the tiger boy chandru mandavi | द टाइगर बॉय चेंदरू मंडावी छत्तीसगढ़
the tiger boy chandru mandavi : चेंदरू मंडावी छत्तीसगढ़ राज्य का एक ऐसा नाम जिसने भारत सहित पूरी दुनिया में अपने नाम का छाप छोड़ा है | दुनिया में ऐसा कोई नही होगा जिसने उनका नाम नही सुना हो | उसे छत्तीसगढ़ सहित पुरे भारत में द टाइगर बॉय के नाम से भी जाना जाता है | chandru mandavi छत्तीसगढ़ का एक ऐसा प्रसिद्ध नाम था जिनसे मिलने और उसे बाघ के साथ खेलते हुए देखने के लिए भारत सहित पूरी दिनिया भर से लोग आते थे | उसे वास्तविक मोगली भी कहा जाता है | उसे अपने काम और वीरता से पूरी दुनिया का मन मोहा है |
आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बस्तर में आदिवासियों की वीर गाथा आज भी सुनाई जाती है | अबूझमाड़ के घनघोर जंगलो में आदिवासी के विभिन्न जनजाति के लोग आज भी मौजूद है जो अपनी बहादुरी के किस्सों के लिए पूरी दुनिया भर में प्रसिद्ध है उनमे से के है बस्तर के the tiger boy चेंदरू मंडावी | चेंदरू और बाघ के दोस्ती आज भी पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है | उन्होंने सात साल की उम्र में ही ख्याति प्राप्त कर ली थी | चंदरू मंडावी का जन्म नारायण पुरे जिले के ग्राम गढ़बेंगाल में हुआ था |
चंदेरू मंडावी पर हॉलीवुड मूवी भी बनायी गयी है | करीब 10 साल की उम्र में रहे chandru mandavi के ऊपर उनके और टाइगर की दोस्ती के पर आधारित एक हॉलीवुड मूवी बनाई गयी है जिसका नाम “ द जंगल सागा “ है | इस फिल्म को ऑस्कर पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चूका है | इस मूवी में बस्तर के चेंदरू को हीरो मनाया गया था | उस पर बनी फिल्म 75 मिनट की यह फिल्म जब यूरोप के सेल्युलाईट परदे पर चली तो यूरोप के लोग चेंदरू के दीवाने हो गये और वे रातो रात हॉलीवुड स्टार बन गये थे |
चेंदरू मंडावी और बाघ के दोस्ती
बस्तर के प्रमुख जानकार हेमंत कश्यप जी ने बताया की पुरे छत्तीसगढ़ राज्य में मोगली नाम से प्रसिद्ध the tiger boy चेंदरू मंडावी इस पूरी दुनिया के लिए किसी अजूबे से कम नही था | चेंदरू मंडावी आदिवासी समुदाय का एक ऐसा असाधारण बालक था जो बचपन से ही एकखूंखार जंगली जानवर बाघ के साथ खेलता था और उसके साथ ही अपना अधिकतर समय बिताता था | the tiger boy पूरी दुनिया में 60 के दशक में प्रसिद्ध था | उन्हें द टाइगर बॉय के नाम से जाना जाता था | उसके जीवन का सबसे अच्छा पहलु उसका टाइगर के साथ दोस्ती थी |
दोनों हमेशा साथ ही रहते थे दोनों एक साथ सोते थे , एक साथ खेलते थे , एक साथ ही खाना खाते थे और साथ खेलते थे | हेमन्त कश्यप जी बताते है की उसमे 60 साल पहले पूरी दुनिया का ध्याम अपनी और खिंचा था | दुनिया के कोने कोने से लोग उसकी एक झलक देखने , उसकी और बाघ की तस्वीर को कैमरे में कैद करने के लिए छत्तीसगढ़ के बस्तर में आते थे | अबुझमाड़ा में रहेने वाले ग्रामीण लोग बताते है की the tiger boy chandru mandavi नारायणपुर जिले के गबेंगाल का रहने वाला था | वे एक आदिवासी समुदाय से थे उनके दादा और पिता एक शिकारी थे |
चेंदरू के दादा और उनके पिता एक दिन जंगल से चेंदरू के लिए के गिफ्ट लाये थे बांस की टोकरी में छुपे उस गिफ्ट को देखने के लिए चेंदरू बहुत ही उत्साहित था वह तोहफा एक दोस्ती का था जिसने उसका पूरा जीवन ही बदल दिया | जब chandru mandavi के सामने उस बांस की टोकरी को खोला गया तो उसने अपनी सोच से भी बढ़कर कुछ पाया | उस टोकरी में शेर का एक छोटा सा बच्चा था जिसे देखते ही चेंदरू मंडावी ने उसे अपने गले से लगा लिया | और यही से ही चेंदरू और बाघ की सुन्दर दोस्ती की शुरुआत हुयी | उसने अपने इस टाइगर दोस्त का नाम तेम्बू रखा था |
चेंदरु मंडावी के बनी ओस्कर विनिंग मूवी
कहा जाता है की chandru mandavi और टाइगर की यह दोस्ती गाँव गाँव तक फैलने लगी थी | और फिर उसकी चर्चा विदेशो में भी होने लगी थी | स्वीडन के सुप्रसिद्ध फिल्म निर्माता अरेन सक्सडोर्फ़ को जब या किस्सा पता चला तो वह सीधे बस्तर आ गये यहाँ आने के बाद उन्होंने के ऐसा दृश्य देखा जिसमे एक टाइगर एक बच्चे के साथ खेल रहा है |
इस दृश्य को देख कर डाइरेक्टर इस दोस्ती को पूरी दुनिया को दिखाने अक सोचा और उन्होंने इस पर फिल्म बनाने का फैसला लिया | तेम्बू और चेंदरु मंडावी के दोस्ती से प्रभावित होकर साल 1957 में उन्होंने एक फिल्म का निर्माण किया जिसका नाम द जंगल सागा था यह फिल्म अंतर्राष्ट्रीय स्तर बहुत ही सफल रही थी | इस फिल्म 75 मिनट के फिल्म ने पूरी दुनिया में धूम मचा दिया था | उन्होंने गाँव में 1 साल तक रहकर की इस फिल्म की शूटिंग की |
और इस फिल्म ने ओस्कर अवोर्ड भी जीता | इस महान और वीर आदिवासी की मृत्यु 18 सितम्बर साल 2013 में 78 साल की उम्र में हो गया |
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