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ToggleTulsidas Jayanti | तुलसीदास जयंती 2024
Tulsidas Jayanti : तुलसीदास जी जो भारतीय इतिहास के बहुत ही महान महान व्यक्तित्व के धनी | उन्हें बहुत ही बड़े राम भक्त के रूप में पुरे भारतवर्ष में जाना जाता है | उन्हें राम भक्त तुलसीदास भी कहा जाता है | तुलसीदास जी भारत के एक महान कवी थे | तुलसीदास जी का पूरा नाम गोस्वामी तुलसीदास जी था | वे अपनी लेखनी के लिए पुरे भारतवर्ष में प्रसिद्ध हुए | उन्होंने भारत के एक महान ग्रन्थ रामचरित मानस की रचना भी की है | उन्ही के कारण आज रामायण की गाथा पुरे भारतवासियों के समक्ष स्पष्ट रूप से प्रकट है | उन्हें भगवान् श्री राम जी के बहुत बड़े भक्त के रूप में भारत में मान्यता मिली है |
कवी तुलसीदास जी का जन्म
कवी तुलसीदास जी भारत के एक महान कवी और लेखक थे | उन्होंने भारत की सबसे प्रचलित ग्रंथो ने से एक रामचरितमानस की रचना की है | कवी तुलसीदास जी का जन्म 1532 ईस्वी में भारत के उत्तरप्रदेश राज्य के राजापुर जिले के बांदा में हुआ था | जिस समय इनका जन्म उस समय भारत में मुग़ल शासक अकबर का शासन चल रहा था | कवी तुलसीदास जी जन्म से ही ब्राम्हण थे | उनके पिता जी का नाम तुलसीदास आत्माराम शुक्ल था
तुलसीदास जी के माता का नाम श्रीमती हुलसी देवी था | बचपन में उन्हे तुलसीराम के नाम से जाना जाता था | तुलसीदास जी को वाल्मीकि ऋषि का ही रूप माना जाता था | तुलसीदास जी का बचपन गरीबी और कष्ट में बिता | तुलसीदास की शादी रत्नावली नामक एक कन्या से हुयी जिनसे उन्हें तारक नाम का एक पुत्र भी हुआ | कवी तुलसीदास जी भगवान् राम के सच्चे अनुयायी थे | उन्होंने अपनी शिक्षा गुरु नर हरीदास जी से प्राप्त की |
तुलसीदास जी कैसे आध्यात्म की ओर गये
तुलसीदास जी को भारत में एक महान राम भक्त और महा कवी के रूप में माना जाता है | उन्हें वाल्मीकि ऋषि का ही एक रूप माना जाता है | उन्होंने रामचरितमानस की रचना जी है | उनका जन्म अकबर के शासन काल में हुआ था | उनके आध्यात्म की जाने को लेकर एक कहानी कही जाती है की कवी तुलसीदास जी अपनी पत्नी बहुत अधिक प्रेम करते थे |
कवी तुलसीदास जी अपनी पत्नी से इतना प्रेम करते थे की उन्होंने अपने ससुराल में अपनी पत्नी के मायके के पास ही एक घर ले अपनी पत्नी से इतना प्रेम करते थे की उन्होंने अपने ससुराल में अपनी पत्नी के मायके के पास ही एक घर ले लिया था | जब यह बात उनकी पत्नी को मालुम हुयी तो उन्होंने उनके इस प्रेम का तिरस्कार कर दिया | और उनकी पत्नी ने उनसे कहा की जितना प्रेम मुझ करते हो उतना ही प्रेम भगवान् श्री राम जी से करना चाहिए |
पत्नी के इस तिरस्कार के कारण और उनकी इस बात को सुनकर तुलसीदास की उसे पल ही सभी मोह माय को त्याद्ग दिया और उन्होंने अध्यात्म को ग्रहण क्र लिया | और वे एक तपस्वी का और वे एक तपस्वी का जीवन जीने लगे | इसके बाद उन्होंने अगले कई वर्षो तक पुरे भारत में भ्रमण किया और विभिन्न स्थानों ने जा कर भगवान् राम की खोज की | इस तरह से वे आध्यात्म की ओर गये |
तुलसीदास जी ने लेखन कार्य कब शुरू किया
कवी तुलसीदास जी को भारत के एक महान लेखक और कवी के रूप में जाना जाता है और कवी के रूप में जाना जाता है | उन्होंने रामचरितमानस मानस नामक एक ग्रन्थ की रचना की जो भारत में बहुत ही अधिक प्रचलित हुयी है जिनपर कई सारी धारावाहिक और फिल्मे भी बनी | उन्होंने अपना लेखन कार्य साल 1574 में ईस्वी में शुरू की | उन्होंने कई सात्यिक रचनाये की है | उनकी सबसे प्रचलित कृति रामचरित मानस नामक एक महाकाव्य है |
गोस्वामी तुलसीदास की प्रमुख रचनाएँ
कवी तुलसीदास जी भारत के एक महान कवी थे | उन्होंने लेखन कार्य साल 1574 में शुरू की , और उन्होंने कई साहित्यों के साथ सुन्दर कविताये , दोहों को कहावतो की रचना की | उनकी लिखित कुछ प्रमुख कृतिया इस प्रकार है – रामचरितमानस , दोहावली , कवितावली , गीतावली , कृष्णावली , विनयपत्रिका और देव हनुमान जैसे साहित्यों की रचना जी है |
आज के समय में गई जाने वाली हमुमान चालीसा उसकी रचना तुलसीदास ने ही की थी | उनकी लघु रचनाओ में वैराग्य संदीपनी , बरवै रामायण , जानकी मंगल , रामलला नहछू , पार्वती मंगल और संकट मोचन शामिल है | तुलसीदास जी की रचनाओं की मुग़ल तुलसीदास जी की रचनाओं की मुग़ल तुलसीदास जी की रचनाओं की मुग़ल राजा राजा अकबर और जहाँगीर ने प्रसंसा की है |
सन 1623 में तुलसीदास जी 91 साल की आयु में स्वर्ग सिधार गये उनकी मृत्यु भारत के बनारस साल की आयु में स्वर्ग सिधार गये उनकी मृत्यु भारत के बनारस में हुयी |
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