Lok Sabha speaker : लोकसभा अध्यक्ष
लोकसभा अध्यक्ष जो भारतीय संसद के निचले सदन , लोकसभा के मुखिया होते है या प्रमुख भी कह सकते है| ये पद बहुत ही महत्वपूर्ण होते है क्योंकि lok sabha speaker पक्ष-विपक्ष के बिच गरिमा बनाने, शांति से बहस-चर्चा करने का एक बिच का माध्यम होता है जो अगर कुछ गैरकानूनी कार्य होता है या संसद की कार्यवाही में अगर कोई बाधा उत्पन्न करता है तो उस वक्त लोकसभा अध्यक्ष बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाता है|
history of lok sabha speaker : लोकसभा अध्यक्ष का इतिहास
लोकसभा अध्यक्ष को लोकसभा सदस्यों द्वारा चुना जाता है| 26 जनवरी 1950 को भारतीय गणराज्य स्थापित होने इ बाद से संसद को दो सदन में बांटा गया एक राज्यसभा और दूसरा लोकसभा | इनका काम लोकसभा के कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाना और सदन की गरिमा को बनाये रखना है|
लोकसभा अध्यक्ष के इतिहास की ओर नजर डाले तो लोकसभा के पहले अध्यक्ष गणेश वासुदेव मावलंकर जी थे| जो 1950 को पहली लोकसभा के गठन के पश्चात इस पद पर आसीन हुए थे| और इन्हें दादा साहेब के नाम से भी जाना जाता है| आइये देखते है कुछ महत्वपूर्ण अध्यक्षों के बारे में :-
1. गणेश वासुदेव मावलंकर ( 1952-1956) :- ये पहले लोकसभा अध्यक्ष थे और इन्होने संसदीय प्रणाली में मजबूत आधारशिला राखी|
2.एम.अनंतशयनम अयंगर (1956-62) :- मावलंकर के बाद अयंगर को यह पद मिला
3. नीलम संजीव रेड्डी (1967-69) :- जो आगे चलकर भारत के राष्ट्रपति भी बने |
4. पहली महिला लोकसभा अध्यक्ष के रूप में मीरा कुमार ने 2009-2014 तक लोकसभा अध्यक्ष पद पर रही |
duties of lok sabha speaker : लोकसभा अध्यक्ष के कार्य
आइये अब lok sabha speaker के कार्य के बारे में भी जान लेते है की आखिर वे क्या करते है | उनका क्या काम होता है|
1.सबसे पहले लोकसभा अध्यक्ष सदन की बैठको की अध्यक्षता करते है और देखते है की सभी सदस्य सदन की नियमो का पालन करे |
2. अध्यक्ष विवादों को सुलझाते है अगर किसी मुद्दे पर विवाद होता है तो अध्यक्ष का निर्णय अंतिम होता है|
3. संसदीय समितियों की नियुक्ति करना और उन्हें मार्गदर्शित करना |
4. विधेयको को लेकर चर्चा करना और उन्हें सहमती के लिए प्रस्तुत करना |
5. सदन की गरिमा और अनुशासन को बनाये रखना |आदि |
लोकसभा अध्यक्ष के बारे में महत्वपूर्ण जानकरी
1. लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव सदनों के सदस्यों द्वारा किया जाता है और उन्हें अपना बहुमत साबित करना पड़ता है|
2. लोकसभा अध्यक्ष किसी भी एक राजनितिक पार्टी का समर्थन नहीं कर सकते वे सदन में पक्षपात नहीं कर सकते है|
3. किसी भी विवाद के समय उनका निर्णय अंतिम और मान्य हो जाता है|
4. सदन की कार्यवाही में व्यवधान डालने वाले सांसदों का निलंबन, प्रश्नकाल का संचालन और विधेयको पर मतदान कराने के अधिकार रहता है|
5. इनका कार्यकाल 5 सालो का होता है|
6. वर्तमान लोकसभा अध्यक्ष की बात करे तो श्री ओम बिरला जी है |
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