डॉ. भीमराव आंबेडकर ने किया धर्मान्तर
डॉ. भीमराव आंबेडकर जिसे आज पूरी दुनिया जानती है | Dr. Bhimrao Ambedkar को भारत के संविधान निर्माता के रूप में जाना जाता है तथा दलितों में भगवान की तरह भी पूजा जाता है क्योकि उनके द्वारा सभी लोगो में समानता का अधिकार दिलाया | एक दलित बच्चा कैसे अपने मेहनत के दम पर न केवल 32 डिग्री हासिल किया बल्कि उनके द्वारा पुरे देश में सभी का देश में सामान अधिकार दिलाया |
एक रिपोर्ट के मुताबिक ऐसे माना जाता है की दुनिया भर में सबसे ज्यादा मूर्ति डॉ. भीमराव आंबेडकर की है | लेकिन अंत में डॉ. भीमराव आंबेडकर ने खुद धर्मांतरण किया ऐसी कौन सी वजह होगी की उन्होंने धर्मांतरण किया आईये उनके बारे में विस्तार से जानते है |
डॉ. भीमराव आंबेडकर का जीवन
डॉ. भीमराव आंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 में हुआ था जो आज देश भर में डॉ. बाबासाहब भीमराव आंबेडकर के नाम से जाना जाता है | वे भारत के प्रथम विधि तथा न्याय मंत्री थे जिन्हें भारतीय संविधान का जनक कहा जाता है | वे पढाई के लिए बहुत लालाहित थे |
आंबेडकर विपुल प्रतिभा जो भीमराव आंबेडकर के के शिक्षक थे | एक और बात जो बाबासाहब आंबेडकर के नाम में जो आंबेडकर आता है वे उनके शिक्षक का ही गोत्र है जो बाबासाहब Dr. Bhimrao Ambedkar को उनकी शिक्षा में कोई परेशानी न हो इसके लिए दिया गया था |
बाबासाहब भीमराव आंबेडकर का असली नाम भिवा रामजी आंबवडेकर था | आंबवडेकर उनके गांव के नाम पर पर रखा गया था उनके गांव का नाम आंबाडवे था |
डॉ. भीमराव आंबेडकर की शिक्षा
उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा सतारा गांव में 7 नवंबर 1900 में अंग्रेजी शासकीय स्कुल जो आज प्रतापसिंह स्कुल के नाम से जाना जाता है शुरू किया था | बचपन के भिवा को उनके परिवार के मित्र तथा उनके लेखक दादा केलुस्कर द्वारा बुद्ध के जीवन का स्वलिखित पुस्तक पड़ने को मिला था | डॉ. भीमराव आंबेडकर ने पहली बार गौतम बुद्ध और बौद्ध धर्म के बारे में जाना और उनके प्रशिक्षण से प्रभावित हुए थे |
उन्होंने अपने माध्यमिक शिक्षा 1897 मुंबई में एल्फिस्टोन रोड में स्थित शासकीय हाईस्कुल से आगे जारी रखा | 1097 में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास कर लिए और बम्बई के एल्फिस्टन कॉलेज में प्रवेश किया 1912 में उन्होंने अपनी स्नातक की पढाई पूरा कर लिया था |
उन्होंने कोलंबिया यूनिवर्सिटी से स्नातकोतर की पढाई किया | इसके बाद डॉ. भीमराव आंबेडकर लंदन चले गए थे जहाँ उन्होंने लन्दन स्कुल ऑफ़ इकोनॉमिक में स्नातकोतर की पढाई किया | इस तरह डॉ. भीमराव आंबेडकर ने अपने जीवन कल में 32 डिग्रीया हासिल किया |
छुवाछुत के विरुद्ध संघर्ष
डॉ. भीमराव आंबेडकर का कहना था की छुवाछुत गुलामी से भी बत्तर है | भीमराव आंबेडकर को महाराजा गायकवाड के सैन्य सचिव के रूप में नियुक्त किया गया था | लेकिन वाही पुरानी बुमारी छुवाछुत तथा जातिवाद की वजह से उन्हें वह नौकरी छोडनी पड़ी | 1918 में उन्हें मुंबई के एक कॉलेज में राजनितिक अर्थशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में काम किया लेकिन उन्हें साथी शिक्षको ने उनके साथ पानी पीने तथा बर्तन साझा करने से माना कर दिया था |
भारत सरकार अधिनियम 1919 में तैयार कर रहे एक साऊथबरो समिति में डॉ. भीमराव आंबेडकर को एक प्रमुख विद्वान् के रूप में साक्ष्य देने के लिए बुलाया गया था | जिसमे उन्होंने दलित तथा अन्य जाति के लोगो को आरक्षण देने की बात कही थी |
डॉ. भीमराव आंबेडकर का बौद्ध धर्म में परिवर्तन
डॉ. भीमराव आंबेडकर का 1950 में बौद्ध धर्म के प्रति आकर्षण बड़ा | वे बौद्ध भिक्षु तथा विद्वानों के सम्मेलन में भाग लेने के लिए श्रीलंका गए थे | पुणे के पास उन्होंने एक बौद्ध विहार की स्थापना करते हुए कहा की वे बौद्ध धर्म पर एक किताब लिख रहे है और वे बहुत जल्द बौद्ध धर्म ग्रहण करने वाले है |
डॉ. भीमराव आंबेडकर बौद्ध धर्म से बचपन से ही प्रभावित थे | उन्होंने अपने लिखे एक पुस्तक में कहा है की वे उस धर्म में अपना प्राण नहीं त्यागना चाहते है जिसमे उन्होंने साँस लिया है | 14 अक्टूबर 1956 में उन्होंने बौद्ध धर्म को स्वीकार कर लिया | वे इसके लिए पहले से ही तैयार थे उन्होंने अचानक से ही यह निर्णय नहीं लिया था |
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