chhattisagrh ka navin jila sakti | जिला सक्ती छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ जिसे भारत में दक्षिण कौशल के नाम से जाना जाता है | छत्तीसगढ़ को भारत का धान का कटोरा कहा जाता है | 2021 से पहले छत्तीसगढ़ में कुल 28 जिले ही मौजूद थे पर उस समय के छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री माननीय भूपेश बघेल जी ने छत्तीसगढ़ में जिलो की संख्या को बड़ा कर 33 कर दिया जिसमे से एक जिला है सक्ती | जिसके बारे में हम आज हमारे टीम आप को कुछ जानकारिया उपलब्ध कराएगी |
छत्तीसगढ़ का 33 वा जिला सक्ती धार्मिक और आध्यात्मिक चेतना के केंद्र के रूप में स्थापित नव गठित जिला है | छत्तीसगढ़ के उस समय के तात्कालिक मुख्यमंत्री माननीय भूपेश बघेल जी 15 अगस्त 2021 में सक्ती को छतीसगढ़ का नया जिला बनाने की घोषणा की | इस घोषणा के बाद छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी ने 9 सितम्बर 2022 को सक्ती को जिले के रूप में गठित कर दिया |
सक्ती जिले का प्रशासनिक विवरण
सक्ती जिले का गठन 9 सितम्बर 2022 को किया सक्ती जिला का मत्री जिला जांजगीर – चांपा है अर्थात सक्ती पहले जांजगीर चंपा जिले में आता था जो अब नये जिले के रूप में गठित हो चुका है | यह जिला बिलासपुर संभाग के अन्दर आता है | सक्ती जिले का सीमावर्ती जिला रायगढ़ , कोरबा , जांजगीर – चांपा , सारंगढ़ – बिलाईगढ़ आदि जिला इसके सीमावर्ती जिला है|
छत्तीसगढ़ के नए बने इस 33 वे जिले में 6 तहसील है सक्ती , नया बाराद्वार , जैजपुर , मालखारौदा , डभरा (चंद्रपुर) , अड्भार आदि | इस जिले में कुल चार विकासखंड है जिसमे सक्ती , डभरा , जैजपुर , मालखरौदा शामिल है | इस जिले में केवल एक नगरपालिक है जिसका नाम सक्ती है | सक्ती जिले में 3 विधान सभा क्षेत्र है – सक्ती , डभरा – चंद्रपुर , जैजपुर |
भागैलिक विवरण
छत्तीसगढ़ के इस सक्ती जिले में कई सिंचाई परियोजनाए मौजूद है | जो इस जिले हर फसल को मदद पहुचती है | जो किसानो के हर समस्या को आसान बनाती है | इस जिले में बहने वाली नदी महा नदी में जल औद्योगिक परियोजनाए है जिसमें साराड़िह बैराज , कमला बैराज , मिरौनी बैराज शामिल है |
सक्ती क्षेत्र का इतिहास
सक्ती जिले के नाम पर गौर करे तो इसके नाम को लेकर कई कहानिया मिलती है | माना जाता है की यह क्षेत्र संबलपुर शाही परिवार के अधिन था | दशहरे के दिन गोंड राजाओ ने भानसो को लकड़ी की तलवार से मारकर अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते थे | उनके इस प्रदर्शन को देख कर समबलपुर के राजा ने सक्ती को एक स्वतंत्र रियासत का दर्जा दे दिया | सक्ती रियासत छत्तीसगढ़ के प्रमुख मान्यता प्राप्त राज्यों में से एक था |
मान्यताओं के अनुसार यहाँ की भूमि शक्ति से भरपूर है इसलिए इसे सक्ती के नाम से जाना जाता है | | मध्यप्रदेश के समय में यह सबसे छोटी रियासत थी | छत्तीसगढ़ के गठन के 22 साल बाद इस क्षेत्र को एक नए जिले के रूप में मान्यता मिल गयी |
सक्ती जिले में स्थित पर्यटन स्थल / धार्मिक स्थल
सक्ती जिले में लोगो के घुमने के लिए कई सारे दारशनिक एवं प्रकृतिक स्थल मौजूद है जिनमे सक्ती जिले के अन्दर आने वाले बालपुर में स्थित साहित्य का तीर्थ स्थल सक्ती जिले के अन्दर आने वाले बालपुर में स्थित साहित्य का तीर्थ स्थल सक्ती जिले के अन्दर आने वाले बालपुर में स्थित साहित्य का तीर्थ स्थल जो लोचनप्रसाद पांडे , मुकुटधर मुकुटधर पांडे जी का जन्म स्थल है | इसी प्रकार इस जिले में स्थित अड्भार में भी अष्टभुजी माता का मंदिर है जहा पर हर साल नवरात्री के अवसर पर भव्य मेले का आयोजन होता है |
इस जिले में तुर्री धाम भी एक तीर्थ स्थल के रूप में जाना जाता है यहाँ पर यहाँ पर एक शिव मंदिर स्थित है | यह एक प्राकृतिक रूप से बना हुआ शिवलिंग है जिसमे से लगातार जलधारा बहती रहती है | यहाँ पर हर साल मकरसंक्रांति और महाशिवरात्रि के दिन मेले का आयोजन होता है | इसी प्रकार इस जिले में स्थित चन्द्रपुर है जहा पर कई धार्मिक स्थल है यहाँ पर महानदी, मांडनदी और लात नदी का संगम दिखयी देता है यहाँ पर चंद्रहासिनी माता का मंदिर और नाथल दाई का मंदिर स्थित है |
प्राकृतिक संसाधन
छत्तीसगढ़ का 33 वा जिला सक्ती जल संशाधनो से परिपूर्ण है | महानदी , सोन और बोरई क्षेत्र से बहने वाली प्रमुख नदी है | इस जिले की जलवायु कृषि के लिए बहुत ही अनुकूलित है | छत्तीसगढ़ राज्य के अन्य जिलो की तुलना में यहाँ पर लगभग 94% भूमि में सिंचाई की सुविधा है | यहाँ पर मुख्य रूप से धन की खेती की जाती है | और यहाँ पर गेंहू , चना , अरहर , मुंग , आदि की भी खेती की जाती है |
मिनी माता बांगो बाँध के माध्यम से यहाँ के पुरे क्षेत्र में नहर के माध्यम से पानी पहुंचाई जाती है जिससे यहाँ पर द्विफसल संभव हो पता है | सिंचाई सुविधा की उपलब्धि के कारण यहाँ पर बागवानी फसलो के साथ – साथ मसालों की भी खूब खेती की जाती है |
सक्ती जिले में खनिज संपदा
छत्तीसगढ़ का नव निर्मित जिला सक्ती कई खनिज प्रकार के खनिज संपदा से परिपूर्ण है | यहाँ पर डेलोमाईट का प्रचुर भण्डार है | इसी कर्ण इस जिले को डेलोमाईट हब भी बनाए जाने की संभावना है | यहाँ पर उत्पादित डेलोमाईट खनिज का उपयोग भिलाई , राउरकेला , और दुर्गापुर के साथ – साथ देश के विभिन्न हिस्सों में भी भेजा जाता है | हाल ही में छत्तीसगढ़ विकास निगम ने 460 हेकटेयर डेलोमाईट खदान के लिए अनुमति मांगी है |
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