Kolkata rape murder case update : कोलकाता में हुए ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप मर्डर केस में क्या हुआ
कोलकाता के एक अस्पताल में एक रात ऐसी घटना हुई (Kolkata rape murder case ) जिससे पुरे डॉक्टर दहशत में आ गए , सभी एकदम से सहम गए , डर गए | इस घटना के बारे में पूरा देश जानता है | वह घटना था एक हॉस्पिटल की एक रात जिसमे एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप हुआ (Kolkata rape murder) और उनकी निर्मम हत्या कर दी गयी | आरोपी भी पकड़ा गया लेकिन जो इस केस में कह रहे है की और भी शाजिसकर्ता है वे नहीं पकडे गए या उनका अभी तक कुछ पता नहीं चला और इसी को लेकर अभी तक सीबीआई जांच चल रही है |
Kolkata rape murder case update : लेकिन इस घटना को हुए करीब 4 महीने हो गए ऐसे में न्यायिक जांच के ऊपर उंगली उठाना स्वाभाविक है | और ऊपर से तब जब इस केस को 2 वकीलों ने लड़ने से मना कर दिया और जो दो संदिघ्ध (संदीप घोष और अभिजीत मंडल ) गिरफ्तार किये थे उनकी बरी हो गयी | सोचने वाली बात है की जांच इतने महीनो में भी पूरी नहीं हो पाई है और आरोपी फटाक से जेल से छुट जाते है |
अभी तक उस ट्रेनी डॉक्टर को इंसाफ नहीं मिल पाया है और न ही उनके परिवार वालो को शांति और न्याय | ये कैसा सिस्टम है जिसमे किसी को न्याय देने में इतना वक्त लगता है वो भी तक जब साबुत सामने हो | इस घटना का जो मुख्य आरोपी है संजय उसे तो उम्रकैद या फांसी की सजा सुना देनी चाहिए लेकिन नहीं अभी तक ऐसा कुछ नहीं हुआ क्योंकि जांच चल रही है | पर इतना समय क्यों लग रहा है ?
ट्रेनी डॉक्टर की माँ ने एक बयान दिया है (Kolkata rape murder case update ) और यह तब कहा जब दो आरोपियों को जमानत दी गयी 13 दिसंबर को ” हमने सोचा था की सीबीआई जांच करेगी तो हमारी बेटी को न्याय जरुर मिलेगा, लेकिन आरोपियों की जमानत मिलने के बाद ऐसा लग रहा जैसे जैसे की सिस्टम हमें ही हराने की कोशिश कर रहा है ” अब आप खुद सोचिये में ऐसे में इस सिस्टम पे एक माँ कैसे भरोसा करेगी |
भारत में न्यायिक जांच की स्थिति : status of judicial inquiry in india
न जाने ऐसे कितने मामले है जो रातो रातो किसी पन्ने में दब जाते है और अगली सुबह जला दिए जाते है | यहाँ सिर्फ एक डॉक्टर की बात हो रही है एक लड़की की बात हो रही है लेकिन देश में ऐसी कई घटनाएँ है जिसे दबा दिया जाता है क्यों क्योंकि सामने वाला पैसा वाला होता है | लेकिन एक आम इन्सान जिसके साथ गलत होता है उसका सहारा तो एक ही है न्याय व्यवस्था अगर यही न्याय व्यवस्था उसे न्याय न दे पाए तो कहा जायेगा बेचारा |
देखिये पैसे या उनकी शक्ति इतनी है की दो वकील को पीछे हटना पड़ा उनमे से एक बिकास रंजन भट्टाचार्य और एक वृंदा ग्रोवर है | जबकि न्याय से बड़ा और कोई नहीं होना चाहिए चाहे वह अमीर हो या गरीब , चाहे सरकार हो या आम जनता | अभी इस केस की जांच चल रही है और पता नहीं कब यह ख़तम होगी और कब न्याय मिलेगा |
ऐसे ही कई केस होते है जो आखिर में दम तोड़ देते है शुरू में तो आवाज उठती है लेकिन बाद में पैसो और पावर की चक्कर में दब जाते है | जैसे दिल्ली का आईएएस कोचिंग वाली घटना हो, सुशांत सिंह मर्डर केस हो, आदि (status of judicial inquiry in india) | देखिये समय लगता है लेकिन इतना भी नहीं की इन्सान न्याय के चक्कर काटते – काटते मर जाये |
अक्सर देखा जाता है की कोई घटना जो आम जनता के बिच होता है उसे जल्द से जल्द भटकाने की कोशिश होती है वो भी बड़े बड़े नेताओ द्वारा | सभी अपने – अपने में लग जाते है और अंत में फिर वही सिर्फ ख़ामोशी | इसलिए न्यायिक जांच (status of judicial inquiry in india) को मजबूत करने की जरुरत है और सजा को और भी कड़ी करने की | और इन नेताओ को ऐसे मामलो में शामिल नहीं चहिये क्योंकि ये अपना एजेंडा चलाकर चले जाते है और फिर यही भटकाते है |
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