत्यंत कलात्मक दो जिनालयो का दर्शन किया जा सकता है | सह्त्रफण नामिउण पार्श्व जिनालय एवं मेरुतंग जिनालय | इसी तरह बाई ओर श्री कल्याण पार्श्व जिनालय तथा श्री शिव पार्श्व जिनालय है सीढियों के पास मुख्य मंदिर में एक ओर मणिभद्र , नकोडा भेरू और पुनिया बाबा की मूर्तियों वाला मणिभद्र वीर मन्दिर है |

मंदिर की दूसरी ओर पद्मावती देवी , सरसवती देवी , चकेश्वरी देवी , लक्ष्मी देवी और अम्बिका देवी की प्रतिमा वाला मंदिर है |

 नगपुरा छत्तीसगढ़
नगपुरा छत्तीसगढ़

 

यहाँ की मान्यता 

 

नगपुरा : ऐसा कहा जाता है की कलचुरी वंश के शंकरगण के प्रपौत्र गजसिंह को पद्मावती देवी ने 47 इंच ऊँची श्यामवर्णी श्री पार्शवनाथ की प्रतिमा सौपी थी | संवत 919 में इस प्रतिमा को गजसिंह ने स्थापित किया था | एवं प्रतिज्ञा की की वह अपने राज्य में पार्श्वनाथ की एक ऐसी ही 108 प्रतिमाये स्थापित करेंगे |

इसका उल्लेख ताम्रपत्र में करते हुए लिखा है की यदि वह अपने जीवन काल में ऐसा न कर सका तो , उसके वंशज इस कार्य को पूरा करेंगे | बाद में गजसिंह के प्रपौत्र जगतपाल सिंह ने नगपुरा में ऐसी ही प्रतिमा स्थापित की | 17 अक्टूबर 1981 में मंडक नदी के उत्तरी भाग के जंगी हिस्से में उगना निवासी भुवन सिंह की भूमि पर एक कुए की खुदाई के दौरान मजदूरो को 50 – 60 फिट की गहराई पर भरी पत्थर प्राप्त हुआ |

किसी तरह इस पत्थर को बाहर निकाला गया | पत्थरके बाहर आते ही लोग दंग रह गये क्योकि वह भरी पत्थर एक अलौकिक प्रतिमा थी | साथ उससे कई प्रकार के जीवित सांप लिपटे हुए थे | इस देव प्रतिमा को उगना में स्थापित कर दिया गया | और पुरे विधि विधान से इसकी पूजा शुरू की गयी |  आसपास के अलावा शहर में भी इसकी चर्चा होने लगी |

आसपास की अन्य दरशनिक स्थल 

 

  1. मेरु पर्वत – मुख्य मंदिर के पीछे एक एक पर्वत का निर्माण किया गया है जिसे मेरु पर्वत कहते है | यहाँ श्री पार्श्वनाथ के जन्माभिषेक महोत्सव पर उनका जल से अभिषेक किया जाता है | इस पर्वत के अन्दर गोलाई में 24 तीर्थकरो की मुर्तिया स्थापित किया गया है |
  2. चारिज मंदिर – मेरु पर्वत की दाई तरफ योगिराज शांति गुरुदेव का विशाल चारिज मंदिर है | इस मंदिर में माहापुरुषो के जीवन चरित्र एवं चित्र है |
  3. तीर्थकर उद्यान – दादाबाड़ी के पीछे अनोखे एवं विशाल तीर्थ उद्यान का निर्माण किया गया है | यहाँ के 24 तीर्थकरो की मुर्तिया उसी मुद्रा में स्थापित है जिस मुद्रा में उन्हें केवल ज्ञान की प्राप्ति हुयी थी | साथ ही वह वृक्ष भी लगाये गये है जिनके नीचे उन्हें केवल ज्ञान की प्राप्ति हुयी थी |
  4. आरोग्य धाम – नगपुरा एक ऐसे बहुयामी परिसर के रूप में विकसित हुआ है जहा प्रकृतिक चिकित्सा का अपना ही महत्व है | प्रवेश द्वार से ही विशाल सभा भवन है , जो आरोग्य धाम का स्वागत कक्ष है | यहाँ प्रवेश करते ही सर्वप्रथम प्रथम तीर्थकर परमात्मा श्री शत्रुंजय तीरथपति ऋषिदेव प्रभु के दर्शन होते है | भवन में एक ओर परामर्श चिकित्सा के अलग अलग कक्ष है जहा साधको को समुखित परामर्श दिया जाता है | इसी भवन में एक सुचना फलक भी है जिस पर साधको के लिए दैनिक साधना निर्देश अंकित होता है |

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