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ToggleIndian Education System : भारतीय शिक्षा व्यवस्था की वास्तविकता
Indian Education System : हर वर्ष भारत में 1.5 मिलियन ENGINEERS और 8.5 MILLION BA, BCM जैसे बहुत से विद्यार्थी Graduate होते है सभी को अगर मिलाए तो 10 million यानि 1 crore विद्यार्थी भारत में हर साल Graduate होकर निकलते है लेकिन इनमे से MBA, ENGINEERS, GREDUATES लोगो को यानि हम बात करे तो इन 1 crore लोगो में से केवल 10 लोग ही Job के लिए मान्य है बाकी 90 लाख लोग बेरोजगार है |
इसमें आखीर गलती किसकी है क्या इतने सारे बच्चो के किसी के पास भी स्कील नही है क्या हमारा स्कूल और कॉलेज 10 से 15 सालो में बच्चो को इतना भी तैयार नही कर पाए कि उन्हें एक ढंग की काम मिल पाए | या यह सरकार की गलती है की इस बढ़ते जनसँख्या के हिसाब से उतने काम या जोप ही पैदा नही कर पा रहा है |
कुछ दिन पहले लीक हुआ नीट पेपर के scam से हमें यह तो पता चल गया कि this system is flawed at all the levels आखीर हमारा भारतीय शिक्षा व्यवस्था इतना गलत क्यों है |
लोगो का दबाव – भारत में प्रत्येक बच्चो को बेहतर बनने के लिए उसके पालक और आस पास के लोग दबाव लगाते है | यहाँ पर नम्बर से एक दो माक्स भी कम हो जाते है तो लोग बच्चे को गुनाहगार मानते है | स्कूल में एक बच्चे के बेहतर भविष्य का अनुमान हमेशा उसके माक्स को ध्यान देकर अनुमान लगाते है |
लोग का दिमाक यह हमेशा अनुमान लगता है कि उसके स्कूल के माक्स बच्चो का जीवन तैय करता है | लोग यह इस बात को ध्यान नही देते की बच्चो को बहार की दुनिया से मिला हुआ उसका ज्ञान उसके जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है |
आज हम बात करेंगे की कैसे इस समय के साथ बेहतर बनाया जा सकता है | यह competition सिद्धान्तो में तो अच्छा है लेकिन जीवन में एक विद्यार्थी के दिमाक और उसके शरीर पर बहुत भारी असर पहुचने का काम करता है |
कुछ दिन पहले की खबर – राजिस्तान में एक 10वी के बच्चे ने अपनी जान दे दी और अपने लिखे हुए पत्र में कहा की 95% लाना मेरे बस की बात नही है इस तरह के खबर हमें आय दिन सुनने को मिलते है | आप खुद ही सोचो की स्कूल समय का एग्जाम हमें कितना ज्यादा ट्रोमा दिया है कि आज स्कूल खतम होने के 10 साल बाद वो पेपर के समय में ख़तम होने के सपने आते है |
अगर सच में बात करे इस पर तो यह आम लोगो का बस सोच है हमारा | आज लोगो को लगता है कि सिर्फ पढाई से ही निकल कर लोग अपने जीवन में सफल होते है | लेकिन आप बहुत से बिलियनरो को देखे तो आपको पता चलेगा कि बहुत से अरब पतियो ने अपनी कॉलेज की पढाई भी नही किया है |
मध्य वर्ग के लोगो के सोच से बाहर
अगर हमें इस लोगो के तनावपूर्ण वातावरण से बाहर निकलना है तो हमें इस मध्य वर्ग के लोगो के सोच से बाहर निकलना है |
शिक्षा पद्धति
ऐसा कहा जाता है कि फ़िनलैंड में दुनिया का सबसे अच्छा पढाई होता है क्योकि उसके अनुसार बच्चे सिर्फ 4 घंटे अपने क्लास रूम में बिताता है और 2 घंटे बच्चे के जीवन को बेहरत बनाने के ऊपर ध्यान दिया जाता है |
फ़िनलैंड में आप शिक्षक तभी बन सकते है जब आपके पास मास्टर्स की डिग्री हो | सबसे बड़ी वह महत्वपूर्ण बात यह है कि उनका जो पहला बच्चो को लेकर टेस्ट होता है वह बच्चे 16 साल के उम्र में ही आकर देते है | इन सब का परिणाम यह हुआ कि फ़िनलैंड देश में साक्षरता दर 100% 2024 के आकड़ो के अनुसार देखा गया है |
भारत की शिक्षा पद्धति में बहुत गलतियां है
भारत के स्कूल में नये विचारो को महत्त्व ही नही दिया जाता है हम बहुत सालो से वही पुराना शिक्षा पद्धति से पढ़ते आ रहे है | इस कारण से भारत के युवा के पास डिग्रीस तो है लेकिन औद्योगिक skills बिलकुल नही है |
भारत के शिक्षक
यह के शिक्षको को किसी विषय के मजेदार बना के कैसे पढ़ेए जाते है ये तक ही पता नही है | अच्छा सिखाना तो दूर कि बात है आप भारत के किसी लोकल स्कूल में जाकर देखो तो आपको मालूम होगा कि वह कि शिक्षा व्यवस्था कैसा है | अब इस हाल में बच्चो को कैसा बेहतर शिक्षा मिलेगा |
