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CG Education policy : छत्तीसगढ़ में कॉलेज की शिक्षा के बारे में जानिये कैसी है शिक्षा नीति

CG Education policy
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CG Education policy | छत्तीसगढ़ की शिक्षा नीति

CG Education policy : वर्तमान समय में भारत की शिक्षा नीति अंग्रेजो से प्रेरित है | यह भारत के लिए बहुत ही बुरी बात है | भारत की शिक्षा नीति में भारत के महान लोगो के विचरो को न बता कर वेस्टर्न विचारो को बताया जाता है | छत्तीसगढ़ सहित भारत के स्कूल , कॉलेज में भाषा का बहुत ही बड़ा भेद भाव दिखाई पड़ता है |

कॉलेज में जनरली यह देखा जाता है की वह के जो प्रोफ़ेसर होते है वे बच्चों को इंग्लिश में पढ़ते है | और कॉलेज में इंग्लिश मीडियम और हिंदी मीडियम दोनों में पढाई करने वाले विद्यार्थी रहते है | जो विद्यार्थी अपनी स्कूल की शिक्षा इग्लिश मीडियम में पूरी करके कॉलेज में आते है उन्हें इंग्लिश से प्रोब्लम नही होती है | लेकिन जो बच्चे हिंदी मीडियम से पढ़ाई करके आते है उन्हें इंग्लिश में समझना बहुत ही मुश्किल होता है |

कॉलेज की शिक्षा नीति

छत्तीसगढ़ सहित पुरे भारत में आज भारत की मत्री भाषा की बहुत ही बुरु हालत दीखाई पड़ती है | आज के समय की शिक्षा नीति को देखते हुए कोई भी माता पिता अपने बच्चो को सरकारी स्कूल में नही भेजना चाहती है इसका एक सबसे बड़ा कारण आगे चलकर भाषा से आने वाली पढाई में सस्याओ के कारण | जैसा को सभी को पता है कॉलेज में हिंदी और इंग्लिश मीडियम दोनों से पढ़ कर आये विद्यार्थी रहते है | जो विद्यार्थी इंग्लिश में पढ़े होते है उन्हें कोई समस्या नही है लेकिन जो हिंदी मीडियम वाले है उन्हें बहुत ही समस्या का सामना करना पड़ता है |

कॉलेजो ने सामान्यता यह देखा जाता है की बच्चो वह के प्रोफ़ेसर इंग्लिश में पढ़ कर आते है और बच्चों से वही उम्मीद करते है की वे भी इंग्लिस में ही समझे | लेकिन हिंदी माध्यम से आने वाले बच्चों को इसमें लेकिन हिंदी माध्यम से आने वाले बच्चों को इसमें बहुत ज्यादा समस्या होती है | जब बच्चे शिक्षक को अपनी भाषा से सम्बन्धित समस्या के बारे में बोलते है शिक्षक उसे दूर करने के बजाय उसे बच्चो की ही प्रोब्लम बता देते है |

इसका एक सामान्य सा उदहारण यह देखा जा सकता है की कॉलेज में विज्ञान की विषय की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट जैसे बायोटेक्नोलॉजी , माइक्रो बायोटेक्नोलॉजी जैसे विषयों की पुस्तके हिंदी माध्यम में आसानी से उपलब्ध नही होती है | लेकिन वही अगर इग्लिश में इन विषयों की किताब ढूंढे तो बाजार में हजारो पुस्तके मिल जायेंगे | भारत की मातरी भाषा हिंदी होते हुए भी यहाँ पर की मातरी भाषा हिंदी होते हुए भी यहाँ पर हिंदी में लिखित पुस्तकों को ढूंढने में समस्या का होना भारत की बेकार शिक्षा नीति की ओर इशारा करती है |

कॉलेज की शिक्षा नीति
कॉलेज की शिक्षा नीति

हिंदी माध्यम वाले बच्चे सामान्यता बीएससी के बाद अपना विषय बदल लेते है

छत्तीसगढ़ सहित पुरे भारत में ऐसा देखा जाता है की जो बच्चे हिंदी माध्यम वाले होते है वे बीएससी में अपना ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद अपना विषय बदल लेते है | वे एमए कर लेते है इसका सबसे बड़ा कारण भारत की शिक्षा नीति में अंग्रेजी भाषा को बहुत अधिक महत्व देने | कॉलेज में हिंदी माध्यम वाले बच्चे जैसे तैसे उन्हे समझ ने बीएससी तक तो पढ़ लेते है उसके बाद वे भाषा में आने वाली समस्या से डर कर अपना विषय बदल लेते है |

कॉलेज में शिक्षको को कोई मतलब नही होता है की बच्चे कुछ समझ रहे है या नही वे इंग्लिश में लिख लिख कर पढ़ते है और चले जाते है | या वे प्रोजेक्टर में स्लाइड बना कर दिखा  है और उसी को समझा देते है | बच्चों को शिक्षा नोट भी कराते है तो उसमे भी वे इंग्लिश का ही प्रयोग करते है | कॉलेज में एमएससी करने वाले विद्यर्थियो को अंग्रेजी में ही प्रश्न पत्र दिए जाते है | यह चीज़ सोचने वाली बात है की जो विद्यार्थी हिंदी माध्यम से पढ़ कर आया है वो इस इंग्लिश के प्रश्नपत्र किसे समझा पायेगा |

भारत की मात्री भाषा हिंदी होते भी भारत में हिंदी की इतनी दुर्गति और कहीं देखि नही जाती है | जिनके पास पैसे है उनके बच्चे अंग्रेजी माध्यम में पढ़ रहे है और जिनके पास पैसे नही है उनके बच्चे हिंदी माध्यम में | देश में कितने ही ऐसे बच्चे है जो इसी भाषा के कारण आगे अपना विषय बदल देता है | हिंदी हमारे देश के लिए बहुत ही जरुरी है | इंग्लिस का ज्ञान होना चाहए लेकिन हिंदी हमारे देश का शान है वह हमारे देश की राष्ट्र भाषा है उसका सम्मान करना हमारा धर्म है |

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