Water in India : भारत में पानी
भारत में 33 लाख वर्ग किलोमीटर के में इस्तेमाल होने वाला पानी उपलब्ध है| भारत की कुल भूमि का लगभग 2.4% पानी से ढका हुआ है| इनमे नदियाँ,झीले, तालाब, दलदल, और ग्लेशियर शामिल है| भारत में कूल मीठे पानी का अनुमानित 70% हिमालय में ग्लेशियरो और हिमनदों के रूप में है| शेष मीठा पानी नदियों, झीलों, तालाबो, और भूजल में पाया जाता है| भारत में दुनिया की 16% आबादी रहती है,परन्तु देश में सिर्फ 4% पानी है|
भारत में हर साल लगभग 4,000 क्यूबिक किलोमीटर पानी बारिश से मिलता है,इसमें से 1869 क्यूबिक किलोमीटर सतही जल से और पुनः पूर्ति योग्य भूजल से उपलब्ध है| भारत में तालाबो,टैंको, और झीलों जैसे 24.24 लाख जल निकाय है| पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा 7.47 लाख जल संरचनाये है| सेन्ट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड की 2017 की एक रिपोर्ट के अनुसार 700 में से 256 जिलो में भूजल का स्टेटस बहुत नाजुक है| भारत में दुनिया की 18% जनसँख्या रहती है| लेकिन विश्व भर के सभी जलश्रोतो में केवल 4% जलश्रोत भारत में है|
भारत में पानी का उपयोग और संकट : water use and crisis in India
भारत में जल की अधिक मात्रा का उपयोग खेती, निर्माण, पेयजल, और औद्योगिक जैसे क्षेत्रो में अधिक होता है| विश्व बैंक के अनुमान के अनुसार भारत करीब 230 घंटे किलोमीटर भू-जल का नामांकन करता है| सिंचाई का लगभग 60% और घरेलु इस्तेमाल का लगभग 80% जल भू-जल होता है| भारत में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन पानी की खपत औसत दर 135 लीटर है| एक औसत शहरी भारतीय प्रतिदिन लगभग 150 लीटर जल का उपयोग करता है|
इसी के साथ भारत में जल संकट का खतरा मंडरा रहा है, एक रिपोर्ट के अनुसार वैसे भी भारत 10 साल पहले भीषण जल संकट की स्थिति में आ गया है| अन्तर्राष्ट्रीय मानक है की प्रति व्यक्ति जल की 1700 क्यूबिक मीटर से कम उपलब्धता वाले देश वाटर स्ट्रेस्ड कहे जाते है| भारत में प्रति व्यक्ति 1486 क्यूबिक मीटर पानी सालाना उपलब्ध है| और भारत इस स्तर से 2011 में ही पिछड़ गया है|
इसकी मूल वजह ये है की हम जमीन से पानी का उपयोग कर्ण एके मामले में दुनिया में 1 में है| भारत में 1869 बिलियन क्यूबिक मीटर जल है| बड़ा हिस्सा भौगोलिक वजहों से उपलब्ध नहीं हो सकता | और 1061 बिलियन क्यूबिक मीटर सतही जल और भू-भाग का जल भारतीय हर साल उपयोग कर रहे है| 92% भू-भाग का जल सबसे ज्यादा खेती में हो रहा है| 5% औद्योगिक, 3% घरेलु उपयोग में जा रहा है|
नदियों की स्थिति देखे तो 10 साल पहले भारत में लगभग 15 हजार नदिया थी लेकिन 4500 नदिया सुख गयी और अब सिर्फ बरसाती नदिया बची है| इन सब वजहों से भारत में पानी की कमी हो रही है और जल स्तर कम होता जा रहा है|
भारत के हिवरे बाजार (महाराष्ट्र ) और चेन्नई में पानी का अंतर
1.महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में एक गाँव अत है,हिवरे बाजार | IIT रूडकी की एक रिसर्च के अनुसार यहाँ 300 परिवारों में करीब 1600 लोग रहते है, 30 साल पहले यह गाँव अत्यधिक सूखे की चपेट में था| गाँव की 800 हेक्टेयर में से सिर्फ 12% जमीन पर ही सिंचित बचा था| 180 परिवार गरीबी में जीवन यापन कर रहे थे| उसके बाद गाँव वाले मिलकर पानी बचाने के लिए मुहीम चलाई इसलिए आज के समय में हिवरे बाजार देश का सबसे आमिर गाँव है|
2.बारिश का पानी बचाने के लिए पहाडियों पर 40 हजार से अधिक गड्ढे खोदे गए है| इसलिए वहां का जल स्तर भी सही रहता है और तालाबो ने भी जल भरा रहता है| इस कारन से वहा के किसान हर साल तीन फसल ले रहे है| परिवर्तन के पीछे इस गाँव द्वारा ली गयी वो तीन शपथ थे…
1. बोरवेल से खेती नहीं होगी|
2. कम पानी वाली फसल लेंगे|
3. पेड़ नहीं काटेंगे| यहाँ पहले प्रति व्यक्ति आय 300 थी जो अब 30,000 हो गयी है| और यहाँ 70 परिवार करोड़ पति है| अब यहाँ 40 फीट पर भू-जल मिल जाता गई| इसलिए यहाँ अब लोग बहुत खुसी से अपना जीवन यापन कर रहे है|
3.70.9 लाख आबादी वाला चेन्नई शहर देश के सबसे ज्यादा बारिश वालो शहरो में से एक है| अन्ना विस्वविद्यालय के रिसर्च के मुताबिक शहर में औसतन हर साल 1400 मिमी बारिश होती है| इसके बावजूद 2019 में शहर के चारो बड़े जलाशय जुलाई में ही सुख गए थे| और चेन्नई सूखे की चपेट में आने वाला दुनिया का पहला शहर भी बन गया था| चेन्नई की तीन नदिया कोसाथलियार, कुउम, और अडयार और बकिंघम लेक अब पूरी तरह नालो में बदल गयी है|
4.शहर में भू-जल स्तर 200 से 300 फीट निचे तक चला गया है| कभी चेन्नई में वाटर बोडिज 12.6 किलीमीटर में हुआ करती थी,जो अब घटकर 3.2 वर्ग किलोमीटर हो गया है| श्षर को आबादी के अनुसार हर दिन 1100 मिलियन पानी की आवस्यकता है| चेन्नई में 4000 से ज्यादा जल संरचना जैसे बावड़ी,तालाबो और कब्ज़ा हो गया है| हर व्यक्ति को प्रतिदिन 55 लीटर पानी ही मिल रहा है|
भारत में जल की कमी के कारण : reasons for water shortage in India
- जलवायु परिवर्तन
- जल का अत्यधिक उपयोग
- मांग में वृद्धि से
- सुखा और बाढ़ जैसे प्राकृतिक घटना से
- कृषि सम्बन्धी मांग के कारन
- अधिक जल गहन फसलो की खेती से
- असमान जल वितरण से
- भु-जल का अतिदोहन से
- प्रदुषण से
- अनियंत्रित जल प्रदुषण से
- शहरीकरन और अध्योगीकरण से
- ग्लोबल वार्मिंग से
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