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ToggleLove Education : प्रेम शिक्षा
प्रेम एक अहसास जो अद्वितीय होता है| love जो दुसरे व्यक्ति के प्रति एक ऐसा सम्बन्ध जोड़ता है जिससे गहरा लगाव और भावना जुड़ जाती है|यह एक संवेदनशील और गहरी भावना है| प्रेम हमें ख़ुशी, संतोष, सुकून, समृधि की अनुभूति कराता है| इसमें अपने साथी के प्रति श्रद्धा, समर्पण, और विस्वास अधिक बढ़ जाता है| इसे बयां करना बहुत कठिन है, क्योंकि इसकी कोई परिभाषा नहीं, यह हमें एक-दुसरे की आत्मा से जोड़ता है| प्रेम जिसमे हम शांति, संतुष्टि, और सुकून की भावना महसूस करते है|
about love : प्रेम के बारे में
प्रेम के बारे में अक्सर लोग बाते करते है की ऐसा-वैसा है, ये सब गलत है, वो बिगड़ गया आदि| पर सच तो ये है न की प्रेम तो सुधारता है, love तो सही मार्ग दिखाता है, प्रेम तो ऊंचाई पर ले जाता है, वो भलाई चाहता है, उड़ना चाहता है, स्वतन्त्र रहना चाहता है|
तो ये कैसा आजकल का प्रेम है जिसमे धोखा मिले, एक-दुसरे को बाँध के रखे, स्वतन्त्र रहने न दे, उड़ने न दे, भलाई न चाहे, चार दिवारी में कैद रखे ये तो प्रेम नहीं है न| यही गलती होती है की प्रेम के नाम पर बहुत से लोग बहुत कुछ गलत करते है और प्यार को बदनाम करते है| प्रेम तो अनंत अहसास है, जिसे हो गया याने जीवन संवर गया| जो प्रेम दे सकता है वो कोई और नहीं दे सकता| प्रेम के बिना जीवन नहीं, इसलिए प्रेम जीवन का आधार है|
history of love : प्रेम का इतिहास
प्रेम का इतिहास बहुत पुराना है और सायद जब से मनुष्य की उत्पत्ति हुई है तब से प्रेम है बस नाम नहीं देते थे| प्रेम तो भगवान के समय से है जसे राधा-कृष्णा, गौरी-शंकर, सीता-राम, आदि| love का इतिहास सिर्फ किताबो के लेख में नहीं बल्कि बहुत से गीतों, कविताओ में छिपा हुआ है| प्रेम को समझना हो तो पहले अपने प्रभु को समझो और उनके लीला को जानो, कैसे कृष्णा ने राधा और राधा ने कृष्णा से प्रेम किया था, भगवान होते हुए भी सामान्य सा जीवन जीकर प्रेम के बारे में ज्ञान दिए, कैसे उन्होंने भी बहुत से परिस्थितयो का सामना किये थे|
प्रेम के बारे में जानना है तो सीता का राम के प्रति और राम जी का माता सीता के प्रति वो प्रेम देखिये जिसमे एक-दुसरे ने वन में 14 वर्ष ऐसे ही काट दिए| माता सति का महादेव के प्रति प्रेम जो अपने पिता से लड़ गए| इतिहास ये बताता है की प्रेम ही जीवन है और प्रेम ही अनंत यात्रा|
love of today : आजकल का प्यार
- आजकल का प्रेम ऐसा है जैसे एक कपडे उतार कर दूसरा पहनना|
- आकर्षण को प्यार का नाम देकर एक-दुसरे को धोखा देना|
- एक बार देखना और तुरंत उसका फोन नंबर मांगना, अगले दिन बात शुरू, दुसरे दिन सबकुछ शेयर करना और तीसरे दिन मिलने जाना और फिर भाग जाना|
- प्रेम तो शांति और सुकून देता है न फिर आजकल का ये कैसा प्यार है जो शांति और सुकून छीन ले, गुस्सा बढ़ा दे, और आपको अँधेरे में धकेल दे|
- प्यार तो ऊंचाई पे ले जाता है फिर आजकल ये और निचे क्यों ले जा रहा है?
