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Togglemajhi tribe chhattisgarh | माझी जनजाति छत्तीसगढ़
majhi tribe chhattisgarh : माझी जनजाति छत्तीसगढ़ राज्य के सबसे प्रसिद्ध जनजाति समुदायों में से एक है | majhi tribe का तात्पर्य नाव चलाने वाले से है | मल्लाह , कहार , केवंट , नाविक , निषाद आदि इसके पर्यायवाची है | majhi janjati के लोगो की यह मान्यता है की इनके पूर्वज पहले गंगा के इस जनजाति के लोगो की यह मान्यता है की इनके पूर्वज पहले गंगा के पर या वाराणसी या फिर इलाहबाद में रहते थे | और उनका यह मानना है की बाद यह जनजाति भारत के मध्यप्रदेश राज्य के शहडोल , रीवा , सतना , पन्ना , छतरपुर , जबलपुर , और टीकमगढ़ में आकर बस गये | ये समुदाय अपने कलाओ और संस्कृतियों के समुदाय अपने कलाओ और संस्कृतियों के लिए पुरे प्रदेश भर में जानी जाती है |
माझी जनजाति की कुछ ख़ास बातें
1. majhi tribe को साल 1950 में अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिला था |
2.मध्यप्रदेश और बिहार में पाए जाने वाले माझी जनजाति के लोग 2.मध्यप्रदेश और बिहार में पाए जाने वाले माझी जनजाति के लोग sc कटेगरी में आते है |
3.जबकि उत्तरपदेश में पाए जाने वाले इस जनजाति के लोग OBC कैटेगरी में आते है |
4.मछुआरा समुदाय के लोग आर्थिक और सामजिक तथा शैक्षणिक रूप से पिछड़े हुए होते है | देखा गया है की सरकारी नौकरियों में इनकी उपस्थिति बहुत ही कम होती है |
5.इस जनजाति के लोग अधिकतर अच्छे नाविक होते है |
6.इस जनजाति के लोगो का मानना है की इनके पूर्वज गंगा , इलाहबाद , और वाराणसी के किनारे बसे हुए थे जो बाद में मध्यप्रदेश में आकर बस गये |
माझी जनजाति के लोगो का पहनावा
majhi tribe के लोगो के पहनावे से इनकी संस्कृति और इनकी मान्यताये majhi janjati के लोगो के पहनावे से इनकी संस्कृति और इनकी मान्यताये , परम्परा और स्थानीय विशेषता झलकती है | इनके प्रमुख आभूषणों में गहने जैसे सोने चांदी कंगन , बाजुबंध , हार , अंगूठी आदि होते थे | ये आभूषण उनके सामाजिक और पारंपरिक अभिवादन का प्रतीक माना जाता है | majhi janjati समुदाय की महिलाये नथनी , बिंदी , सिंदूर , मेहंदी आदि भी बहुत ही पसंद करती है | इस जनजाति की महिलाए अपने शरीर में अनेको प्रकार की गोदना गोद्वाते है | इस इस जनजाति की महिलाये साडी और पुरुष धोती कुरता पहनते है | और साथ में सर में पगड़ी भी पहनते है |
प्रमुख खान – पान
खान पान के मामले में majhi janjati के लोगो का बहुत ही ख़ास अंदाज है ये पाने पारंपरिक खाने को बहुत ही पसंद करते है | धान , ज्वार , मक्का , बाजार , उड़द , मूंगफली , और जड़ी बूटी इनके खाद्य का प्रमुख स्रोत नामे जाते है | इस जनजाति के लोग अक्सर दूध , दही , मक्खन , मांस , मछली का भी सेवन करते है | इस जनजाति का खान पान भी अन्य जनजाति की तरह ही है जैसे की मौसमी सब्जी , और majhi tribe के लोग गिलहरी , केकड़ा , मछली , सूअर आदि भी खाते है | majhi tribe के पुरुष तम्बाकू के पाते के छोटे छोटे टुकड़े कर उसे तेंदू के पते मे लपेटकर उसे चोंची में भर कर पीते है |
प्रमुख लोक गीत
majhi janjati में मुख्य रूप से सुवा कर्मा , डंडा गीत , आदि गाये जाते है | कुछ प्रमुख माझी जनजाति के लोकगीत में दुवा बैरागी है यह एक बहुत ही प्रसिद्ध लोकगीत है यह हीत इस जनजाति समुदाय की धारावाहिकता और जीवन को दर्शाता है | इसमें लोग अपने जीवन के तथ्यों और अनुभवों को व्यक्त करते है | इस जनजाति का दूसरा सबसे प्रसिद्ध लोकगीत सूडी है यह गीत इस जनजाति समुदाय के द्वारा शादी विवाह के अवसर पर गाये जाते है |
यह गीत खुशियों का प्रतिक मन जाता है | उलाड़ – उलाड़ यह उनका एक और प्रमुख लोगगीत है यह गीत खेती और फसलो से सम्बन्धित है | और यह गीत लोगो के जीवन के प्राकृतिक अनुभवों का प्रतिक है | बरडी बरडी यह इस जनजाति समुदाय के द्वारा गाया जाने वाला के और बहुत ही महत्वपूर्ण लोकगीत है जो इनके द्वारा जंगलो में गाया जाता है |
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