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ToggleShiv Temple of Devbaloda : देवबलौदा का शिव मंदिर
देवबलौदा का शिव मंदिर छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिला में स्थित है इस मंदिर में दुर्ग जिला के ही नही बल्की देश प्रदेश के भी लोग यहाँ दर्शन करने आते है |
मंदिर का प्रांगन
Shiv Temple of Devbaloda : पूरातत्व शर्वेक्षण के अनुसार यह मंदिर ग्राम देवबलौदा के तहसील दुर्ग में स्थित है भगवान शिव जी का यह मंदिर है लगभग 14 वी शताब्दी में इस मंदिर का निर्माण किया गया है छःमासी मंदिर के नाम से यह प्रसिद्ध है क्योकि इस मंदिर का निर्माण आधा रात और आधा दिन को हुआ था या यु कहे की छः माह दिन का और छः माह रात को इस मंदिर का निर्माण किया गया |
जो छः माह रात को इस मंदिर में काम चल रहा था वही समय इसका निर्माण हुआ बताया जाता है | जिस तरह से इस मंदिर को मनाया गया है उसमे एक ही तरह के पत्थर का उपयोग किया गया है |
खंडित मूर्तियों का अवशेस
Shiv Temple में एक स्थान ऐसा भी आपको देखने को मिलेगा जिसमे खंडित मूर्तियों को रखा गया है | जहा पर आ कर लोग पूजा अर्चना भी करते है | इस मंदिर में भगवान शिव के लिंग पर भी यहाँ पूजा अर्चना करते है उसके साथ भगवान शिव पर लोग जल अभिषेक भी करते है |
इसके साथ इस मंदिर में पहुच कर मान्यता के अनुसार लोग बाकी मूर्तियों पर भी जल चढाते है | जो श्रद्धालु इस मंदिर में आते है वह अपनी मनो कामना भी भगवान शिव से मागते है | देव बलौदा के शिव मंदिर में एक प्रागं आपको देखने को एक वृक्ष देखने को मिलेगा वही पर ही पुराने मूर्तियों को रखा गया है |
मूर्तियों के बारे में
लोगो का यह कहाँ है कि प्राचीन समय का यह मूर्ति है इसी मंदिर में यह मूर्तियों को रखा गया था यह मूर्ति भूगर्भ से निकली हुई है | कुछ मान्यता यह भी है कि इस मंदिर में जो नाग नागिन का जोड़ा है वो जोड़े को बहुत से बार इस मंदिर में देखा गया है | यह मंदिर अपने साथ बहुत से मान्यताओ को सजोए हुआ है |
यह मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है ऐसा माना जाता है कि विश्व में यह मंदिर एक मात्र ऐसा मंदिर है जिसका गुम्मत अभी तक नही बन पाया है | लोगो बहुत बड़ी संख्या में भीड़ इस मंदिर में देखने को मिलता है |
देवबलौदा का शिव मंदिर की मान्यता
इस शिव मंदिर की और बहुत सारी मान्यता है ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण करने वाला जो कारीगर है वह छः माह से रात के समय में इस मंदिर का निर्माण किया है | यह विश्व का ऐसा मंदिर है जिसका गुम्मत आज तक नही बन पाया है | इस मंदिर के निर्माण में खास बात यह है कि रात के सैम में कारीगर मंदिर का निर्माण करने पहुचता था |
मंदिर में एक कुंड है उस मंदिर में कारीगर स्नान कर के नग्न अवस्था में इस मंदिर का निर्माण किया करता था |
देवबलौदा का शिव मंदिर के बारे में लोग ऐसा बताते है
यह शिव बाबा जी का एक नगरी है छः माह दिन और छः माह रात के समय इस मंदिर का निर्माण किया गया | पहले के बुजुर्ग लोगो इस मंदिर के बारे में बताते है कि इस मंदिर के आस पास जितने घरो का निर्माण हुआ है वह पहले के समय में पूरा जंगल था
इस मंदिर का जो निर्माण किया उसका माता पिता नही था उसकी जीवन साथी और उसकी एक बहन थी | इस मंदिर का निर्माण केवल एक ही कारीगर ने पुरे मंदिर को बनाया है लोगो का यह भी कहना है कि यह पत्थर आस पास के ईलाको में आपको देखने को नही मिलेगा |
कारीगर द्वारा शिव मंदिर का निर्माण
कारीगर के द्वारा बनाया गया विभिन्न कलाकृति जैसे घोडा, हाथी ये सारे कलाकृतियों को उसने अपने ही हाथो से बनाया था वह लगा तार हर रात को मंदिर बनाने के लिए पहुचता था मंदिर के अन्दर एक कुंड है वहा पर स्नान कर के वह निकल कर के नग्न अवस्था में ही इस मंदिर का निर्माण करता था |
निर्माण करते करते एक दिन ऐसा आया जब जब उसकी पत्नी के स्थान पर उसकी बहन जो खाना के कर के यहाँ पहुची | जब उसने देखा कि उसकी बहन यहाँ खाना ले कर पहुच रही है तो वह लज्जा के कारन अपनी बहन को देख कर क्योकि वह नग्न अवस्था में है |
ऐसा लोगो द्वारा बताया जाता है कि ऐसे में वह जो कारीगर है वह अपनी बहन के सामने न पहुचने के कारन वह अपने आप को छुपाने के लिए उन्होंने वहा बने प्राचीनतम कुंड में छलाग लगा दिया |
कुंड का पानी कभी ख़त्म नही होता
लोगो का यह कहना है कि मंदिर में स्थित कुंड का पानी कभी ख़त्म नही होता है आज तक वह कुंड को कभी किसी ने सूखते हुए नही देखा है काफी इस कुंड में मच्छलिया है जो इस कुंड में आपको देखने को मिल जाएगा | इस कुंड में आपको कछुए भी देखने को मिल जाएगा |
ऐसी मान्यता है कि जो कुंड में कारीगर कूदा वह कूदने की बाद आज तक वह इस कुंड से बहार नही आया है यह भी कहा जाता है कि इस कुंड से एक सुरंग निकलती है जो आरंग में जा कर निकलती है ऐसे में उस कुंड से कारीगर आरंग के रस्ते जो सुरंग निकलती है वहा से निकला होगा |
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