Biodiversity and classification || जैव – विविधता एवं वर्गीकरण
Biodiversity and classification : अरस्तु – सबसे पहले अरस्तु ने जीवो को उसके आवास के आधार पर सहुहिकृत किया | अरस्तु को पुरे दुनिया का सबसे प्रसिद्ध दार्शनिको में से एक माना जाता है | उन्होंने भौतिक, नाटक, अध्यात्म, कविता, संगीत, नीतिशास्त्र, राजनीति आदि बहुत से विषयों में कई ग्रंथ लिखे थे | महान दार्शनिक अरस्तु का जन्म 384 ईसा पूर्व यूनान में हुआ था | उनही मृत्यु 322ईसा पूर्व में हुई थे | अरस्तु ने जीवो के आवास के आधार पर 3 श्रेणियों में विभाजित किया
- स्थलीय
- जलीय
- वायवीय जीव
ये जीव क्रमशः भूमि, वायु और जल पर रहते थे |
जांन रे – सन 1686 में जांन रे ने पौधों के बाह्य लक्षणों को आधार मान कर वर्गीकृत किया | जांन रे के वर्गीकरण में पौधों को दो अंकुर पत्तियों या केवल एक पौधों में विभाजित करना था, जो आज के वर्गीकरण में उपयोग किया जाने वाला विभाजन है |
कैरोलस लीनियस ( Carolus Linnaeus ) – कैरोलन लीनियास ( 1707 – 1778 ) को वर्गिकी का जनक कहा जाता है जिन्होंने ही द्विनामकरण की पद्धति प्रस्तुत की | इस पद्धति के अनुसार किसी भी जीव का नाम दो शब्दों से मिलकर बना होता है | जिसमे पहला शब्द जीव के वंश को दर्शाता है और दूसरा शब्द जीव की जाति को बताता है |
गुणों में समानता के आधार पर समूह बनाने की प्रक्रिया को समूहीकरण (Grouping) कहते है | इसका मतलब यह होता है कि वस्तुओ को समान या असमान गुणों के आधार पर वर्गों में बांटना |
वर्गीकरण ( Classification )
समानताओ और विभिन्नताओ के आधार पर जीवो को विभिन्न समूह में विभाजित करना वर्गीकरण कहलाता है |
“जैव विविधता” शब्द की खोज – जैव विविधता शब्द की खोज सबसे पहले अमेरिकी वैज्ञानिक वाल्टर जी. रोसेन ने साल 1986 में किया था | जैव विविधता शब्द, जीवविज्ञान और जीवो की विविधता का संक्षिप्त रूप है यह ग्रह पर मौजूद पौधों, जानवरों, कवक, और सूक्ष्मजीवो की सभी प्रजातियों और उसके बीच होने वाली पारिस्थितिक अंतःक्रियाओ को बताता है |
युग्लीना – एक कोशिकीय जीव युग्लीना में जंतु तथा पौधे दोनों के लक्षण पाए जाते है | यह एक जटिल आतंरिक संरचना वाला एककोशिकीय जीव है जिसमे एक सिकुड़ने वाला रिक्तिकाए शामिल होती है जो पानी और एक लाल आईस्पार्ट को बहार निकलता है यह प्रकाश संश्लेषक रूपों में एक क्लोरोप्लास्ट होता है उनके पास में दो फ्लैगेला होता है जिसमे से एक लंबा, वही दूसरा छोटा होता है, जो जीवो को हिलने – डुलने की अनुमति दे सकता है |
व्हिटेकर का वर्गीकरण ( Whittaker’s classification )
जाति को वर्गीकरण की इकाई कहते है | व्हिटेकर ने संपूर्ण जीव जगत को पाच जगतो में वर्गीकृत किया |
- मोनेरा
- प्रोटिस्टा
- फंजाई
- प्लाटी
- एनिमेलिया
जगत मोनेरा ( Kingdom Monera )
जगत मोनेरा के अंतर्गत सभी एक कोशिकीय, झिल्ली रहित केद्रक वाले जीव आते है | इस जगत से संबंधित जीव जंतुओ के शरीर, पौधों, गहरे समुद्र और गर्म झरनों में पाए जा सकते है |
फंजाई जगत ( Kingdom Fungi )
फंजाई जगत कवक के अधिकास जीव तंतुमयी होते है | फंजाई जगत का अधिकास जीव तंतुओ का जाल बनाते है जिसे कवक जाल कहते है | विज्ञान की वह शाखा जिसमे कवको का अध्ययन होता है उसे माइकोलाजी कहते है |
शैवाल तथा कवक की सहजीविता से बना एक समुदाय “लाइकेन” है | लाइकेन एक जटिल जीवन रूप है जो अलग अलग जीवों, एक कवक और एक शैवाल की सहजीवी साझेदारी है | जिसमे से प्रमुख रूप से भागीदार कवक का होता है जो लाइकेन को इसकी अधिकांश विशेषताए प्रदान करता है |
शैवाल स्वपोषी ( algae autotrophs )
शैवाल एक सरल सजीव है अधिकांश शैवाल पौधों के समान सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया कर के अपना भोजन स्वयं बनाते है |
कवक परजीवी ( Fungal parasites )
परजीवी कवक जीवित जीवो पर हमला करते है उनकी बाहरी सुरक्षा को भेदते है, उन पर आक्रमण करते है, और जीवित कोशिका द्रव्य से पोषण प्राप्त करते है, जिससे रोग होता है और कभी कभी मेजबान की मृत्यु भी हो जाती है अधिकांश रोगजनक कवक पौधों के परजीवी होते है |
अनावृतबीजी ( gymnosperm )
अनावृतबीजी वर्ग के पौधे के बीज नग्न होते है | आवृत्तबीजी वर्ग के दो उपवर्ग है – 1. द्विबीजपत्री, 2. एकबीजपत्री |
जगत प्लाटी ( Jagat Plati )
जगत प्लाटी ( पादप ) के सभी जीव बहुकोशिकीय तथा यूकैरियोटिक कोशिका वाले होते है | उनकी कोशिकाए सेल्युलोज से बनी होती है और अधिकांश में परिवहन की सुविधा होती है पौधे जीवो का एक विविध समूह है |
जंतु जगत ( एनीमेलिया ) के जीव बहुकोशिकीय, विषमपोषी तथा यूकैरियोटिक कोशिका वाले होते है |
किसी भी जीव का वर्गीकरण ( Classification of organisms ) में स्थान निर्धारित कर उसे एक निश्चित नाम देने को “नामकरण” कहते है |
कैरोलस लीनियस ( Carolus Linnaeus) ने संपूर्ण जीव जगत को जंतु जगत तथा पादप जगत दो जगत में विभाजित किया | उन्होंने सभी जीवो को दो जगतो में विभाजित किया | जिन जीवो को पादपो और जानवरों में विभाजित किया गया | उसके विभाजन में युकेरियोटक और प्रोकेरियोटिक में कोई अंतर नही था |
जीव को वैज्ञानिक नाम देने वाली द्विनाम पद्धति में जीव का नाम दो शब्दों में होता है – पहला जीनस(वंश) का व दूसरा स्पीशीज(जाति) का |
जीवो को पाँच जगतो में विभाजित किया गया है –
- मोनेरा जगत
- प्रॉटिस्टा जगत
- फंजाई ( कवक ) जगत
- प्लाटी ( पादप ) जगत
- एनीमेलिया ( जंतु ) जगत
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