supreme court case status | महामहिंम द्रौपदी मुर्मू ने क्या कहा भारतीय न्यायलयो को लेकर
supreme court case status : वर्तमान में भारत के राष्ट्रपति महामहिंम द्रौपदी मुर्मू जी है | जिन्होंने 1 सितम्बर को भारत में हो रहे बलात्कार को लेकर दुःख जताया और भारत में बालात्कार जैसे जघन्य अपराध के निर्णयों को लेकर आदालत में हो रही देरी को लेकर उन्होंने अपनी चिंता व्यक्त की है | न्यायलयो में निर्णयों ने होने वाली देरी के कारण लोगो को न्यायपालिका में संवेदनशीलता की कमी महासुस होती है | उन्होंने अपने बयान में न्यायपालिका में सांस्कृतिक बदलाव की आवश्यकता पर बहुत ही जोर दिया |
उन्होंने ख़ास कर आम तौर पर प्रचलित स्थगन की संस्कृति पर जोर दिया है | दरअसल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जिला न्यायपालिका के दो दिवसीय राष्ट्रिय सम्मलेन के समापन सत्र में बोलते हुए कहा की न्यायपालिका प्रणाली में लंबित मामलों पर मामलो पर सामने आ रही महत्वपूर्ण चुनौतियों पर प्रकाश डाला | उन्होंने न्यायलयो ने निलंबित मामलों के निपटारे के लिए विशेष लोक आदालत सप्ताह जैसे महत्वपूर्ण पहलों पर जोर दिए जाने का समर्थन किया | उन्होंने आगे कहा की सभी हित धारको को इस समस्या को प्राथमिकता दे कर इसका उचित समाधान ढूँढना चाहिए |
उन्होने हमारे देश में हो रहे अपराधो और उसके न्याय को लेकर दुःख जताते हुए कहा की कुछ मामलो में अधिक संपत्ति और साधन सम्पन्न लोग अपराध करने के बाद भी बेख़ौफ़ सामाज में घूमते है | उन्होंने आगे अपने भाषण में कहा की जो लोग अपने अपराधो से पीड़ित है वे इस डर में जीते है की जैसे उन्होंने कोई अपराध किया हो | और यह देश की न्याय व्यवस्था पर बहुत ही गम्भीर सवाल खड़े कर रहे है | इससे लोगो का भारत की न्याय व्यवस्था पर से विश्वास उठ रहा है |
उन्होंने अपने भाषण में गांवो को सम्मिलित किया और कहा की गांवो के लोग वर्तमान समय में भी आदालत जाने से डरते है | उन्होने कहा की वे बहुत ही मजबूर परिस्तिथि में ही आदालत की न्याय प्रक्रिया में भागीदार बनते है | और वे डर से ही अपने ऊपर हो रहे अन्याय को चुपचाप सह लेते है | इसका कारनी यह की आम लोगो को लगता है की आदालत के चक्कर में न्याय के लिए लड़ने से उसकी दशा और दयनीय हो जाएगी | उन्होने आगे पाने भाषण में गाँव को शामिल करते हुए कहा की गाँव के लोगो को गाँव से दूर एक बार भी आदालत जाना उनके लिए मानसिक और आर्थिक दबाव का कारण बनती है |
महामहिंम द्रौपदी मुर्मू ने कहा की ऐसी स्थिति में कई लोग उस पीड़ा की कल्पना भी नही कर सकते है को स्थगन की संस्कृति के कारण गरीब लोगो को होती है | भारत में इस स्थिति को बदलने के लिए हर संभव प्रयास किये जाने की जरूरत है | उन्होंने आगे कहा की बहुत लोग वाईट कोट हाइपर टेंशन के बारे में जानते है जसके कारण अस्पताल के माहौल में लोगो का बल्ड प्रेशर बढ़ जाता है | इसी प्रकार एक सामान्य व्यक्ति का भी मानसिक तनाव बढ़ जाता है |
किसे ब्लैक कोट सिंड्रोम कहा जाता है | उन्होने अपने भाषण में आगे जोड़ते हुए कहा की इसी घबराहट के कारण आम लोग अक्सर उन बातो को भी अपन पक्ष में कहने में अपन पक्ष में कहने में असमर्थ हो जाते है जिन्हें वे पहले से जानते है और कोर्ट के सामने कहना चाहते है |
महामहिंम द्रौपदी मुर्मू ने कहा की देश के हर एक न्यायालय के न्यायधीश और न्यायिक अधिकारियों का यह नैतिक जिम्मेदारी बनती है की वे धर्म सत्य और न्याय का सम्मान करें | न्याय के प्रति आस्था और श्रद्धा की भावना ही देश की प्रमुख परम्परा का हिस्सा रही है |
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