Table of Contents
ToggleBhoramdev Temple || भोरमदेव मंदिर पर्यटन स्थल
Bhoramdev Temple : भोरमदेव मंदिर पर्यटन स्थल के साथ साथ धार्मिक स्थल भी है इस मंदिर के चारो तरफ सतपुड़ा के मैकल पर्वत श्रेणी है इनके मध्य हरी भरी घाटी के बीच यह मंदिर है | इस सुन्दर हरी भरी पहाडियों के बीच एक सुन्दर सा तालाब है जहा पर बोटिंग भी किया जाता है |
पर्यटक जब इस तालाब में नाव से घूमते है तो इस तालाब के आप पास के बीच रही भरी वातावरण को देख कर मन को बहुत शांति मिलती है और घुमने वाले पर्यटक किसी स्वर्ग में घूम रहे है ऐसा महसूस करते है | चुकी भोरमदेव एक प्राकृतिक वातावरण में बसा है इस मंदिर के सुन्दर नज़ारे में अपना अलग ही आकर्षण है | मैकल के पहाडियों के बीच यहाँ का सुन्दर वातावरण लोगो का मन मोह लेने वाला प्रतीत होता है | इस सुन्दर दृश्य के बीच भगवान भोरमदेव का दर्शन लोगो के मन को बहुत भाता है |
भोरमदेव मंदिर किस तरह दिखाई देता है
bhoramdev temple का मुख पूर्व की ओर है इस मंदिर का तीन द्वार है यानि इस मंदिर में आप तीन ओर से प्रवेश कर सकते है | तीनो हो प्रवेश द्वार से होते हुए सीधे इस मंदिर के मंडप में प्रवेश किया जा सकता है | इस मंडप के बीच में चार खम्भे तथा इसके किनारे में 12 खम्भे और इसके छत को कुल 16 वह कलात्मक खम्भों से सम्हाल कर रखा है |
इस मंडप में लक्ष्मी, विष्णु, गरुढ़ की मूर्ति तथा भगवान के ध्यान में बैठा हुआ एक राज पुरुष के मूर्ति को भी रखी गई है | अगर आप गर्भ गृह की तरफ जाते है इस मंदिर के चारो ओर विष्णु, शिव, चामुंडा तथा गणेश की मुर्तिया लगी हुई है |
भोरमदेव मंदिर के बाहरी दीवार पर
इस मंदिर के बाहरी दीवार पर अलग अलग काम सूत्र आसन के 54 कामूख मूर्तियों की नक्कासी बड़ी सुन्दरता के साथ की गई है | इस तरह से बड़ा ही अद्भुद है भोरम देव का यह एतिहासिक मंदिर |
दूल्हादेव
Bhoramdev मंदिर के पास में एक किलो मीटर की दुरी में एक सुन्दर स्मारक भी स्थित है जहा पर एक और प्रसिद्ध शिव मंदिर है जिसे मडवा महल के नाम से जाना जाता है | इस मंदिर में विवाह संपन्न कराए जाते है इस वजह से इसे दूल्हादेव भी कहा जाता है |
विवाह में मंडप का प्रयोग होता है और छत्तीसगढ़ में मंडप को मडवा कहा जाता है इससे आप समझ ही गए होगे की इसका नाम मडवा महल क्यों रखा गया है यह नागवंशी शासन और हेहेवंशी विवाह के स्मारक के रूप में भी जाना जाता है | ऐसा कहा जाता है कि इसका निर्माण 1349 ईस्वी में फानी नागवंशी शासक राम चन्द्र देव ने करवाया था | मड़वा महल ने फानी नागवंशी शासको की वंशावली चिन्हित की गई है |
इस मड़वा महल के दो प्रमुख भाग है एक भाग में शिव मंदिर वही इस मंदिर के दुसरे भाग में मंडप का निर्माण हुआ है यह मंडप 16 स्तंभों पर टीका हुआ है | यह सभी सिल्प कई अलग अलग कलाकृति का प्रतिक देते हुए आपस में जोड़ कर बनाया गया है |
भोरमदेव मंदिर के गुम्मद रहस्य
जैसे ही इस मडवा महल के गुम्मज के रहस्य के बारे में बताया जाता है तो इसका निर्माण 6 माह के रात्री काल में हुआ था जो की आखरी रात्रि में सुबह हो जाने के कारण गुम्मद का कार्य पूरा नही किया जा सका | bhoramdev temple के दीवारों में नग्न और कामूख मुर्तिया भी विद्यमान है इस मंदिर की विशेषता में से एक है |
इस मंदिर को छत्तीसगढ़ का खजुराहो भी कहा जाता है Bhoramdev मंदिर के बाहरी दीवारों पर मैथुन क्रिया करते हुए मुर्तिया इस मंदिर के चारो तरफ दिखाई देती है जिनकी नकासी खजुराहो के तर्ज पर ही की गई है | Bhoramdev मंदिर का गर्भ द्वार काले चमकीले पत्थरों से बनाया गया है | जो इस मंदिर के खूबसूरती को और बढ़ता है |
इसी तरह के महत्वपूर्ण जानकारी के लिए sujhaw24.com के हमारे सोशल मिडिया वेबसाईट पर जारूर विजिट करे |
Join WhatsApp Group | |
Join Telegram Channel |
इसे भी पढ़े :-
2.Mukherjee Nagar in Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ का मुखर्जी नगर किसे कहते है और वह कहा स्थित है
3.Silver City of India : भारत का सिल्वर सिटी किसी कहा जाता है जानिए क्या कुछ ख़ास है यहाँ