How to conceive through IVF | IVF से गर्भ धारण
How to conceive through IVF : गर्भ धारण तब होता है जब शुक्राणु योनी के माध्यम से तैरकर फैलोपियन ट्यूब में अड़े को निषेचित करता है | यह असुरक्षित यौन संबंध बनाने के कुछ घंटो बाद होता है गर्भ धारण होने के बाद निषेचित अंडा गर्भाशय में प्रत्यारोपित हो जाता है और गर्भवस्था प्रारंभ हो जाता है |
गर्भ धारण कैसे होता है जानिए
गर्भ धारण प्राकृतिक रूप से गर्भधारण महिला की मासिक धर्म चक्र के बाद 10 दिन वे दिन से लेकर 14 दिन के समय अंतराल की अवधि में अंडाणु निकल कर बहर आता है इस दौरान महिला और पुरुष दोनों के आपस में संबंध बनाने के बाद शुक्राणु यहा अंडाणु में मिल जाता है | तब भ्रूण का निर्माण होता है यह भ्रूण 5-6 दिनों में गर्भ में पहुचकर आने वाले महीने या 37 हफ्तो में अपना विकास और प्रगति तय करता है |
अगर किसी भी कारणवश जैसे आतंरिक शारीरिक बनावट या आतंरिक शारीरिक क्रियाविधि या फिर हार्मोंस वंशानुगत अंडाणु शुक्राणु के मिलने में गतिरोध या बाँधा हो , तब समस्या गहन हो जाति है और तब गर्भ धारण करना एक कठिन समस्या हो जाता है |
गर्भ धारण तब होता है जब शुक्राणु और अंडाणु एक साथ मिलते है | यह गर्भावस्था बनाने के लिए होने वाले कई चरणों में से सबसे प्रमुख है | गर्भ धारण का व्यक्ति के मासिक धर्म चक्र से गहरा संबध रखता है | मासिक धर्म चक्र आपके शारीर के भीतर होने वाली घटनाओ के अनुक्रम को बताता है | क्युकी यह हर माह गर्भ अवस्था के संभावना के लिए तैयार रहता है |
गर्भ धारण करने के दुसरे तरीके
ऐसे में IVF या टेस्ट ट्यूब बेबी के द्वार गर्भ धारण करने का एक उम्मीद का किरण के पुर में सामने आता है जो हमारे संतान हीनता के कमी को दूर करता है IFV या टेस्ट ट्यूब बेबी की इस में प्राकृतिक निषेचन को ही नक़ल किया जाता है इसमें पुरुष और स्त्री दोनों की बराबर में भागीदारी होना चाहिए | इस प्रक्रिया में महिला के मासिक धर्म चक्र के दुसरे या तीसरे दिन से हार्मोनल इजेक्शन देना शुरू किए जाते है जो आने वाले 10 से 12 दिन तक लगातार एक ही समय में लगते है |
यह अंडाणु की संख्या को बढ़ने का काम करता है जिससे अच्छे अंडो विकसित होने में सहायत मिलती है जो की आगे चलकर एक सफल व सुरक्षित गर्भधारण में सहयोग प्रदान करता है |
अंडाणु की संख्या और उसकी गुणवत्ता निश्चित होने पर अंडो को निकलने से 36 घंटे पूर्व एक इजेक्शन एचसीजी लगाया जाता है इस इंजेक्शन को लगने से परिपक्व् अंडे ओवरी से बाहर आने पर पूर्ण रूप से विकसित हो जाते है उसके बाद हल्की बेहोशी में नियत समय में इन सभी अंडो को बहार निकल जाता है |
जो कि IVF Lab और OT में रहता है इसी दौरान पुरुष साथी के शुक्राणु को कलेक्ट करके तैयार किया जाता है जिसमे से स्वस्थ व कुशल शुक्राणु को IVF या ICSI के उपयोग में लाया जाता है | जब अंडाणु और शुक्राणु पूरी तरह से तैयार हो जाते है
तब इन्हें या तो IVF और ICSI करके भ्रूण तैयार किया जाता है और इस भ्रूण विकसित करने के लिए एक समुचित वातावरण और पोषक प्रदान किया जाता है भ्रूण के विकास के लिए 5 से 6 दिनो तक भ्रूण को परिपक्व महिला के गर्भाशय में दल दिया जाता है | जिसके बाद आघे जा कर गर्भ धारण करता है | प्राकृतिक रूप से बने भ्रूणों की संख्या से IVF द्वारा बने अन्डो तथा भ्रूणों की संख्या अधिक होती है जिसकी वजह से IVF भ्रूण के निर्माण और सही गर्भ धारण के सफ़लत को बढ़ता है और सही भ्रूण से चुनाव में मदत करता है |
IVF केंद्र सरकार से मान्यता प्राप्त होता है
IVF सेंटर या टेस्ट ट्यूब बेबी पूरी तरह सरकार से मान्यता प्राप्त है और सभी प्रकार के नियमो का पालन करता है |IVF सेंटर में किसी भी प्रकार की गलती होने की संभावना नही है क्योकि इसकी कार्य प्रणाली निर्धारीत होती है क्योकि IVF इलाज सभी लोगो की गोपनीयता का इसमें विशेष ध्यान रखा जाता है और इसे किसी भी संस्था द्वारा साझा नही किया जाता है
IVF से बने अतरिक्त भ्रूण पर क़ानूनी अधिकार
IVF द्वार बनाए गए अतरिक्त भ्रूण पर पूरी तरह आपका क़ानूनी अधिकार होगा | जिसका आप उपयोग कर भी सकते है और नही भी कर सकते है इसके लिए आप पुरे तरीके से स्वतन्त्र है | आपके सहयोग की वजह से IVF के इलाज में आसानी हुआ है इसका इलाज मंहगा होने के कारण यह है कि इसकी शारीरिक तत्वों को लैब में बनाना और उसकी गुणवत्ता को बढ़ाना है | IVF द्वारा पैदा हुए बच्छे पुरे तरीके से स्वस्थ होते है इसके द्वारा डिलीवरी सामान्य शिशु की तरह होता है |
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