sujhaw24.com

Indus Valley Civilization : भारत के प्राचीन सिंधु सभ्यता

Indus Valley Civilization
Indus Valley Civilization

Table of Contents

Indus Valley Civilization || भारतीय संकृति  का सुन्दर रूप सिंधु सभ्यता

 

Indus Valley Civilization  : भारतीय संकृति पुरे विश्व के प्राचीन संकृतियो में प्रमुख वह एक है प्राचीन रचनाओं के अनुसार हम जानते है कि हमारा इतिहास कितना पुराना वह प्राचीन है अगर हम देखे तो वैदिक संकृति से पहले हमारी भारत में एक विकसित संकृति भारत में वास करती थी |

ancient civilization of the world : विश्व की प्राचीन सभ्यता

 

जो अपने समय कि सबसे उन्नत वह वृत्रित सभ्यता थी जो भारतीय उप महा द्वीप पर आर्यों के आने से पहले एक विकसित समाज का निर्माण कर चुकी थी | जिनके नगर सबसे उकृष्ट सभ्यता थी और उन्नत तरीके से इस नगर को बनाए गए थे | विश्व प्राचीन सभ्यताओ में से एक सिंद्धु सभ्यता नदी के किनारे हो फली फूली है |

  • मिस्र की सभ्यता – मिस्र की सभ्यता नील नदी के किनारे पाई गई |
  • मेसो पोटामिया की सभ्यता – तजला और फरात नदी के किनारे पाई गई
  • चीन की सभ्यता – यालो नदी के किनारे पाई गई
  • भारतीय सभ्यता – सिंधु नदी

इस लिए इसे सिंधु सभ्यता को सिंधु घाटी सभ्यता के नाम से जाना जाता है यह सभ्यता 5000 वर्ष पुराना है इसे भारत का सबसे उन्नत सभ्यता कहा जाता है |

British in India : भारत में अंग्रेज

 

सन 1826 सर चार्स मेसन नाम के एक अंग्रेज सक्स भारत के उत्तर पश्चिमी पंजाब क्षेत्र का दौरा कर रहा थे जो कि आज के समय में पाकिस्तान का पंजाब प्रान्त है | उन्होंने वहा के हडपा क्षेत्र में जमीन के नीचे दबे पुरातन अवशेषो निरिक्षण किया | और सन 1842 में लेख लिख कर सर्व प्रथम दुनिया के सामने इस बात को प्रदर्शित किया |

  • construction of railway track : रेलवे की पटरी का निर्माण

 

उसके बाद सन 1853 से लेकर सन 1856 के बीच कराची और लाहोर में जब रेलवे का निर्माण का कम शुरू हुआ तब रेलवे इंजिनियर बर्टन बंधू और विलियंम बर्टन था | उन्हें हड़पा में मजबूत इटो का पता चला अतिप्राचीन खंडहारो के अवशेष के रूप में प्राप्त हुआ इन ईटो का इस्तिमाल उन्होंने रेलवे कि पटरी के निर्माण में किया |

Harappan Civilization : हड़प्पा सभ्यता

 

सन 1856 में अलेक जेंडर कलिंघन नामक एक अंग्रेज अधिकारी ने हड़पा का निरिक्षण कर के एक मानचित्र का निर्माण किया | यह वही अंग्रेज अधिकारी है जिन्होंने सन 1861 ने भारतीय पुरातत्व विभाग की स्थापना किया | सन 1921 में इसी भारतीय पुरातात्विक विभाग के प्रमुख सर जोन मार्सल  के नेतृत्व में पहली बार हड़पा का आधिकारिक तौर पर उत्खनन काम प्रारंभ किया गया |

सन 1922 में राखल दास बेनर्जी ने सिंध प्रान्त के मोहन जोदड़ो में उत्खनन का काम शुरू किया | और दुनिया के सामने हड़प्पा के रूप में पहली बार सिंधु सभ्यता का रूप सामने आया | आज के समय में इस पूरी सभ्यता को हडप्पा सभ्यता के नाम से जाना जाता है |

