Table of Contents
Togglechhattisgarh me jaat paat | जातिवाद
जातिवाद एक कुंठित मानसिकता की एक निशानी है जिसमे सामाज के कुछ वर्ग अपने आप को दुसरे वर्ग के लोगो को तुच्छ या निकृष्ट समझते है और अपने आप को उच्च समझते है | आज के अर्थात 21वी सदी में भी भारत सहित कई राज्यों में जातिवाद पूरी तरफ से फैला हुआ है भले ही बहार से लोग जताते है की हम सब एक लेकिन आज के समय में भी कोई इंसान हो के भी इंसान को अपने समान नही समझ पाए है |
आज पढ़े लिखे लोग भी इन चीजों का समथर्न करते है | आज के समय में भी जाती वाद बहुत ही बड़ी संशय का विषय है | बड़े पदों पर बैठे नेताए भी जाती वाद को बढावा देने का में की कमी नही करते है | ऊपर ऊपर से सब ऐसा दिखाते है जैसे हर जाती के लोग हर धर्म के लोग एक सब उनके लिए सामान है लेकिन आज भी जाती पाती उनके मन में समाया रहता है |
छत्तीसगढ़ में जाती वाद का प्रभाव बहुत ही जादा देखने को मिलता है | आज की मीडिया भी इस चीज़ को कभी नही दिखाती है | छत्तीसगढ़ में एक जाति के लोग दुसरो की खुशियों में किसी धार्मिक समारोह में भी सामिल नही होते है चाहे वह समारोह हिन्दू – हिन्दू ही क्यों न हो |
भारत में जाती प्रथा की शुरुआत
आज हमारे प्यारे देश भारत को आजाद हुए 76 साल हो गये है | लेकिन आज भी भारत कुछ चीजों को लेके गुलाम बना हुआ है | जिसमे से एक है जातिवादी सोच | छत्तीसगढ़ में बहुत से लोग ऐसी संकीर्ण सोच रखते है | हमारे देश में जाती प्रति की शुरुआत आज कोई 1575 साल पहले हुयी थी |जिसे आज भी लोग उसी जोश के साथ इस कुप्रथा को मानते आ रहे है | भारत में हिन्दू धर्म में जाती प्रथा की शुरुआत वैदिक काल (1500ई. – 500ई.) से माना जाता है |
भारत में कठोर जाति प्रथा की सूत्रपात कोई 1575 साल पहले हुआ था गुप्त साम्राज्य ने लोगो पर कठोर सामाजिक प्रतिबन्ध लगाये हुए थे उससे पहले लोग निर्कुश तरीके से आपस में घुलते मिलते और शादी – ब्याह भी करते थे |
छत्तीसगढ़ में जातिवाद
कई सौ साल पहले शुरू हुए इस कुप्रथा को आज भी लोग मानते आ रहे है | पढ़े लिखे लोग भी इसका समर्थन कर रहे है | वर्तमान समय में छत्तीसगढ़ की जनसंख्या लगभग 3.15 करोड़ है | जिसमे इनमे से 93.24 फीसदी हिन्दू 0.02 फीसदी मुस्लिम 0.019 फीसदी इसाई और 0.0027 फीसदी सिख समुदाय के लोग निवास करते है | कहा जाता है की भारत एक बहुधर्मी राष्ट्र है लेकिन आज हिन्दू – हिन्दू में भी जातिवाद पूरी तरह व्याप्त है | एक हिन्दू दुसरे हिन्दू को बैर के भाव से देखते है |
एक हिन्दू दुसरे हिन्दू को अपनाने से कतराते है | गीता में भी भगवान् श्री कृष्ण ने कहा है की हर समुदाय के लोग एक है परमात्मा ने सब को एक बनया है | छत्तीसगढ़ के महान संत , संत शिरोमणि गुरु घासीदास जी ने भी मनखे , मनखे एक सामान का नारा दिया लेकिन आज इन्सान जात पात के नाम पर एक दुसरे से घृणा करते है |
छत्तीसगढ़ में जातिवाद के विकास के करक
- विवाह सम्बन्धी प्रतिबन्ध – जाति प्रथा के अंतर्गत अपनी ही जाती में शादी करने का निर्देश है और इसका पालन भी लोग हजारो वर्षो से करते आ रहे है | अन्तर्विवाह सम्बन्धी यह जत्तीय नियम व्यवहारिक रूप से केवल उपजाति में विवाह की अनुमति देता है और एक जाती की उपजाति की सदस्य संख्या भी सिमित होती है | इस प्रथा से कई प्यार करने वाले अलग हो जाते है कई रिश्ते बिगत गये है | लोग यह नही सोचते की क्या भगवान हमे बनाते समय भेद भाव किया है क्या | लोग क्यों ये नही सोचते हसी की श्री कृष्ण जी तो यदुवंशी फिर क्यों उन्हें हर जाती के लोग पूजते है | जाति के नाम पर लोग दो लोगो का दो दिलो का बटवारा कर दिए है |
