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Kisan andolan : किसान आन्दोलन का इतिहास और वर्तमान देखिये सबकुछ

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किसान आन्दोलन का इतिहास : history of kisan andolan

भारत में किसान आन्दोलन का इतिहास ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के ज़माने से चला आ रहा है| भारत का पहला अहिंसक किसान आन्दोलन 1847 में बिजोलिया किसानो के द्वारा किया गया था| जो लगभग 50 साल तक चला था| भारत का पहला अहिंसक किसान आन्दोलन  1847 में बिजोलिया किसानो के द्वारा हुआ था| जो लगभग 50 साल तक चला| 1929 में स्वामी सहजानंद सरस्वती के नेतृत्व में बिहार किसान सभा आन्दोलन शुरू हुआ था| इसके अनुसार जमींदारो के अत्याचारों के खिलाफ किसानो को शिकायतों को संगठित करना था|

1946 में बंगाल का तेभागा आन्दोलन हुआ था,यह बंटाइदारो का आन्दोलन था जो जोतदारो के खिलाफ था| इसके नेता कम्पाराम और भवन सिंह थे| 1938 में पटना एक बड़ा प्रदर्शन हुआ था जिसमे एक लाख किसानो ने भाग लिया था| 1921 में चितौर्गढ़ में बेगार प्रथा के विरोध में बेंगु किसान आन्दोलन हुआ था| इसकी शुरुआत रामनारायण चौधरी ने की थी| Kisan andolan का प्रमुख मकसद कृषि निति में किसान के हित में परिवर्तन लाना है|

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सत्याग्रह किसान आन्दोलन

 

किसान आन्दोलन के जनक : father of farmer movements

भारत में किसान आन्दोलन के जनक स्वामी सहजानंद सरस्वती को कहा जाता है| इनका जन्म 22 फरवरी 1889 को गाजीपुर के देवा गाँव में हुआ था| वे स्वतंत्रता सेनानी थे| 1936 में कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में सहजानंद और जी.रंगा ने अखिल भारतीय किसान सभा की स्थापना की| राजस्थान में किसान आन्दोलन के जनक विजय सिंह पथिक को माना जाता है| इनका असली नाम भूप सिंह था| 1915 के फिरोजपुर षड्यंत्र के बाद इन्होने अपना नाम बदल दिया| इन्होने बिजौलिया Kisan andolan में शामिल होकर उन किसानो में आजादी के लिए अलख जगाई थी|

भारत के प्रमुख किसान आन्दोलन : major farmer movements of India

आज के समय में Kisan andolan और अधिक बढ़ रहे है| इसका कारन किसानो की आर्थिक स्थिति दिन प्रति दिन कमजोर हो रही है| और ये कर्ज के जल में फसते जा रहे है| क्योंकि मौजूदा समय में कृषि में लागत बढ़ रही है|लेकिन आमदनी घट रही है| जिस कारन से किसान आत्महत्या कर लेते है| दूसरी तरफ किसान कृषि निति को बदलवाने के लिए संघर्ष कर रहे है| भारत कृषि प्रधान देश है लगभग 70% लोग किसान है|

भारत में पहला प्रमुख किसान आन्दोलन नील विद्रोह था जो 1859 में शुरू हुआ था| और यह 1860 में ख़त्म हुआ था, यह एक विशाल आन्दोलन था| साल 1917 में गाँधी जी ने बिहार के चंपारण सत्याग्रह आन्दोलन किया था| साल 1918 में गाँधी जी के ही नेतृत्व में खेडा किसानो की समस्याओ को लेकर आन्दोलन हुआ था| खेडा गुजरात में है,खेडा के कुनबी किसानो ने सरकार से लगान में राहत की मांग की पर उन्हें कोई राहत नहीं मिली|

2021 का किसान आन्दोलन : kisan andolan of 2021 

साल 2021 में किअनो और सरकार के बिच जमीन और खेती पर  सबसे बड़ा घटनाक्रम हुआ| जून 2020 में केंद्र सरकार ने तीन ने कृषि कानून लाये थे,इन कानूनों के खिलाफ किसानो ने आन्दोलन शुरू कर दिया था| 19 नवम्बर 2021 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के द्वारा अचानक से गुरु पर्व के दिन किसानो के हित में तीनो कृषि कानूनों को निरस्त कर दिया गया था| 1 दिसम्बर 2021 को तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी के द्वारा कृषि कानून वापसी बिल पर मुहर लगा दिए|

4 दिसम्बर 2021 को कृषि कानून वापसी के बाद संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक हुई इस बैठक में MSP गारंटी कानून सहित और मानगो को लेकर सरकार के सामने प्रस्ताव के लिए एक 5 सदस्यीय कमिटी का गठन हुआ| कमिटी ने प्रस्ताव भेजा लेकिन बात नहीं बनी| इस किसान आन्दोलन को 200 से ज्यादा किअसन यूनियनों का समर्थन मिला था|  तीन कृषि कानून में …

  1. कृषक उपज व्यापर और वाणिज्य ( संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम 2020
  2. कृषक (सशक्तिकरण व् संरक्षण ) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम 2020
  3. आवश्यक वस्तुएं संशोधन अधिनियम 2020
2024 का किसान आन्दोलन : kisan andolan of 2024 

2024 में एक बार किसानो ने आन्दोलन शुरू कर दिया है| इनकी मांग MSP के लिए पिछली बार जब 2021 में आन्दोलन हुए थे तो उसने सरकार द्वारा आश्वासन दिया गया था की MSP(न्यूनतम समर्थन मूल्य ) लागु की जाएगी| लेकिन 2 साल बीतने पर सरकार द्वारा MSP लागु नहीं करने पर किसानो ने आन्दोलन शुरू कर दिया|

MSP यानि मिनिमम सपोर्ट प्राइस जिसे न्यूनतम समर्थन मूल्य कहते है,किसानो के हित के लिए सरकार ने ऐसी व्यवस्था बने है जिससे किसानो को फसलो पर अच्छी MSP मिल सके| इसके अनुसार सरकार फसल की एक न्यूनतम कीमत तय करती है|इसके तह अगर बाजार में फसल के दाम कम भी हो जायेंगे तो भी सरकार एक न्यूनतम फिक्स मूल्य पर खरीदेगी| किसानो द्वारा आन्दोलन किये जाने का प्रमुख कारन ये भी है की किसानो की सरकार से दो प्रमुख मांगे है पहला-MSP स्वामीनाथन आयोग के अनुसार मिले| दूसरा-MSP की लीगल गारंटी दिया जाये| यानि इसके लिए कानून बनाया जाये|

किसान चाहते है की अगर वह फसल बहार भी बेचे तो MSP की दर पर खरीदी हो| और दूसरी फसलो को भी MSP के दायरे में लाया जाये| प्रधानमंत्री जी द्वारा आश्वासन दिय गया है लेकिन किसान कानून की मांग कर रहे है और सरकार MSP लागु नही कर रही है| इस वजह से किसान फिर से आन्दोलन कर रहे है|

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