dipadih ambikaapur chhattisgarh | डिपाडीह
डिपाडीह जिला मुख्यालय अम्बिकापुर से 73 किलोमीटर दूर कुसमी सडक मार्ग पर स्थित है | डिपाडीह शब्द का अर्थ है प्राचीन भग्न आवासों का टीला | प्राचीन स्थलों के सन्निकट तक की भूमि कृषि हेतु खेत में परिवर्तित कर दिए जाने से प्राचीन आवासीय संरचानाये पूर्णत: नष्ट हो जाने के पश्चात् भी यहाँ पर लगभग 2 किलोमीटर के क्षेत्र में प्राचीन भग्न मंदिरों का अवशेस टीलो के रूप में विद्यमान थे |
इन्हें टीलो के उत्खनन से 7 वी शती ईसवी से लेकर 10 वी ईसवी तक के प्राचीन मंदिरों के अवशेष , प्रतिमाये स्थापत्य खंड एवं मुर्तिफल प्रकाश में आये है | डीपाडीह में सामत , सरना , उराव , टीला ,रानी , पोखर , चामुण्डा मंदिर तथा बोरजा टीला में खनन कार्य से अधिकांश शिव मंदिर मिले | इसके अतिरिक्त यहाँ विष्णु , सूर्य , तथा देवी मंदिर भी ज्ञात हुयी है | सामत सरना डिपाडीह का प्रमुख पुरातत्विक स्थल है | सामत राजो के नाम से पूजित स्थल में पशुधर शिव की विशालकाय चतुरभुजि प्रतिमा , कार्तिकेय , नदी देविया , शिव , गजलक्ष्मी , चामुंडा एवं अन्य खंडित प्रतिमाये दिखाई देते है है |
स्थानीय मान्यताये
स्थानीय जनश्रुतिया है की प्राचीन काल में संत राजा एवं टांगीनाथ के मध्य भीषण युद्ध हुआ | जिसमे सामत राज युद्ध में वीरगति को प्राप्त हो गये तथा उनकी रानियों ने समीपस्थ बावड़ी में खुद कर प्राण त्याग दिए थे | वास्तव में क्षेत्रीय ग्राम वासी , शिव की भग्न प्रतिमा को ही सामत राजा मानकर पूजते थे | उन्ही के नाम से यह स्थल सामत सरना के नाम से प्रसिद्ध हुआ |सामत सरना परिसर में अवशेषों के आधार पर उत्खनन कार्य करवाया गया था , जिससे अनेक भुसात मंदिर तथा कलाकृतिया अनावृत हुए है |
कलाकृति
उरांव टोला स्थित शिव मंदिर में लोक जीवन तथा जीवजन्तु को शिल्पियों ने रूपायित करने में अद्भत भाव प्रवीणता का परिचय देता है | इस मंदिर में नृत्यरत मयूर , उड़ते हुए हंश तथा नायिकाओ के चित्रण से इस तथ्य की पुष्टि होती है | कर्नाभुशानो के प्रयोग में प्रमुख रूप से पोंगल एवं तरकी तथा बाली का प्रयोग किया गया है |
एक नारी प्रतिमा में दोनों कानो में अलग – अलग आभूषण धारण करते दिखाया गया है , जो आज भी सरगुजा क्षेत्र की वृद्ध महिलाये पहनती है | रस प्रकार केश विन्यास में जुड़े को कभी शिरोभाग के ठीक ऊपर झुकी हुयी स्थिति में तो कभी पीछे कंधे के निकट प्रदशित किया गया है |
ने विविधता को यापायित करने के लिए सौन्दर्य के साथ साथ सम्बंधित कथनाक को भी तराशा है |
मूर्तियों की सुरक्षा
डीपाडीह छत्तीसगढ़ में कई सारी मूर्तियों बहार रखा गया है और कई मूर्तियों को संग्रहालय में रखा गया है | अगर हम मूर्तियों की सुरक्षा की बात करे तो बाहर रखी हुयी मूर्तिया बिलकुल भी सुरक्षित नही है | खबरों के अनुसार यहाँ की मुर्तिया बहुत ही दुर्लभ है | और कई सारी दुर्लभ मुर्तिया चोरी भी हो चुकी है | यहाँ की दुर्लभ मूर्तियों की सुरक्षा के लिए सरकार को अवश्य ही कोई ठोस कदम उठाने चाहिए |
यहाँ की मुख्य घुमने की जगह
तातापानी – यहाँ पर प्राकृतिक रूप से धरती से गर्म जल निकल रहा है यह लोगो आश्चर्य से भर देता है इस लिए यहाँ देश भर में बहुत ही प्रसिद्ध है | कई बार हमारे देश के वैज्ञानिको ने भी इसका परीक्षण किया है | इसे देखने के लिए हर साल देश भर से लाखो सैलानी आते है | यहाँ का पानी इतना गर्म होता है की लोग यहाँ के पानी में आलू , चावल अंडे तक पका लेते है |
समरसोत अभ्यारण – अगर आप डिपाडीह की यात्रा करते है तो यह भी आपके घुमने के लिए बहुत ही उत्तम जगह हो सकता है | इस अभ्यारण्य में जंगली जंतु जैसे तेंदुआ , गौर , नीलगाय , चीतल , सांभर , कोटरा , सोंन कुत्ता आदि जानवरों को यहाँ घूमते देखने को मिलते है जो बहुत ही यादगार पल होते है| यह अभ्यारण्य सैलानियों के लिए नवम्बर से जून तक खुला रहता है |
पवीई जलप्रपात – यह झरना छत्तीसगढ़ का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है यहाँ पर पानी लगभग 90 से 100 फिट की ऊंचाई से नीचे गिरती है जिसे देख कर पर्यटक फुले नही समाते है | पवाई जलप्रपात स्थानीय लोगो के लिए बहुत ही आकर्षण का केंद्र है | लोग यहाँ छुटियो में आकर खूब मस्तिया करते है |
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