RAJNITIK DAL | राजनितिक दल
हम सामान्य बोल चाल की भाषा लोगो के या व्यक्तिओ के किसी भी समूह एक निश्चित उद्देश्य को पाने के लिए काम करता है उसे दल कहते है | यदि वह दल के लोग अपने उद्देश्य को राजनिति में लाते है तो उसे राजनितिक दल कहेंगे | अपने विचारो को लोगो तक पहुचाकर अनुगत करता है अपने विचारो के अनुरूप सरकार को बनाना चाहता है | हमारे समाज में कई और ऐसे संगठन भी है जैसे की धार्मिक संगठन,व्यापारिक संगठन,सांस्कृतिक संगठन आदि है | लेकिन उन्हें राजनितिक संगठन नही कह सकते है क्युकी उनका जो लक्ष्य है वो राजनितिक नही है | ये सरकार को बनाना नही चाहते है,यह जो राजनितिक दल समूह है वो एक विशेष वर्ग का भलाई चाहते है |
अत: राजनीतिक दल का मतलब लोगो के एक इसे समूह से है जो आम लोगो तक प्रश्नों के विषय में सामान मत रखता है और राजनीतिक कई अन्य रूपों में कार्य करते हुये अपना जो बनावटी नीति को विस्तार करने के लिए शासन को अधिकृत करता है यही राजनितिक दलों का उद्देश्य होता है राजनीतिक सत्ता को पाना | जो राजनितिक दल शासन चलाता है उसे सत्ता के पक्ष में लाना है जो दल विपक्ष में स्थित है सत्ता पक्ष की टिका टिप्पणी करता है तथा जो सरकार में भाग नही लेते उन्हें विपक्ष दल कहते है |
राजनितिक दल की परिभाषा
1.एडमंड बर्क “ राजनितिक दल ऐसे लोगो का समूह होता है जो किसी सिद्धांत पर एक मत होकर अपने सामूहिक प्रयत्नों द्वारा जनता के हित में काम करना चाहता है | “
2.लाई ब्राइस ” राजनितिक दल उन संगठित समूहों को कहते है जिनकी सदस्यता ऐच्छिक हो और जो राजनितिक शक्ति को प्राप्त करने में अपनी सामूहिक शक्ति लगा देते है |”
3 मैकाइवर ” राजनीतिक दल एक ऐसी संस्था है जिसे किसी सिद्धंन्त या नीति के लिए संवैधानिक साधनों से सरकार के निर्माण को या निश्चय के रूप में परिणित करने का प्रयत्न करता है|”
राजनीतिक दल का काम
- बहुत अधिक लोकतात्रिक देशो में चुनाव राजनीतिक दलों के द्वारा खड़ा किए गए प्रत्यासियो के बीच चुनाव लड़ा जाता है | वहा के लोग राजनीतिक दल के प्रत्यासियो का चुनाव दल कई तरह से करते है| अमेरिका देश में प्रत्यासियो का चुनाव दल के सदस्य और वहा के समर्थक करते है वहा की सरकार अक्शर शासन दल के मर के अनुसार अपनी नीतियों को बणाता है |
- पार्टिया देश के कानून को बनाने में बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है | कानून बनाने के लिए औपचारिक चर्चा होती है और उन्हें विधायिका में पास करवाना पड़ता है और विधायिका के बहुत से सदस्य किसी ना किसी दल के सदस्य जरुर होते है | इस कारण वे लोग अपने दल के सदस्यों के अनुसार ही फैसला करते है |
- जिस दल का बहुमत होता है वही सरकार बनाते और चलाते है अगर वाला एक भी दल ण हो तो वहा के सरे उम्मीदवार स्वतंत्र और निर्दलीय होंगे | तब कोई भी सदस्य नीतिगत बड़े करने के बारे में लोगो से चुनावी वादा नही कर सकते है सरकार बन जायेगा मगर उपयोगिताये भ्रमयुक्त होगा | निर्वाचन प्रतिनिधि अपने सिर्फ निर्वाचन क्षेत्र तक ही सीमित रहेंगे| लेकिन शासन चलने के लिए कोई जिम्मेदार नही होगा | हम गैर दलीय आधार पर वाले पंचायती चुनाव का उदहारण सामने रख कर भी इस बात की परख कर सकते है |
इन चुनावो में औपचारिक रूप से अपने प्रत्यासियो को खड़े करते पाते है कि चुनाव के अवसर में पूरा गाव कई खंडो में बाट जाता है और हर पार्टी सभी पदों के लिए अपना प्रत्याशी का पैनल उतारते है राजनीतिक दल भी यही काम करते है
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