- प्रचार और यातायात के साधनों में वृद्धि – यातायात और प्रचार के साधनों में कमी में प्रचानी काल में जाती वाद पनप नही पाता था पर आज वह कमी दूर हो गयी है | लोगो में जाति धर्म के नाम पर दुरिया बढती जा रही है | लोग अपनी जाती का प्रचार कर अपनी जाती को सबसे उत्तम बता रहे है |
- जजमानी व्यवस्था का विघटन – जजमानी व्यवस्था के कारण विभिन्न जातियों के बीच आपसी सम्बन्ध स्थापित हुए परन्तु इस व्यवस्था के ख़त्म होने से विभिन्न जातियों के बिच आपसी सम्बन्ध ख़त्म हुए और लोग में दुरिया बड़ी और इससे जाति वाद को बढावा मिला |
जातिवाद के दुस्परिणाम
1.जातिवाद से सामाजिक एकता का कमजोर होना – जातिवाद सामाजिक अलगाव की प्रवित्ति का परिचायक है | जातिवाद के चलते व्यक्ति की निष्ठां अपनी जाती तक सिमित हो जाती है | वह जातीय हित को सामाजिक हित से श्रेष्ठ समझता है जिसकी वजह से वह उसकी पूर्ति में जायज या नाजयेज ढंग से लगा रहता है | इससे समाज में सामुदायिक भावना का नाश होता है | सामुदायिक भावना के नाश से सामाजिक एकता कमजोर होती है | और इससे राष्ट्रिय एकता कमजोर होती है |
2.अयोग्य व्यक्तियों का चयन – जातिवाद के कारन चाहे राजनितिक चुनाव में हो या विवाह , प्रेम आदि में अयोग्य व्यक्ति का चुनाव कर लेते है | इससे समाज में कुरियो का विस्तार होता है |
3.नैतिक मूल्यों का पतन – जातिवाद के कारन व्यक्ति अपनी जाति के सदस्य को आगे बढ़ाने के लिए हर उचित एवं अनुचित साधनों का प्रयोग करता है इससे नैतिक मूल्यों का पतन होता है |
4.सामाजिक तनाव – जातिवाद से सामाजिक तनाव से सामाजिक तनाव में वृद्धि होती है जब एक जाति अपने को अन्य जाति से उत्तम मानता है और दूसरी जाति को निम्न समझता है और उनके अधिकारों का हनन करता है तो समाज में संघर्ष एवं तनाव बढ़ जाता है |
5.जातिवाद दो दिलो को अलग कर देता , इससे कई जिन्दगिया बर्बाद हो गयी है , बहुतो ने अपने जीवन साथी के न मिलने पर अपना जीवन तक समाप्त कर दिया है | ये कैसी दुनिया जहा प्यार से बढ़कर जाति , धर्म है |
भला प्यार से बढ़कर जाती , धर्म होता है क्या | शारीर पर कोई निशान है क्या की ये सतनामी है , ये वर्मा है , ये यादव है , … भगवान् ने लोगो को बनाते समय कोई भेद नही किया तो हम इंसान कोण होते है | इस जात – पात के नाम पर हम सदियों से इंसानियत क बटवारा करते आए है| अब तो समझो की इंसानियत , प्यार से बढ़कर कोई जाति , धर्म नही होता | जात – पात के नाम पर दो दिलो को दूर करना छोडो आपस में प्यार बातो नफरत नही |
जातिवाद के निराकरण के उपाये
- जाति प्रथा को समाप्त करना
- जाति शब्द का कम से काम प्रयोग करना
- अंतरजातीय विवाह को बढ़ावा देना
- आर्थिक और सांस्कृतिक समानता
- जातीय संगठनों पर रोक
ये भी पढ़े –
1.mamta mayi mini mata : ममता मयी मिनी माता जयंती छत्तीसगढ़
2.shadani darbar chhattisgarh : शदाणी दरबार छत्तीसगढ़ की जाने प्रमुख बाते
3.dipadih ambikaapur chhattisgarh : डिपाडीह अम्बिकापुर , छत्तीसगढ़
4.kabir panthi tirth sthal damakheda : कबीर पंथी तीर्थ स्थल दामाखेड़ा जाने इसका इतिहास
5.madku dwip chhattisgarh : मदकू द्वीप छत्तीसगढ़ जाने इसकी खास बाते