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ToggleBiography in kavi tulsidas | कवी तुलसीदास जी का जीवन परिचय
Biography in kavi tulsidas : तुलसीदास जी का जन्म सन 1554 में बांदा जिले के राजापुर गाँव में हुआ था | वे सरयूपारीण ब्राम्हण थे | उनके पिता जिया का नाम आत्माराम दुबे तथा उनकी माता जी का नाम तुलसी बाई था | नर हरिदास जी का उन्होंने शिश्तव ग्रहण कीया था | बचपन में ही तुलसीदास जी ने पाने माता पिता को खो दिया जिसके करण उन्हें एक अनाथ बालक की तरह भटकना पड़ा | पंडित दीनदयाल पाठक जी की पुत्री के साथ इनका विवाह हुआ जिनका नाम रत्नावली था | जनश्रुति के अनुसार तुलसीदास जी का अपनी पति के साथ बहुत ही जादा प्रेम था | रत्नावली ने अपने प्रति ममतामयी प्रेम देखकर उन्हे फटकार दिया था |
अस्थि चरम माय देह मम , तामे जैसी प्रीती |
तैसी जो श्री राम महं , होत न तौ भवभीति ||
पत्नी की इस फटकार से तुलसीदास जी घर बार छोड़कर विरक्त हो गये और उन्होंने रत्नावली के उपदेश को जीवन में सार्थक कर दिखाया |
कवी तुलसीदास जी की रचनाये
तुलसीदास जी की 12 प्रमाणिक रचनाये है – जीनमे रामचरित मानस , गीतावली , विनय पत्रिका , कृष्णा गीतावली , जानकी मंगल , पार्वती मंगल , हनुमान बाहुक , रामाज्ञा प्रश्न , बरवै रामायण , रामलला , नहछ |
इनकी काव्य की विशेषताए
राम कि लोक पावन भक्ति की पूर्ण प्रतिष्ठा का श्रेय तुलसीदास जी को दिया जाता है | तुलसीदास के समकालिन भक्त कृषि नाभादास ने उन्हें कलयुग का वाल्मीकि कहा है | डॉ. ग्रियसर्न ने तुलसीदास को भक्तियुग का सबसे बड़ा लोकनायक सिद्ध किया है | तुलसीदास की सर्वगीन्ता उन्हें लोक – नायकत्व प्रदान करती है | हिंदी साहित्य के सुप्रसिद्ध आलोचक एवं इतिहासकार आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने तुलसीदास को हिंदी साहित्य का सर्वश्रेष्ठ कवी माना है |
तुलसीदास रचित रामचरित मानस की विशेषताए
1 रामचरित मानस कथा के वक्ता तीन है – शिव , याज्ञवलक्य , काकभुसंडी | श्रोता है – पार्वती भरद्वाज और गरुढ़ | तीनो श्रीताओ ने अपना मोह प्रकट किया है की कंही राम राम मनुष्य तो नही है | तीनो वक्ता जो कह रहे है वह इनका मोह छुड़ाने के लिए है |
2 रामचरित मानस एक प्रबंध काव्य है , जिसमे कथा का प्रवाह मग्न पाठक या श्रोता को असल बात की और ध्यान दिलाते रहेने की आवश्यकता समय समय पर उस कवी को अवश्य मालुम होगी जो नायक को ईश्वर के अवतार के रूप में दिखाना चाहता है |
3 तुलसीदास यद्यपि श्री राम जी अनन्ताय भक्त थे , पर लोक रीती के अनुसार अपने ग्रन्थ में गणेश वंदन पहले करके आगे बढ़ते है |
1.तज्यो पिता प्रहलाद , विभीषण बंधू , भरत महतारी
बलिंन गुरु तज्यो , केत ब्रज वनितन , भयेजन मंगलकारी ||
2.असुर मार थापही सुरन्ह , राखही निज श्रुति सेतु |
जग विस्तारहींविमल जस , राम जन्म कर हेतु
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