sarangarh – bilaigarh chhattisgarh | सारंगढ़ – बिलाईगढ़
सारंगढ़ – बिलाईगढ़ छत्तीसगढ़ का 30 वां जिला बना | सारंगढ़ – बिलाईगढ़ जिला के रूप में 3 सितम्बर 2022 को अस्तित्व में | यह जिला पहले रायगढ़ जिले का हिस्सा हुआ करता था | और 14 देसी रियासतों में से एक था | याह पर भी गोंड राजो का शासन हुआ करता था | इन गोंड राजो ने दशहरा के दिन गढ़ विच्छेदन परम्परा की शुरुआत की थी जो आज भी जारी है | सारंगढ़ – बिलाईगढ़ में एक हवाई पट्टी थी | सारंगढ़ का अर्थ बांस किला से है | यहाँ पर काली मदिर है जो पुरे छत्तीसगढ़ में प्रसिद्ध है |
सारंगढ़ – बिलाईगढ़ का प्रशासनिक विवरण
सारंगढ़ – बिलाईगढ़ जिले का गठन 3 दिताम्बर 2022 को उस संत के तात्कालिक मुख्य मंत्री माननीय भूपेश बघेल जी के हाथो हुआ था | यह जिला छत्तीसगढ़ का 30 वा जिला के रूप में सामने आया | यह जिला पहले रायगढ़ जिले में मिला हुआ था | इसके सीमावर्ती जिलो में 1.जांजगीर – चांपा , 2.सक्ती , 3.रायगढ़ , 4.बालौदा बाजार , 5.महासमुंद आदि शामिल है |
सारंगढ़ – बिलाईगढ़ जिले में वर्तमान में कुल 3 तहसील है 1. सारंगढ़ 2.बरमकेला – सरिया 3.बिलाईगढ़ साथ ही यहाँ पर 3 विकासखंड भी मौजूद है जिसमे है 1. सारंगढ़ 2.बरमकेला – सरिया 3.बिलाईगढ़ शामिल है | सारंगढ़ – बिलाईगढ़ जिले में 1 नगरपालिक परिषद् है जो की सारंगढ़ है | यहाँ पर 2 विधान सभा क्षेत्र मौजूद है जिनमे सारंगढ़ और बिलाईगढ़ शामिल है | यह जिला बिलासपुर संभाग के अन्दर आता है |
भगौलिक विवरण
सारंगढ़ – बिलाईगढ़ जिले की घोषणा 15 अगस्त सन 2021 को की गई फिर 1 सितम्बर 2022 को इसे राजपत्र में प्रकाशित की गयी इसके बाद 3 सितम्बर 2022 को इस जिले का लोकार्पण किया गया | इस जिले का मात्री जिला रायगढ़ का दक्षिणी भाग और बालौदा बाजार का पूर्वी भाग है |
सारंगढ़ – बिलाईगढ़ जिले में कडप्पा शैल समूह पाया जाता है यहाँ की प्रमुख खनिज तत्व चुना पत्थर है ल समूह पाया जाता है यहाँ की प्रमुख खनिज तत्व चुना पत्थर है यहाँ पर गोमर्डा अभ्यारण पाया जाता है, इस अभ्यारण की स्थापना 1975 में किया गया था | यह अभ्यारण 278 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है |
इस जिले में संवरा , कोंध , बिंझवार जनजाति पायी जाती है | इस जिले की मिटटी लाल – पिली अर्थात मटासी मिटटी है | इस जिले की प्रमुख नदी महानदी है | इस जिले की वर्तमान में जनसंख्या 6 लाख 17 हजार 252 है |
सारंगढ़ – बिलाईगढ़ जिले का इतिहास
प्रारंभ में सारंगढ़ रियासत रतनपुर के कलचुरी शासको के अधीन थी | बाद में यह क्षेत्र संबलपुर के नियन्त्रण में आ गया | 18 वी सदी में मराठो का शासन स्थापित हुआ | सन 1818 में सारंगढ़ रियासत ब्रिटिश नियंत्रण में आ गया जो भारत के आजादी तक रहा | आजादी के बाद सारंगढ़ रियासत भारत संघ में मिल गया |
इस जिले के नामकरण को लेकर बहुत ही रोचल जानकारी मिलती है | सारंग शब्द के तीन अलग अर्थो के आधार पर इसके सम्बन्ध में तीन बाते की जाती है , पहला यहाँ बांस वनों की अधिकता थी , दुसरा यहाँ पर हिरन भी पाया जाता है जिन्हें सारंग भी कहा जाता है | तीसरा यहाँ सारंग पक्षी की अधिकता थी | ये तीन प्रमुख कारन है जिससे इस जिले का नाम सारंगढ़ रखा गया |
सारंगढ़ – बिलाईगढ़ में कृषि
यहाँ पर कई तरह की फसलो की खेती की जाती है | जो छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है | यहाँ की प्रमुख फसलो में धान , मटर , सरसों , रागी , मूंगफल्ली , गन्ना आदि शामिल है |
प्रमुख शिक्षण संसथान
कॉलेज – 1. गवर्नमेंट लोचन प्रसाद पांडे कॉलेज 2. डिग्री कॉलेज 3. अशोका कॉलेज CPM आर्ट्स एंड साइंस कॉलेज आदि
स्कूल – 1. अशोका पब्लिक स्कूल 2. गवर्नमेंट मल्टी पर्पज स्कूल 3. मोना मॉडर्न इंगलिश स्कूल 4. सरस्वती शिशु मंदिर 5. राजश्री मॉडर्न स्कूल
गोमर्डा वन्यजीव अभ्यारण
यह वन्यजीव अभ्यारण्य करीब 278 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है | यहाँ पर गौर , सोनकुत्ता , बारहसिंह , तेंदुआ , वराह , उड़न निलगिरी , नीलगाय , सांभर , भालू सियार आदि वन्यजीव पाए जाते है | इस अभ्यारण्य का स्थापना वर्ष 1975 है | यह साल – सागौन का सदबहार मिश्रित वन है | यहाँ पर प्रवासी पक्षी भी आते है |
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