Big News Uttarakhand fire effect : उत्तराखंड अग्नि कांड के क्या है ग्लेशियर पर प्रभाव

 

Big News Uttarakhand fire effect | उत्तराखंड अग्नि कांड के क्या है प्रभाव

Big News Uttarakhand fire effect : कुछ समय पहले भारत के उत्तराखंड राज्य के जंगलो में आग लगनी की बहुत बड़ी घटना सामने आई थी जिसमे हजारो हेक्टेयर जंगल जल कर नष्ट हो चुका है | इसमें कई जीव जन्तुओ ने अपने जान गवा दिए है | उत्तराखंड के जंगलो में आग अलने का प्रमुख कारण धरती के तापमान में वृद्धि है | गर्मी के समय में अक्सर यह घटना देखने को मिलती है | गर्मी में तापमान अधिक होने के कारण याह के अज्न्ग्लो में मौजूद चीड के पेड़ और उनके पत्तों में तुरंत आग लग जाती है |

उत्तराखंड के जंगलो में लगी आग से राज्य के दो मंडल प्रभावित है , जिसमे कुमाऊ मंडल में नैनीताल और अल्मोड़ा जिले के जंगलो में अभी भी आग भड़की हई है | गर्मी के दिनों अक्सर यहाँ पर ऐसे ही अग्नि कांड देखने को मिलते है | उत्तराखंड आग्नि कांड के चले जंगलो में लगी आग पर काबू पाने के लिए सरकार पूरी कोशिश क्र रही है | इस आग को बुझाने के लिए सरकार वायु सेना की सहायता ले रही है |

उत्तराखंड अग्नि कांड
उत्तराखंड अग्नि कांड

 

सबसे ज्यादा भीषण आग उन जंगलो में लगी है जहा पर चीड के पेड़ मौजूद है क्युकी चीड बहुत ही ज्वलनशील होती है | ये जल्दी ही आग पकड लेती है | हरमी के दिनों में ताप अधिक होने के कारण जंगलो के पेड़ से लीसा निकल जाता है जो अज्न्ग्लो के आग को और अधिक भड़का रहे है |

उत्तराखंड अग्नि कांड के प्रभाव

उत्तराखंड के जंगलो में लगी आग के कारण वातावरण में कार्बन की बहुत अधिक हो गयी है जिससे लोगो को सांस लेने में समस्या हो रही है | यहाँ के जंगलो में लगी आग के धुंए ग्लेशियर तक पहुँच चुकी है , कार्बन के कण ग्लेशियर के उपरी साथ पर चिपक गये है जिससे ग्लेशियर की उपरी परत गर्न हो रही है उअर ये धीरे धीरे पिच्घर रहे है |

बीते दिनों उत्तराखंड अग्नि कांड में पांच जिलो के जंगलो में भीषण आग लगी हुयी थी भले जंगलो में लगी आग बुझ चुकी है , लेकिन इसके बुरे प्रभाव हिमालय के ग्लेशियर में दिखने लगे है | वाडिया भू – विज्ञान संस्थान की ताजा जारी की गयी रिपोर्ट के अनुसार हिमालय के ग्लेशियर में इसके ऊपर परत में कार्बन के कण सामान्य से ज्यदा हो चुकी है | यह पर कार्बन की मात्र बढ़कर 1899 मैनोग्राम हो चुकी है |

वाडिया इंस्टिट्यूट के ही पूर्व ग्लेशियर वैज्ञानिक डॉ. डीपो डोभाल ने अपने बयान में यह बताया है की पिछले साल की सर्दी के मौसम में यहाँ पर औसत से काम हिमपात हुआ था और अब उत्तराखंड अग्नि कांड में जंगलो में लगी आग ने हुए वायु प्रदुषण से हिमालय का ग्लेशियर ब्लैक कार्बन के चपेट में आ गया है | ये कार्बन के कण गर्म होते है , जो हिमालय के ग्लेशियर के उपरी सतह पर चिपक जाते है और ग्लेशियर के पिघलने की तीव्रता को बाधा देते है |

पिघलता हिमालय का ग्लेशियर
पिघलता हिमालय का ग्लेशियर

 

उत्तराखंड अग्नि कांड के नतीजे

रिसर्च के अनुसार ब्लैक कण 1 सप्ताह तक वायु में मौजूद रहते है और ग्लेशियर पर चिपक रहे है | कार्बन के ये ब्लैक कण सूर्य के किरणों को बहुत ही तेजी से सोखते है , यही कारण है की ग्लेशियर के उपरी सतह तेजी से गर्म हो रहे है जिससे हिमालय के ग्लेशियर के पिघने की गति बढ़ गयी है |

उत्तराखंड में स्थित अन्तरिक्ष उपयोग केंद्र के पूर्व निदेशक और ग्लेशियर पर 34 सालो तक शोध करने वाले वरिष्ठ भू-गर्भीय वैज्ञानिक डॉ. एमपीएस बिष्ट बताते है इस साल उत्तराखंड के 7 जिलो में करीब 20 दिनों तक भयानक आग लगी रही थी इस आग में 1450 हेक्टेयर जंगल जल कर नष्ट हो गये है | इस आग के धुएं अब भी हवाओ में मौजूद है | इसका असर चमोली के ऋषि गंगा कैंट के दक्षिणी ढलान के ग्लेशियर में साफ़ तौर पर दिखाई से रहा है |

उत्तराखंड के अन्तरिक्ष उपयोग केंद्र द्वारा जारी की गयी रिपोर्ट के अनुसार बीते 37 साल में जंगल की आग और कार्बन कणों के कारण हिमालय के बर्फ से ढके रहने वाले क्षेत्र 26 वर्ग किलोमीटर तक घाट चुके है |

नंदा देवी बायोस्फियर रिजर्व के ऋषि गंगा कैचमेट का कुल 243 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र पूरा बर्फ से ढाका रहता था जो अब वर्तमान में केवल 215 वर्ग किलोमीटर तक ही रहा गया है |

ब्लैक कण
ब्लैक कण

 

पिछले बीते सालो में कितना नुकसान

उत्तराखंड में  अक्सर गर्मी के दिनों में जंगलो में आग लग जाती है जिससे कई हेक्टेयर जंगल जल कर समाप्त हो जाते है | उत्तराखंड राज्य वन विभाग के जारी आकड़ो के अनुसार पिछले बीते 20 सालो में करीब 44 हेक्टेयर जंगल जल कर नष्ट हो चुके है | वातावरण के तापमान में 1 डिग्री की भी बढ़ोतरी होने पर हिमालय के ग्लेशियर पर इसका बहुत ही बुरा असर देखने को मिल जाता है |

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