hasdeo Jungle : हसदेव जंगल
हसदेव जंगल छत्तीसगढ़ राज्य में स्थित एक बहुत ही सुन्दर और विविधता से भरपूर जंगल है| इस जंगल का क्षेत्रफल 170000 हेक्टेयर है| जो बहुत विशाल जंगल है| यहाँ पर विभिन्न प्रकार के प्राणी, जीव-जंतु का निवास है| यह जंगल भूमि संरक्षण और प्रदुषण मुक्त के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण जंगल है| hasdeo jungle को छत्तीसगढ़ का फुफ्फुस कहा जाता है| इस जंगल में गोंड आदिवासी समुदायों का घर भी है| इस जंगल में कोयले के लगभग 23 भंडार या खदान है |
Cole mine in hasdeo forest : हसदेव जंगल में कोयला भंडार
hasdeo jungle में कोयले के बहुत सरे श्रोत या भंडार पाए गए है| हसदेव जंगल में पेड़ो के निचे कोयले का भंडार है इसलिए सरकार द्वारा आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने का हवाला देकर अपनी चाल चल रही है| और सरकार यह जंगल कटवा रही है जिससे उसे भी फायदा हो सके | इसी कोयले के भंडार की वजह से केंद्र सरकार ने यह जंगल कटवाने का निर्णय लिया था|
केंद्र सरकार ने खदान के खनन के लिए नीलामी की थी| और इस नीलामी में अडानी ग्रुप प्रथम आये | नीलामी होते ही जंगल की कटाई शुरू हो गयी और वहां के ग्रामीणों का कहना था की पेड़ काटते ही जंगल मैदानी भागो में बदल गया | 1,70,000 हेक्टेयर में से 137 एकड़ जंगल की कटाई हो गयी है|
save hasdeo jungle movement : हसदेव जंगल बचाओ आन्दोलन
हसदेव जंगल बचाओ आन्दोलन बहुत जरुरी आन्दोलन है | यह आन्दोलन जंगल में पेड़ो की कटाई के खिलाफ वहां रहने वाले आदिवासी समूहों का संघर्ष है| यह आन्दोलन उस जंगल को बचाने के लिए है जहाँ पर विभिन्न प्रकार के जीव-जंतु का समूह जैसे हाथी, बन्दर, शेर और छोटे-छोटे जीव आदि का निवास स्थान है इसके साथ-साथ वहां आदिवासी समुदायों का निवास भी है| यह जंगल 82 प्रजातियों और 167 प्रकार की वनस्पतियों का घर है| इसमें प्राचीन साल और सागौन भी है| ग्रामीण जंगल को काटने से बचाने के लिए बहुत संघर्ष कर रहे है| इस जंगल को बचाने के लिए चिपको आन्दोलन भी किया गया |
ग्रामीणों का कहना :- वहां रहने वाले आदिवासी समुदाय का कहना है की ये क्षेत्र 5 वीं अनुसूची में आता है| ऐसे में वहां खनन करने के लिए ग्राम सभा में जनता की मंजूरी जरुरी है| लेकिन ग्रामीणों का कहना है की जंगल में खनन के लिए फर्जी ग्राम सभा बनाकर पेड़ काटने की अनुमति दी गयी थी| ग्रामीणों का ये भी कहना है की लगभग एक दशक से कंपनी के लोग कोयले के लिए hasdeo के लाखो पेड़ काट रहे है|
यहाँ 9 लाख पेड़ो की कटाई की जानी है, जिसके बाद 23 कोल खदान बनायेंगे | अभी फिलहाल जंगल की कटाई बंद की गयी है, क्योंकि ग्रामीण आदिवासी समुदायों ने जमकर आन्दोलन किये थे लेकिन ग्रामीणों को फिर से दर है की जैसे ही आन्दोलन कमजोर पड़ेगा फिर से वहां पेड़ो की कटाई शुरू हो जाएगी|
government move : सरकार की चाल
- पहली बात ये की इस जंगल के बारे में जानते हुए भी सरकार ने इसे काटने की अनुमति इतनी आसानी से कैसे दे दी |
- सरकार वहां के आदिवासी समुदाय, छोटे-छोटे जीव-जंतु, वन्यप्राणी आदि के बारे में न सोचकर सिर्फ कोयले के लिए इतने सारे पेड़ कटवा दिए |
- जंगल आज के समय में इतना महत्वपूर्ण हो गया है फिर भी सरकार को यह समझ नहीं है की अगर जंगल काटे गए तो उससे वहां रहने वाले समुदायों और जीवो के साथ-साथ पुरे भारत को कितना नुकसान होगा| वैसे भी जलवायु परिवर्तन इतनी तेजी से बढ़ रहा है ऊपर से ये सरकार की ही चाल है की अपने लालच के लिए ये जंगल कटवा रहे है|
- इस आन्दोलन में कई लोग घायल हुए कईयो की जान गयी फिर भी सरकार इंसानों से ज्यादा कोयले के बारे में सोच रहे है, इंसानों को लोलीपोप देकर उन्हें बेवकूफ मान रहे है और इन्सान बन भी रहे है |
- केंद्र सरकार ने अपने ही चहेते अडानी ग्रुप को ये प्रोजेक्ट दिया |
greed of industrialists : उद्योगपतियों का लालच
- उद्योगपतियों का लालच आजकल इतना बढ़ गया है की उन्हें प्रकृति, पर्यावरण, प्रदुषण से कोई मतलब नहीं है |
- ये ऐसे लोग है जिन्हें देश और उसकी आम जनता से कोई मतलब नहीं है, ये अपने काम के लिए इंसानों को ही बकरा बनाते है, ये अपने कर्मचारी को न ही ठीक से वेतन देते है न ही उनके सेहत के बारे में सोचते है, दिन-रात काम कराते है, ताकि उनका व्यापर चल सके और बड़ा भी हो सके लेकिन आम इन्सान जो उसके व्यापर को बड़ा करने में उसकी मदद कर रहा है उसके बारे में नहीं सोचते |
- ये उद्योगपति न ही climate change, pollution, carbon emission, सुखा, छोटे-छोटे जीव-जंतु के बरे में सोचते है बल्कि इन्हें कुछ पता भी नहीं होता | और इन्हें इन सबसे मतलब भी नहीं होता क्योंकि मरेंगे तो आम आदमी ही ये तो अमीर है कहीं भी चले जायेंगे लेकिन ये जंगल में रहने वाले बेचारे आम इन्सान क्या होगा उन लोगो का ?
- इन्हें किसी की कोई परवाह नहीं है ये अपने लालच में इतने डूब गए है की बस पैसो से मतलब है|
- ये देश में इतने बड़े-बड़े कारखाने, उद्योग आदि लगा दिए है, जिससे प्रदुषण, वातावरण, तापमान कितना सबकुछ इधर-उधर हो रहा है फिर भी कभी नहीं सोचते ये ऐसे लोग है जो अपना हाथी के जैसे भरकर आम इन्सान के लिए एक रोटी भी नहीं छोड़ते |
बात यहाँ सिर्फ हसदेव जंगल की ही नहीं जंगल से जुड़े हम सभी से हो रही है| जिनके लिए पेड़, जंगल बहुत महत्वपूर्ण है उनके बारे में है| अगर ऐसे ही ये सब बढ़ता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब आप के पास शुद्ध हवा न हो, पीने के लिए पानी न बचे, हर तरफ प्रदुषण नजर आये, गरीबी में इन्सान मर रहे हो, भूख से बेचैनी हो,आदि |
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