- प्रेम में तो स्वतंत्रता होती है फिर ये कैसा प्यार है जिसमे बंधन हो और आगे न बढ़ने दिया जाए|
- प्रेम में बंधन नहीं आजादी होना चाहिए फिर आजकल के प्यार में ये कैसा जकड़न ?
- प्यार तो हमेशा उड़ना और आगे बढ़ना चाहता है फिर आजकल बढ़ने क्यों नदी देता|
- अधिकतर जो सही नहीं होते वही प्रेम को बदनाम करते है, क्योंकि वो लोग आकर्षित होकर बस उसे प्यार का नाम दे देते है|
- प्रेम के अधिकारी सब लोग नहीं होते अगर प्रेम करना है तो पहले प्रेम सीखना पड़ेगा यही आजकल के लोग नहीं करते|
true meaning of love : प्रेम के सही मायने
- सबसे बड़ी बात जिससे आपको सही मायने में प्रेम होगा आप हमेशा उसकी भलाई, ऊंचाई और स्वतंत्रता के बारे में सोचेंगे|
- जो उसके लिए जरुरी है वो आप करेंगे|
- love में आजादी होना चाहिए|
- प्रेम को बंधन में नहीं बाँधा जाता, यानि की उसे सिर्फ किसी चार दिवारी के अन्दर नहीं रखा जाता उसे खुले आसमान में उड़ने देता है|
- सही प्रेम वो जिसमे शांति, संतुष्टि, सुकून और बहुत विस्वास हो|
- आपके पास धन-दौलत न हो चलेगा, क्योंकि सच्चा प्रेम ये सब देखकर नहीं होता|
- love अगर किसी की जात, धन, और रुतबा देखकर किया जाये तो वह समझौता होता है और जो बिना इसके बस हो जाए वो प्रेम है|
- जिस प्रेम में आपको ख़ुशी, आनंद मिले वो अहसास प्यार है|
- एक-दुसरे के प्रति हमेशा सम्मान की भावना होना प्रेम है|
- उसकी ख़ुशी के लिए अपनी ख़ुशी भी भूल जाना प्यार है, उसके लिए सबसे लड़ जाना प्यार है, उसके लिए पूरी दुनिया बन जाना प्यार है|
- प्रेम हमेशा आपको आगे बढ़ने देता है| जो आपको रोके वो प्रेम नहीं|
- जाति, समाज, दुनिया इनके बारे में सोचकर अपने प्रेम को छोड़ना वो प्यार नहीं|
love : प्रेम
इसमें हम प्रेम के बारे में ऐसे पहलु की बात करेंगे जो आपको सही प्रेम के प्रति सही जानकारी और शिक्षा दे…
- संवेदनशीलता :- प्रेम भावना में हम अपने साथी के भावनाओ को समझने और महसूस करने की क्षमता प्रदान होती है|
- समर्थ :- प्रेम में व्यक्ति एक समर्थ और सामर्थवान बनता है|
- समर्पण :- प्यार में एक-दुसरे के प्रति समर्पण भावना होना|
- स्वतंत्रता :- हमेशा उसकी स्वतंत्रता चाहना, उसको सभी बन्धनों और जकडन से दूर करना|
- मुक्ति :- प्रेम में उसकी भलाई करना और उसे मुक्ति की और ले जाना|
प्रेम के बारे में कहने को और बताने को बहुत कुछ है| क्योंकि प्रेम है ऐसा जिसकी कोई परिभाषा नहीं होती उसे बयां करना मुस्किल होता है फिर भी मैंने कुछ शब्दों में प्रेम को बयां किया है | आशा करता हूँ की इससे आपको सही जानकारी मिली होगी| धन्यवाद |
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