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ToggleParliament Sangoal Viwad || संसद का सोंगोल VS संविधान
संसद में जब नए संसद की का उद्घाटन किया गया तब आप लोगो ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथ में Sangoal को जरुर देखा होगा | लेकिन इसे संसद में क्यों रखा गया है इसकी प्रथा कब से शुरू हुआ है इसके बारे में आज हम विस्तार पूर्वक जानेगे | लेकिन इससे सोंगोल को सपा द्वारा हटाने की मांग उठ रही है वे इसके जगह पर संविधान को रखने की बात कर रहे है | पहले यह मामला क्या है इसे जन लेते है |
18 वीं लोकसभा
18 वीं लोकसभा में राष्ट्रपति द्रौपती मुर्मू ने 18 वीं लोकसभा का पहला संबोधन दिया गया | लेकिन यहाँ पर संबोधन से ज्यादा सोंगोल के चर्चे चल रहे थे | जिससे नए संसद के उद्घाटन के दौरान बड़े धूमधाम से स्थापित किया गया था | इसको लेकर पुरे संसद में चर्चा चल रही थी लेकिन क्या आप जानते है इस सोंगोल को संसद के किस स्थान पर स्थापित किया गया है | लेकिन यह चर्चा का विषय क्यों बना है |
सेंगोल पर चर्चा
वर्तमान चुनाव के बाद सभी सांसदों द्वारा संसद में कार्य भर संभाला गया | संसद में सभी सांसदों को संबोधित करने के लिए 18 वीं लोकसभा के पहले दिन राष्ट्रपति द्रोपती मुर्मू द्वारा संसद में संबोधित किया गया | इसके दुसरे दिन राष्ट्रपति द्रोपती मुर्मू के संबोधन पर सभी संसदों को अपना संबोधन देने था जिसमे समाजवादी पार्टी के सांसदों द्वारा सोंगोल को हटा कर संविधान को रखने की मांग किया | जिसके बाद सोंगोल पर चर्चा और तेज हो गया |
संसद में कहा पर रखा गया है सोंगोल
सोंगोल को नए संसद भवन के उद्घाटन के दौरान 28 मई 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्थापित किया गया था | संविधान के उद्घाटन के दौरान प्रधनमंत्री नरेद्र मोदी द्वारा तमिलनाडु के अधीनम मठ से सोंगोल को स्वीकार किया गया था | जिससे लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास स्थापित किया गया था जो अभी तक लोकसभा अध्यक्ष के पास रखा गया है |
सोंगोल की प्रथा
सोंगोल को भारत के लोकतांत्रिक संविधान में बहुत महत्व दिया जाता है | जब भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने देश के प्रधानमंत्री के रूप में अपना पद संभाला था तब उन्हें सौपा गया था | यह भी माना जाता है की जब अंग्रेजो ने सत्ता भारत को सौपी तब सोंगोल को भारत को सौपा था | सोंगोल को एक शक्ति प्रदर्शक के रूप में भी देख जाता है | सोंगोल के जनक राजगोपालाचारी को कहा जाता है | ऐसा माना जाता है की चोल राजा जब एक राजा से दुसरे राजा को सत्ता सौपता था तब वे सोंगोल को सौपता था जिससे राजगोपालाचारी प्रेरित थे |
सोंगोल का निर्माण चेन्नई के सुनार वुमुदी बगारु चेट्टी द्वारा किया गया था जिससे 15 अगस्त 1947 को लार्ड माउन्टबेटन द्वारा प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु को सौपा गया था | ऐसे मन जाता है की भगवान शिव वहाँ नंदी न्याय और निष्पक्षता का प्रतीक होता है |
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