Historical importance : हड़प्पा सभ्यता का ऐतिहासिक महत्व

 

Historical importance
Historical importance

सिंधु घाटी कि सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है यह सभ्यता ग्रिड प्रणाली पर आधारित व्यवस्थित योजना के लिए बहुत प्रसिद्ध है | सिंधु घाटी सभ्यता एक कास्य युगीन सभ्यता प्राचीन समय में थी जो आज के समय में उत्तर पूर्व अफगानिस्तान से लेकर पाकिस्तान और पश्चिम भारत तक फैली हुई थी | हड़प्पा सभ्यता के महत्वो को देखते हुए बहुत से जगह पर और उत्खनन का काम प्रारंभ किया गया | 

Harappan Civilization in India and Pakistan : भारत और पाकिस्तान में हड़प्पा सभ्यता

 

भारत और पाकिस्तान जब आजाद हो रहे थे तो उस वक्त तक इससे जुड़े 40 से 50 जगहों की खोज हो चुकी थी | और आज तक इस खोज ने 1500 नगरो ने हमें परिचित करवाया है | जिनमे से ज्यादा तर नगर भारत में पाए गए है | जिनकी संख्या 925 तक है और पाकिस्तान में पाए गए नगरो की संख्या 575 है और अफगानिस्तान में दो नगरो की खोज हो चुकी है |

Expansion of Harappan Civilization : हड़प्पा सभ्यता का विस्तार

 

इससे आप समझ सकते है कि यह सभ्यता कितनी पुरानी वह वृत्रित है | अब तक के उत्खनन के आधार पर इसकी सीमा का निर्धारण करते है तो सबसे उत्तर में जम्मू कश्मीर वहा के प्राप्त होता है | सबसे उत्तर में मांडा नगर दक्षिण में महाराष्ट्र में दायमाबाद पूर्व में उत्तर प्रदेश का आलंमगीपुर वही पश्चिम में बलूचिस्तान के सुतकागेड़ोर  तक फैला हुआ था|

सभी को अगर देखा जाए तो इसका क्षेत्र फल 13 लाख वर्ग किलोमीटर से कही अधिक के क्षेत्र में फैली हुई थी | इसकी लंबाई 1400 किलोमीटर तक माना गया है वही पूरब से पश्चिम तक का विस्तार 1600 किलोमीटर तक माना गया है |इसकी तुलना अगर विश्व के दूसरी सभ्यता से करे तो मिस्र, मेसो पूटामिया कि सभ्यता को मिला कर भी इससे 12 गुना क्षेत्र में हड़प्पा सभ्यता फैली हुई है |

Tenure of Harappan Civilization : हड़प्पा सभ्यता का कार्य काल

 

  • इस सभ्यता का कार्य काल बहुत से इतिहास करो की अलग अलग राय है |
  • सर जॉन मार्शल – ईसा पूर्व 3250  ईसा पूर्व – 2750 ईसा पूर्व तक माना |
  • कार्बन 14 डेटिंग प्रणाली के आधार पर
  • सर डीपी अग्रवाल – ईसा पूर्व 2300 से लेकर ईसा पूर्व 1750 तक माना है |
  • लेकिन ज्यादा तर विद्वान् इस सभ्यता के कार्य काल को ईसा पूर्व 2500 से लेकर ईसा पूर्व 1750 तक मानते है |

The origin of the Harappan civilization : हड़प्पा सभ्यता का मूल निर्माण

 

इस सभ्यता का मूल निर्माण के बारे में ज्यादा तर भारतीय इतिहास करो का यही मानना है | कि यह सभ्यता यही की मूल निवासी वह स्थानीय लोगो ने निर्माण किया था | जबकि मार्सल बिलार गार्नर चाइल्स जैसे विदेशी इतिहास कर कहते है कि इस सभ्यता के निर्माता सुमेरियन सभ्यता के लोग थे |