रट्टा मारना – हमारा पूरा शिक्षा पद्धति में यह होता है कि सिर्फ यहाँ बच्चो को रट्टा ही मराया जाता है | भारत के बच्चे बीना सिद्धांत को समझे सिर्फ तोते कि तरह उसको रट्टा मारने का काम करते है | और दुसरे दिन उसे एग्जाम पेपर पर उतर कर चले जाते है और एग्जाम के पूरा हो जाने के बाद सारा पढाई दिमाक से गायब हो जाते है |
इस तरह से न बच्चो की पढाई के तरीके में बदलाव हो रहे है और न ही इस एजुकेशन का आगे जा कर प्रेक्टिकल बच्चो को कुछ फायदा हो रहा है | हम पढाई के प्रेक्टिकल तरीके से दूर हटते जा रहे है |आखीर पढाई का कोई अंतिम लक्ष्य क्या होना चाहिए ? की हम आगे जा कर इतना काबिल बने की आगे जा कर किसी भी समस्य का हम हल निकल सके
आप अपने भविष्य में कौन सा करियर चुनना चाहते हो
आज के समय में 90% बच्चो से बात करे तो यह सुनने को मिलेगा वह जा डॉक्टर, इंजिनियर, सिविल सर्वेंट बनाना चाहते है | लेकिन अगल जवाब आज कल के युवाओं के पास बहुत कम मिलता है | इन्ही 3 या 4 बातो में भारत के युवाओं का ध्यान छुपा होता है | लेकिन बहुत कम ही लोग है जो दुनिया से हट कर कुछ अलग करने का सोच रहे है |
स्कूलों में बायोलॉजी पढाई जाती है तो इसका मतलब यह नही है कि आप सिर्फ डॉक्टर बनना आपका भविष्य है आज कल बहुत से लोगो को Biotechnologist, Marine Biologist, Botanist, Neuroscientist इनके बारे में लोगो को पता भी नही है |
आप को यह जान कर अच्छा लगेगा कि एक अच्छा Neuroscientist एक डॉक्टर से कही ज्यादा पैसा कमाता है | पर नही अगर शर्मा जी के बेटे डॉक्टर बन गया तो हमारा पेरेंट्स कुछ और अलग तो नही बनने देंगे |
आज के समय में 40 लोगो में कुल 10% लोगो के पास बहुत अधिक पैसा है और अब आप जा कर देखो तो यह 10% लोगो में से कितने सरे लोग डॉक्टर या इंजिनियर है ये सारे के सारे अरब पति को देखते है तो यह Entrepreneurs , Business Owners, CEOs है लेकिन आपने कभी सोचा कि ये ट्रेडिशनल एजुकेशन सिस्टम Entrepreneurs , Business Owners, CEOs ऐसे कोई भी कोर्स को पढ़ता है |
बचपन से लेकर अब तक आपको सिर्फ मैथ के फार्मूला पढाया जाता है लेकिन उन्हें टेक्सस किस तरह से बदला जाता है उसको किसी ने नही बताया है | बचपन से लेकर अब आपको केमिस्ट्री बहुत से फार्मूले बाताए थे लेकिन आपको वह नही पता है |
लेकिन असली जीवन में आप इसको कितना इस्तिमाल करते हो या उन सामानों में जो केमिकल होते है उनका क्या क्या युस होता है उन्हें नही बताया गया है | ठेरोटिक ज्ञान दुनिया भर का लेकिन प्रेक्टिकल नोलेग थोडा भी नही दिया जाता है |
क्या सीखने की जरुरत है
यह समस्या नया नही है लेकिन इस बिगड़े हुए सिस्टम को हम लोग किस तरह से बदल सकते है सरकार को एजुकेशन में बदलाव लाना चाहिए | Entrepreneurship, Taxes, Finance, Practical Skills जो हमें रोज मारा के जीवन में काम आते है | ऐसे चीजो को हमारे एजुकेशन में जोड़ना होगा जिससे लोग और बेहतर ढंग से सीख सके |
क्लास रूम
भारत के क्लास रूम को भी पहले से बेहरत बनाना होगा | USA की बात करे तो वह अपने यहा के क्लास रुमो में गूगल एक्सपेटेसन कर के वियार एसिड की मदद से बायोलॉजी और हिस्ट्री की मदद से 3d में माध्यम से वहा के बच्चे पढ़ सकते है
हमें परीक्षा के महत्त्व को कम करना चाहिए
भारत में बच्चो का पूरा ज्ञान प्रेक्टिकल ज्ञान पर होना चाहिए जैसे प्रोजेक्ट बेस असाइमेंट बच्चो को देना चाहिए | उसके साथ बच्चो को एसेज, प्रोजेक्ट्स, रिसर्च पेपर्स, प्रॉब्लम सोल्विंग टास्कस पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए |
हर स्कूल में बच्चो के करियर काउंसलिंग डिपार्टमेंट होना चाहिए
हर स्कूल में बच्चो के करियर काउंसलिंग डिपार्टमेंट होना चाहिए | जो बच्चो को उसके करियर को चुनने में मदद करे | और बच्चो को कुछ सिखने के लिए हमेशा प्रिरित करे | जिससे वह अपना बेहतर करियर चुन सके |
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