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Togglemanrenga karykram | मंरेंगा कार्यक्रम
मंरेंगा को एक वित्तीय वर्ष में काम से काम 100 दिनों की गारंटीकृत मजदूरी रोजगार प्रदान करके ग्रामीण क्षेत्रो में आजीविका सुरक्षा बढ़ाने के उद्देश्य के से शुरू किया गया था जिसके लिए प्रत्येक परिवार को वयस्क सदस्यों को अकुशल मैनुअल काम करने के लिए स्वयं सेवा किया गया था | मंरेंगा का एक और उद्देश्य लोगो की आर्थिक स्थिति बेहतर बनाने के लिए इसे शुरू किया गया था |
मंरेंगा सरकार द्वारा शुरू किया गया एक कल्याणकारी कार्यक्रम है | जिसमे आम लोगो को 100 दिनों का अपने ही गाव मव उपलब्ध करायी जाती है | इसके अंतर्गत गाव में तालाब का निर्माण , कच्ची सडक निर्माण , धरसा निर्माण आदि बनाया जाता है | इस कार्यक्रम से सरकार ने लोगो को आर्थित तंगी से बाहर निकलने की ओर यो छोटा सा कदम उठाया था |
कोरोना के समय लोग अधिकार बेरोजगार हो गये थे इस समय लोगो में मंरेंगा की मांग अचानक बढ़ गयी थी | वर्ष 2019 – 20 के लिए प्रतावित बजट में मंरेंगा के लिए 60 हजार करोड़ रूपये दिए गये थे | जिसमे से लगभग 96 प्रतिशत राशी खर्च हो चुकी थी |
महात्मा गाँधी राष्ट्रिय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम अर्थात मंरेंगा को भारत सरकार द्वारा वर्ष 2005 में शुरू किया गया था | यह कार्यक्रम राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम , 2005 के रूप में प्रस्तुत किया गया था | वर्ष 2010 में इसका नाम नरेंगा से बदलकर मंरेंगा कर दिया गया |
मंरेंगा दुनिया का सबसे बड़ा कल्याणकारी कार्यक्रम है | ध्यान देने की बात है की सुखा ग्रस्त क्षेत्र में लोगो को 150 दिनों का रोजगार इसके अंतर्गत दिया जाता है | मंरेंगा राष्ट्रिय स्तर का कार्यक्रम है | जनवरी 2009 से केंद्र सरकार सभी राज्यों के लिए अधिसूचित की गयी मंरेंगा मजदूरी दर को प्रतिवर्ष संशोधित करती है |
छत्तीसगढ़ में अब मंरेंगा श्रमिको को 221 के जगह पर अब 243 रूपये दिए जायंगे | केंद्र सरकार ने वर्तमान ने चुनाव को देखते हुए किसी भी प्रकार के विरोध से बचने के लिए चुनाव आयोग की अनुमति लेकर मंरेंगा श्रमिको की मजदूरी को बढाया है | यह दर वित्तीय वर्ष 2024 के लिए है | छत्तीसगढ़ में लगभग यह दर 10 प्रतिशत बढ़ी है |
मंरेंगा कार्यक्रम के नियम
इस में काम करने वाले श्रमिको को 100 दिनों का रोजगार दिया जाता है और सुखा ग्रस्त क्षेत्र में लोगो को 150 दिनों का रोजगार दिया जाता है | छत्तीसगढ़ में लोगो 12 फिट का लंबा और चौड़ा दिया जाता है जिसमे लोगो को 1 फिट तक गहरा खोदना पड़ता है | छत्तीसगढ़ में बर्तमान समय में आम लोगो की हाजरी डिजिटल माध्यम से की जा रही है जिसमे मंरेंगा श्रमिको को अनिवार्य रूप से फोटो खिचवाना बढ़ता है |
इस कार्य को करने के लिए हर गाव में 4 से 5 मेट रखे जाते है गाव स्तर पर इस काम का सबसे प्रमुख अधिकारी रोजगार सहायक होता है | रोजगार सहायक सबसे पहले मस्टर रोल जारी करवाता है | जिसमें लोगो का नाम आया होता | इस काम में केवल 18 से लेकर 60 साल आयु वाले लोगो को काम पर लिया जाता है |
छत्तीसगढ़ में लोग हो गये है परेशान
छत्तीसगढ़ में वर्ष 2022 में कांग्रेस सरकार द्वारा मंरेंगा कार्यक्रम में एक नया नियम लागु किया गया है जिससे लोगो को बहुत ही परेशानी हो रही है इसमें अब मंरेंगा श्रमिको को काम के पश्चात दो बार अपनी फोटो खिचवाना पड रहा है | इस कारन लोगो को घंटो तक धुप में बैठे रहना पड़ता है | सरकार आम लोगो को परेशान कर रही है |
देश में कई लोग है जैसे नीरव मोदी , विजय माल्या जो देश से कई हजार का कर्ज लेकर भाग गये है उनका सरकार कुछ नही कर पा रही है उन्हें सरकार कर्जा दे सकती है | लेकिन आम जनता को 200 का काम दे रही है उसमे कई सारे तमासे सरकार आम जनता सिकरवा रही है | लोगो को धुप में अपना शरीर तपाना पद रहा है | लेकिन सरकार आम जनता के लिए ऐसे बेकार कड़े नियम बना सकती है लेकिन देश द्रोहियों के लिए नही |
मंरेंगा कार्यक्रम की विशेषता
- इसमें कोई ठेकादार नही होता है सब सरकार के अधीन कार्यरत होता है
- इसमें शारीरिक श्रम को प्राथमिकता दी गयी है
- मंरेंगा कार्यक्रम में श्रमिक मशीन का प्रयोग नही कर सकता है |
- प्रवधान के अनुसार मंरेंगा लाभार्थियों में एक तिहाई महिलाओ का होना अनिवार्य है |
- इसमें लोगो को 100 दिनों का काम दिया जाता है
- सुखा ग्रस्त क्षेत्रो में लोगो को अपेक्षाकृत 150 दिनों का लोगो को दिया जाता है |
मंरेंगा कार्यक्रम की प्रमुख चुनौती
- अपर्याप्त बजट – पिछले कुछ वर्षो में मंरेंगा के तहत आवंटित बजट काफी काम रहा है | जिसका प्रभाव मंरेंगा के कार्यरत श्रमिको पर पडा है |
- मजदूरी में भुगतान में देरी – लोगो से पूछने पर पता चला की काम हो जाने के बाद भी भुगतान बहुत ही देरी से हो रहा है जिससे लोगो को कई साड़ी परेशानी हो रही है | इसके तहत किये जाने वाले 78 प्रतिशत भुगतान समय पर नही हो रहे है |
- खराब मजदूरी दर – न्यूनतम मजदूरी अधिनियम , 1948 के आधार पर मंरेंगा की मजदूरी दर न करने के कारण मजदुरी दर काफी स्थिर हो गयी है | वर्तमान में अधिकांश राज्यों में मंरेंगा के तहत मिलने वाली न्यूनतम मजदूरी काफी काम है |
- भ्रष्टाचार – वर्ष 2012 में कर्नाटक में मंरेंगा को ल्रकर एक घोटाला सामने आया था जिसमे 10 लाख फर्जी मंरेंगा कार्ड बनाये गये थे जिसके कारन सरकार को तक़रीबन 600 करोड़ का नुकसान हुआ था |
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