क्योकि दोनों सभ्यताओ में काफी समानताए है | इन इतिहास करो का मत वह मतान्तर कुछ भी हो हम भारत वासियों के लिए यह बहुत गर्व की बात है कि हमारे देश की सभ्यता अपने समय कि सबसे उन्नत सभ्यता थी इसके जैसा नगर को सुनिश्चित तरीके का निर्माण अन्य किसी सभ्यता में नही पाया गया है |

Knowledge of script : हड़प्पा सभ्यता में लिपि का ज्ञान

 

इन लोगो को लिपि का ज्ञान था चित्रात्मक सभ्यता के सहारे इन्होने अपने विचारो को लिपि बद्ध करना सीख लिया था | इन्होने तम्बा और तीन को मिश्रीत करके कासे धातु के निर्माण कि कला से अवगत कर लिया था |

remains found in excavations : उत्खनन में मिले अवशेष

 

उत्खनन में मिले अवशेष के आधार पर यह पता चला है कि यह लोग माप तौल करना जानते थे | इन्हें मिटटी से बर्तन, औजार और किलौने का निर्माण कि कला और गत्ताथी का ज्ञान भी अवस्य होगा और इन्हें गणित का ज्ञान भी अवस्य होगा | तभी इन्होने विसाल भवन का निर्माण करवाए थे |

इस सभ्यता में निर्माण ईटे का उपयोग लगभग सभी जगह मिला है जैसे इन ईटो को एक ही जगह पर बनवाया गया हो | पाकिस्तान के सिंध प्रान्त में इस सभ्यता का मोहन जोदाड़ो कि रचना बद्ध नगर इस लिए इस सभ्यता को हड़पा सभ्यता के राजधानी के रूप में भी देखा गया है | मोहन जोदाडो अपने आप में एक वृत्रित नगर था |

Ancient city of Harappan civilization : हड़प्पा सभ्यता का  प्राचीन नगर

 

भारत के हरियाणा राज्य में खोजा गया राखी कड़ी यह नगर भारत का सबसे बड़ा नगर है | भारत के गुजरात राज्य में सबसे बड़ा नगरो की खोज हुई है | यहाँ की लोथल नगरी बन्दर गाह के रूप में प्रसिद्ध है | यहाँ से हमें प्रदेश व्यापार के प्रमाण भी प्राप्त हुए है |ये सभी नगर विशेषतः दो हिस्सों में बाटे हुए दिखाई देते है जिसमे ऊपरी हिस्सा पश्चिमी टीले के रूप में देखा जाता है जो समाज के धनी अमीर पुरोहितो के रहने की जगह हो सकती है | इसे दुर्ग भी कहा जाता है | और इसका दूसरा हिस्सा पूर्वी टीला जिसमे किसान मजदूरो वह जन सामान्य वर्ग के लोगो की रहने का जगह पाई गई है |

यह हिस्सा नीचे की तरफ पाया गया है इसके ऊपरी हिस्से में ज्यादा तर बड़े वह सार्वजनिक जगह पाए गए है जिन्हें ऊचे तटबंधी से संरक्षित किया गया है | इसकी तुलना में इसके नीचले हिस्से में छोटे वह कच्चे ईटो से बने मकान दिखाई पड़ते है | जो तट बंधी से संरक्षित भी नही है इन सभी नगरो में एक मात्र नगर ऐसा पाया गया जो दो की जगहों पर तीन हिस्सों में विभाजित है | इसका नाम धोला वीरा है जो भारत के गुजरात राज्य में स्थित है |

इसमें मिला तीसरा हिस्सा पूर्वी वह पश्चिमी टीले के बीच में स्थित है | जो मध्यमा के नाम से जाना जाता है | यह व्यापारी वर्ग के लिए बनाया गया क्षेत्र मालूम पड़ता है |

