madku dwip chhattisgarh | मदकू द्वीप
शिवनाथ नदी के प्रवाह से मेखला के दृश्य चारो ओर से परिवृत्य मदकू द्वीप महत्वपूर्ण एतिहासिक एवं धार्मिक स्थल है | शिवनाथ नदी की धारा के मध्य स्थित लगभग 24 हेक्टेयर के क्षेत्र मर फैला हुआ दिखाई देता है | यहाँ पर्वताकार संरचना एक द्वीप के सामान दिखाई देता है || तथा यह जलदुर्ग के सामान दिखाई देता है | यह बहुत ही सुरक्षित स्थल है | मदकू द्वीप का आकर एक विशाल मदकू के सामान है |
विशिष्ट भागैलिक संरचना , नैसर्गिक सौन्दर्य पारम्परिक आस्था एवं आध्यात्मिक ऊर्जा के फलस्वरूप यह विख्यात है तथा पर्यटकों के लिए भ्रमण स्थल है | रायपुर से यह स्थल लगभग 79 किलोमीटर दूर स्थित है |
मदकू द्वीप मिले प्रमाण
प्रागैतिहासिक काल में शिवनाथ नदी के निकट क्षेत्र में आदिमानव के संचरण के प्रमाण मिलते है | मदकू द्वीप के आसपास मध्य पाषण युगीन विविध पाषण युगीन विविध पाषण उपकरण खोजे गये है | जिससे आदिमानव के गतिविधि का परिचय मिलता है | इस स्थल के एतिहासिक काल पर प्रकाश डालने वाले विवरणों में इंडियन इपीग्राफी वर्ष 1959 – 60 के प्रतिवेदन में यहाँ से प्राप्त दो शिलालेखो का उल्लेख मिलता है |
इसमें से एक लगभग तीसरी सदी इसवी का ब्राम्ही अभिलेख है | जिसमे किसी अक्षय निधि का उल्लेख है |दूसरा शिलालेख शंख लिपि में है | शिवनाथ धीर और गंभीर नदी है | इसके निकटवर्ती अनेक स्थलों से एतिहासिक महत्व के प्राचीन राजवंशो के सिक्के , अभिलेख मिटटी के प्राकर तथा परिखायुकत गढ़ एवं मंदिरों के भग्नावशेष ज्ञात हुए है |
ऐसे स्थलों में दुर्ग , छात्तागढ़ , सरदा , धोबनी , मारो , रामपुर , ताला आदि उल्लेखनीय है | प्राकृतिक संरचना में मदकू द्वीप छत्तीसगढ़ का सुविदित जलप्रवाह मध्य स्थित द्वीप है |
मदकू द्वीप के धार्मिक महत्व्
मदकू द्वीप की धार्मिक महत्व की मन्य्ताते प्राचीन काल से चली आ रही है | स्थानीय अनुश्रुतियो में यह स्थल हरिहर क्षेत्र के केदार द्वीप के रूप में प्रसिद्ध है | एतिहासिक काल के शिवलिंग , नंदी , गणेश , आमलक , एवं अन्य भग्नावशेष से मदकू द्वीप के प्राचीनता का आभास होता है |
मदकू द्वीप के प्राकृतिक परिवेश के साथ पुरातात्विक एवं धार्मिक महत्व् इस स्थल का विशेष पर्यटन का आकर्षण केंद्र है | यहाँ के दर्शनीय देवालय में राधा कृष्ण मंदिर , शिव मंदिर , गणेश मंदिर एवं विष्णु मंदिर कृष्ण के रूप में पूजित है | नदी के मध्य स्थित द्वीप की मान्यता केदार तीर्थ के रूप में है | इन्ही तीनो का सम्मलित रूप हरिहर क्षेत्र के केदार द्वीप क्व रूओप में इस स्थल को प्रकाशित करते है ग्राम नाम के आधार पर यह स्थल मदकू द्वीप के नाम से प्रसिद्ध है |
मदकू द्वीप कहा स्थित है
यह द्वीप राजधानी रायपुर से करीब 79 किलोमीटर दूर मुंगेली जिले में स्थित है | शिवनाथ नदी की धारा यहाँ दो न्हागो में विभाजित दिखती है | यहाँ खुदाई में 10 वी और 11 वी सदी में निर्मित बहुत से मंदिर मिले है | जिसमे धुमेश्वर महादेव मंदिर , श्री राम केवट मंदिर , श्री राधा कृष्ण मंदिर , लक्ष्मी नारायण मंदिर आदि है | अध्येताओ के अनुसार कलचुरी वंश के राजा यहाँ पर बलि जैसे और अन्य अनुष्ठान करते थे |
मदकू द्वीप मेला
मदकू द्वीप में हर साल फ़रवरी महीने में ईसाई मेला लगता है | यह भी एक प्रमुख पर्यटक आकर्षक है | मेले दौरान छत्तीसगढ़ और देश के अन्य हिस्सों के ईसाई यहाँ कैम्प में रहते है | और पूजा के लिए मुख्य पंडाल में एकत्र होते है |
ऋषि माण्डुक्य के नाम पर मिला यह नाम
मदकू द्वीप का नाम धार्मिक एवं पवित्र ग्रन्थ मंदुकोपनिषद के रचेता ऋषि माण्डुक्य के नाम से रखा गया है |ग्रंथो में उल्लेख मिलता है की शिवनाथ नदी के यहाँ से ईशान कोण दिशा में बहने के कारण ऋषि ने इस पवित्र जगह पर बैठ कर उपनिषद की रचना की थी | यह रचना करते हुए ऋषि की एक बेहद सुन्दर मूर्ति भी स्थापित की गयी है |
आवास व्यवस्था
रायपुर बिलासपुर में मानक स्तर वाले अनेक होटल एवं लॉज की सुविधा है इसके अलावा छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल के द्वारा संचालित रिसोर्ट / होटल भी उपलब्ध है | रायपुर बिलापुर में शासकीय विश्राम भवन तथा विश्राम गृह भी है |
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