human rights : मानव अधिकार क्या है और मानव अधिकार से जुडी प्रमुख बाते
human rights : प्रसिद्ध दार्शनिक वैज्ञानिक(Famous Philosophical Scientists) तथा लेखक जीन जैक्स रूसो ने आज से लगभग 200 वर्ष पूर्व लिखा था, “ मनुष्य स्वतंत्र पैदा हुआ है, पर हर जगह व जंजीरों में जकड़ा हुआ है |” अपनी इस बात को को रूसो ने शोषण तथा असमानता के बन्धनों में जकडे हुए जन्साधारण की स्वतंत्रत होने की और स्वाधीनता, आजादी तथा समानता के साथ बेहतर जीवन प्राप्त करने की आकाक्षा को व्यक्त किया था | वास्तव में बहुत से सामाजिक विचारक तथा राजनीतिक आन्दोलन(Political Movements) बहुत समय से मनुष्य को उन सभी जंजीरों को मुक्त करने का, जिनमे वह बधा हुआ है उन सभी अधिकारों को उपभोग करते हुए देखने का कोशिश करते रहे है जिन्हें रूसो स्वाभाविक, अभिन्न तथा अविभाज्य समझते थे |
अधिकार मनुष्य की सामाजिक जीवन*(Social Life) की अनिवार्य आवश्यकताएँ है जिसके बिना व्यक्ति न तो विकास कर सकता है और न ही समाज के लिए उपयोगी कार्य कर सकता है | मानव अधिकार के बिना मनुष्य अपने जीनव के अस्तित्व के बारे में सोच भी नही सकते है | एक राज्य का सर्वोत्तम लक्ष्य व्यक्ति के व्यक्तित्व का पूर्ण विकास करना है, राज्य के द्वारा व्यक्ति को कई सुविधाए प्रदान की जाती है और राज्य के द्वारा प्रदान की जाने वाली इन बाहरी सुविधाओ का नाम ही अधिकार है |

अमेरिका तथा फ्रासीसी क्रांतियो के पश्चात् मानव अधिकार पर जो घोसणा हुई उसके द्वारा मानव के महत्वपूर्ण अधिकारों को स्वीकार किया गया | सन 1941 ई. में अमेरिकी कांग्रेस को दिए गए सन्देश में अमेरिका के रूजवेल्ट ने चार स्वतन्त्राओ पर बल दिया था – भाषण तथा विचार अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रा, धर्म तथा विश्वास की स्वतत्रता, अभाव से स्वतंत्र तथा भय से स्वतंत्रता | ये सभी अधिकार विश्व के हर स्थान पर सभी को प्राप्त होने चाहिए | अटलान्टिक चार्टर से लेकर द्वितीय महायुद्ध समाप्त होने के पूर्व बहुत से संम्मेलानो में मित्र – राष्ट्रों के द्वारा मानवीय अधिकारों तथा आधारभूत स्वतंत्रताओ पर कई बार बल दिया गया |
पुरे विश्व में शान्ति तथा विश्व को सुरक्षित रखने के लिए एक अन्तराष्ट्रीय संगठन(International Organization) निर्माण करने का प्रमुख सुझाव था सन 1944 में डबार्टन ओक्स सम्मलेन में स्वीकार किए गए थे | उस समय यह अनुमान नही लगया गया था कि मानव अधिकारों तथा मूलभूत स्वतंत्रताओ के सम्मान को बढ़ावा तथा प्रोत्साहन देने को इस संगठन की एक बुनियादी उद्देश्य को लेकर नियम निर्धारित किया जाए |
दूसरा महायुद्ध ख़त्म होने के बाद सन 1945 में संयुक्त राष्ट्र संघ का घोषणा – पत्र तैयार करने के लिए सैनफ्रांसीस्को सम्मलेन हुआ तो सोवियत संघ के प्रतिनिधि मण्डल की पहलकदमी पर ही घोषणा पत्र तैयार करने वालो ने मानव अधिकारों तथा मूलभूत स्वतत्रताओ के सम्मान से संबधित प्रावधानों की आवश्यकताओ को स्वीकार किया था |
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