Urban paths in Harappan Civilization : हड़प्पा सभ्यता में  नगरीय रास्ते

Urban paths in Harappan Civilization
Urban paths in Harappan Civilization

हड़प्पा सभ्यता का नगरीय रास्ते विशेष रूप से प्रसंनीय है | वह नियोजन बद्ध तरीके से इस नगर को समकोण में काटते है रास्तो के इस पद्धति को दृढ पद्धति कहा जाता है | यह रास्ता 10 मीटर तक चौड़ा पाया गया है | और उससे मिलने वाले अन्य रास्ते 3 से 4 मीटर तक चौड़े पाए गए है | सभी के घरो के दरवाजे मुख्य रास्ते के तरफ न खुलते हुए गली में खुलते दिखाई देते है | रह घर में कुआ स्वच्छता ग्रुह और जल निकासी के लिए नालीया मिलती है | जो मुख्य नाली से जुड़ कर ख़राब पानी को शहर से बहार ले जाती है | यह सभी नालीया ऊपर से ढकी हुई दिखाई पड़ती है |

गुजरात के धौला वीरा नगर में लकड़ी की बेहतरीन नालीया पाई गई है जो आज भी सुस्त स्थिति में दिखाई देती है | यह सभ्यता मुख्य रूप से अपनी सामूहिक स्नान गुह सभा गुह विशाल एना भण्डार और गोदामों के लिए प्रशंसनीय मानी जाती है |

Food habits of people : हड़प्पा सभ्यता में लोगो का खान पान

 

इनके खान पान में गेहू, जाव, ,खरबूज, तरबूजा,राई सरसों कई जगहों पर चावल आदि धानो के प्रमाण पाए गए है | प्राचीन समय में लोगो का खान पान उसके जीवन के स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखता था | जिससे उनका जीवन अधिक दिनों तक चलता था |

Cosmetics found : हड़प्पा सभ्यता में  प्राप्त श्रीगार  के सामान

 

सजने सवारने ले लिए हड़प्पा सभ्यता में सोना, चादी, हाथी के दात, संख, सीपी, मनके से बने आभुसन का स्तेमाल करते थे | इनके वस्त्र सूती ऊनि वह कड़ाई किया हुआ पाए गए है | हड़प्पा सभ्यता के आज तक की खुदाई में कही भी अस्त्र शस्त्र या लड़ाई से जुडी सामग्री नही पाई गई है |

इससे यह पता चलता है कि यह सभ्यता शांति प्रिय सभ्यता थी | जो व्यापार वह विकास में विश्वास करती थी | इनकी लिखी चित्र लिपि को पढ़ पाना आज तक इतिहास कारो के लिए यह संभव नही हो पाया है | जब यह लिपि को पढ़ा जाएगा तब इस संभ्यता से जुड़े बहुत से राज खुल जाएगे सायद वह राज हम भारतीयों के लिए और भी गौरवान्वित करने में सक्षम होने |

इसी तरह के महवपूर्ण जानकारी के लिए sujhaw24.com के हमारे सोशल मिडिया साईट पर जारूर विजिट करे |

gif

Join WhatsApp Group Join Whatsapp Channel
Join Telegram Channel download 1 2

इसे भी पढ़े :-

1.Arastu Kon The : अरस्तू कौन थे जानिए उनके जीवन से जुडी महत्वपूर्ण जानकारी

2.Babasaheb Ambedkar : बाबासाहेब अम्बेडकर की शिक्षा के बारे में जानिए कितनी तकलीफों से गुजरकर उन्होंने अपनी पढाई की

3.Ambedkar Before Independence : डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का आजादी के पहले का जीवन

4.Shiv Temple of Devbaloda : देव बलौदा का शिव मंदिर देखिये सबकुछ

5.Co-Founder of Zepto : Zepto के Co Founder के जीवन से जुडी कहानी

 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top