muria tribes of chhattisgarh | मुरिया जनजाति छत्तीसगढ़
muria tribes of chhattisgarh : मुरिया जनजाति छत्तीसगढ़ राज्य की सबसे प्रमुख जनजाति समुदाय में से एक है यह जनजाति छत्तीसगढ़ राज्य की आदिवासी इलाको में पायी जाती है | यह अपने कला संस्कृतियों के लिए पुरे प्रदेश भर में मशहूर है | यह छत्तीसगढ़ राज्य की कई अन्य जिलो में भी निवास करती है | मुरिया जनजाति में मुरिया जनजाति की मुरिया शब्द की युत्पत्ति मूल से मानी जाती है | muria tribes के लोगो को छत्तीसगढ़ राज्य के प्रमुख आदिवासी जिला बस्तर का प्राचीनतम मूल निवासी कहा जाता है | muria tribes को छत्तीसगढ़ की एक प्रमुख जनजाति गोंड जनजाति की ही उप-शाखा मानी जाती है |
मुरिया जनजाति छत्तीसगढ़ राज्य के कौन कौन से जिलो में पायी जाती है
muria tribes छत्तीसगढ़ राज्य के बहुत ही प्रसिद्ध और प्राचीन जनजाति समुदाय है | यह छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर जिले के मूल निवासी नामे जाते है | muria tribes अपनी धार्मिक मान्यताओं , कला संस्कृतियों और नृत्य के लिए पुरे प्रदेश भर में प्रसिद्ध है | यह छत्तीसगढ़ राज्य के केवल बस्तर जिले में ही नही बल्कि कई अन्य जिलो में भी निवास करती है जिनमे – जशपुर , दंतेवाड़ा , सुकमा , बस्तर , कोंडागांव , नारायणपुर शामिल है | इन जिलो में इस जनजाति के लोगी की संख्या अधिक है |
मुरिया जनजाति के लोगो का प्रमुख नृत्य
मुरिया जनजाति छत्तीसगढ़ राज्य की एक बहुत ही प्राचीन जनजाति समुदाय है यह जनजाति छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर जिले की मूल निवासी माने जाते है | muria tribes अपनी बहुत ही सुन्दर नृत्य के लिए जानी जाती है | इनके द्वारा कई तरह के नृत्य किये जाते है और ये नृत्य कई पर्वो के आधार पर किये जाते है |
- गेड़ी नृत्य – यह मुरिया जनजाति के द्वारा किया जाने वाल प्रमुख नृत्य है यह छत्तीसगढ़ राज्य का लोक नृत्य भी है | यह पुरे छत्तीसगढ़ की बहुचर्चि नृत्य है | इसे मुरिया समुदाय के द्वारा छत्तीसगढ़ के लोक पर्व हरेली के दौरान किया जाता है | इसमें कोई भी भाग ले सकता है | इसमें युवक युवती बांस की बनी गेड़ी में चढ़ कर समूह में नृत्य करते है |
- मांदरी नृत्य – यह मुरिया समुदाय के द्वारा किया जाने वाल एक बहुत ही प्रमुख नृत्य है इसमें किसी भी तरह का गाना नही गाया जाता है लोग इसमें मंदर के करताल पर नृत्य करते है |
- ककसाड नृत्य – यह एक तरह का धार्मिक नृत्य है जो मुरिया समुदाय के द्वारा किया जाता है | इस नृत्य में पुरुष कमर में घंटी और सर पर पगड़ी बांधते है और वे अपनी पगड़ी को कलगी , और कौड़ियो से सजाते है | इसमें युवतियां छोटे अकार के मंजीरा बजाते हुए मांदर के ताल ताल पर नृत्य करते है |
मुरिया जनजाति के देवता का नाम
मुरिया जनजाति छत्तीसगढ़ राज्य की एक प्रमुख जनजाति समुदाय है इस जनजाति को छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर जिले का मूल निवासी मानी जाती है | यह पुरे प्रदेश भर में अपनी सौन्दर्य बोध , कलातमक जरुझान और कला परम्परा के लिए जानी जाती है | इनकी धार्मिक मान्यता भी बहुत ही विशिष्ट है ये प्रकृति की पूजा इनकी प्रमुख मान्यता है और ये बुद्धदेव जी को अपना देवता मानते है | ये इन्हें पुरे कबीले का देवता मानते है |
मुरिया जनजाति समुदाय की कुछ ख़ास बातें
- muria tribes के लोग विवाह और अपने जीवन के प्रति प्रगतिशील दृष्टिकोण रखते है |
- मुरिया जनजाति के लोग सामूहिकता को प्राथमिकता देते है |
- यह जनजाति समुदाय एनीमिस्टिक और हिन्दू धर्म की सिद्धांतो का पालन करते है |
- मुरिया समुदाय के लोग कई तरह के पर्व मानते है जिनमे डंडारी का फसल उत्सव , नारायणपुर का नव वर्ष उत्सव शामिल है |
- इस जनजाति के लोग बांस से चटाई और टोकरी बनाते है |
- muria tribes के लोग कपड़ो की गुडिया आदि भी बनाते है |
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