Income Tax : || आयकर
Income Tax : बता दे की आयकर भारत में एक वित्तीय वर्ष (1 अप्रैल से 31 मार्च) और एक क़ानूनी प्रक्रिया (उत्तरदायित्व) के रूप में कार्य करती है l यह दायित्व भारत में रहने वाले सभी व्यक्ति या आयकरदाता लोगो का होता है l आयकर वित्तीय वर्ष (1 अप्रैल से 31 मार्च) तक एक निश्चित राशी से अधिक आय प्राप्त करने या कमाने वाले भारत के सभी लोगो को आयकर का भुगतान करना होता है l आयकर भुगतान करने के लिए निश्चित दरे और नियम होते है जो केन्द्रीय सरकार द्वारा लागु होते है l आइये जानते है इनकम टैक्स किसे देना होता है l
आयकर से आप क्या समझते है
वास्तव में आयकर एक ऐसा कर है जो किसी व्यक्ति या व्यवसायी या पेशेवर के द्वारा एक वित्तीय वर्ष (1 अप्रैल से 31 मार्च) में अर्जित (प्राप्त) आय पर लगाया जाता है l भारत में यह आयकर प्रणाली आयकर अधिनियम 1961 के द्वारा लागु है l जो आयकर के गणना, संग्रह और मूल्यांकन के लिए नियम और कानून पारित करता है l सभी करदाताओ को अपनी आय का रिपोर्ट प्रस्तुत करने और लागु होने पर कर वापसी का दावा करने के लिए अधिनियम के अनुसार प्रतिवर्ष निर्धारित तिथियों तक इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) जमा करना होता है l
इनकम टैक्स रिटर्न आयकर विभाग के अधिकारिक वेबसाइट पर या ऑफ़लाइन जमा किया जाता है lबता दे की भारतीय आयकर प्रणाली में बहुत से कटौतिया और छुट की प्रावधान भी है जिसका प्रयोग कर किसी वित्तीय वर्ष के लिए करदाता को अपने इनकम टैक्स में कमी कर सकता है l
करदाता से आप क्या समझाते है
भारत में किसी भी व्यक्ति को एक वित्तीय वर्ष (1 अप्रैल से 31 मार्च) तक यदि ढाई लाख (2,50,000) से अधिक आय प्राप्त करता है तो उसे भारत सरकार को आयकर देना होता है l इन लोगो को ही करदाता कहते है l भारत में करदाता कई प्रकार के हो सकते है l
ये करदाता निम्न है –
▪ एक व्यक्ति ( जो 18 से 60 वर्ष तक, 60 से 80 वर्ष तक और 80 वर्ष से अधिक वाले व्यक्ति के रूप में विभाजित )
▪ कम्पनियों
▪ फर्मो
▪ कृत्रिम न्यायिक व्यक्ति
▪ हिन्दू अविभाजित परिवार (HUP)
▪ व्यक्तियों का संघ (AOP)
इनकम टैक्स स्लैब क्या है
इनकम टैक्स स्लैब एक निश्चित सीमा को दर्शाता है कि करदाता को कितनी आय (राशी) पर कितना प्रतिशत टैक्स लगेगा l और किस करदाता का कितनी राशी तक शून्य या नील रहेगा l दुसरे शब्दों में कहे तो इनकम टैक्स स्लैब के द्वारा टैक्स रेट (दर) की पहचान की जाती है l जिसका मुख्य उपयोग आयकर देयता के लिए होता है l यह इनकम टैक्स स्लैब स्थाई नहीं रहता है साल दर साल बदलते रहते है l
वितीय वर्ष 2023 – 24 के अनुसार टैक्स स्लैब इस प्रकार है –
0 से 3 लाख तक शून्य (नील)
3 से 6 लाख तक 5%
6 से 9 लाख तक 10%
9 से 12 लाख तक 15%
12 से 15 लाख तक 20%
इस स्लैब के अनुसार 3 लाख तक कोई टैक्स नहीं लगेगा अर्थात जिस व्यक्ति की वार्षिक आय 3 लाख से काम होगी उसे कोई टैक्स चुकाना नहीं पड़ेगा l
इनकम टैक्स की गणना
बता दे की इनकम टैक्स ( आयकर ) एक प्रत्यक्ष रूप से लगाने वाला कर है l क्योकि इस कर को एक व्यक्ति के रूप में सभी करदाता सरकार को आयकर विभाग के अधिकारिक वेबसाईट के जरिये ऑनलाइन भुगतान किये जाते है l
इनकम टैक्स की गणना के लिए सबसे पहले एक व्यक्ति के सभी आय प्राप्त करने वाले स्रोत की गणना की जाती है l ये निम्न स्रोत या पांच शीर्ष लागु होते है –
- वेतन से प्राप्त करने वाले आय
- मकान संपत्ति से आय
- व्यापर एवं पेशा से आय
- पूंजीगत लाभ से आय
- अन्य साधनों से आय
इन सभी पांच शीर्षकों के अंतर्गत आय ज्ञात करने के साथ साथ प्रत्येक शीर्षक से कटौतिया भी दी जाती है l जैसे वेतन से आय में मानक कटौती 50 हजार तक, माकन संपत्ति में वार्षिक मूल्य का 30% तक छुट l
इनकम टैक्स में मिलने वाली कटौतिया
करदाता को इनकम टैक्स भुगतान करने के साथ साथ उसे विभिन्न प्रकार के कतौतिया भी मिलती है l ऊपर बताये गए पांच शीर्षकों के अलावा आयकर प्रणाली में और भी कई कटौतिया या छुट शामिल है l ये कटौतिया निम्न प्रकार के होते है –
आयकर अधिनियम की धारा 80C से 80U तक के कटौतिया
- ▪ धारा 80C (1,50,000) तक – इस धारा के अंतर्गत जीवन बिमा योजन, राष्ट्रिय बचत प्रमाणपत्र और सार्वजानिक भविष्य निधि जैसे विकल्पों में जमा करके कटौती प्राप्त कर सकते है l
- ▪ धारा 80D (5,000) तक – करदाता स्वास्थ्य जाँच के लिए इस धारा का दावा करके 5,000 तक कटौती प्राप्त कर सकता है l ये कटौती अपने लिए या अपने जीवनसाथी या बच्चे के लिए भी ले सकता है l
- ▪ धारा 80E – यह धारा सिक्षा के लिए ऋण पर ब्याज के पुनर्भुगतान के लिए मिलता है l
- ▪ धारा 80G – इसमें कटौती पाने के लिए पात्र संस्थानों या फंडो को 2,000 से अधिक की राशी का दान करना होता है l आयकर अधिनियम के तहत इसमें 50% या 100% तक छुट मिलती है l
- ▪ धारा 80TTA (10,000) तक – इसके अंतर्गत बैंको, सहकारी समितियों या डाकघरों में रखे गए बचत खातो के लिए कटौती दी जाती है l
- ▪ धारा 80U (75,000 और 1.25,000) तक – यह कटौती करदाता और उसके परिवार में के विकलांगता से पीड़ित बचाव के लिए दी जाती है l जिसमे विकलांग व्यक्ति को 75,000 और गंभीर विकलांग व्यक्ति को 1,75,000 तक कटौती मिलती है l
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