छत्तीसगढ़ राज्य का नामकरण | The History of naming Chhattisgarh
The History of naming Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ राज्य अविभाज्य मध्यप्रदेश राज्य का दक्षिण-पूर्वी भाग है | 1 नवम्बर सन 2000 को यह इस भू भाग से अलग होकर एक नया राज्य बनया गया | शिलालेखो , ताम्रपत्रो , एवं धार्मिक ग्रंथो में कही भी इस नाम का उल्लेख नही मिलता है | इस भू भाग के प्राचीन नाम एवं मतों को निम्नलिखित शीर्षकों में उल्लेखित किया जा सकता है –
दक्षिण कोसल
Chhattisgarh Origin : छत्तीसगढ़ का प्राचीन नाम दक्षिण कोसल था | वाल्मीकि रचित रामायण में उत्तर कोसल और दक्षिण कोसल नाम का उल्लेख मिलता है | संभवतः उत्तर कोसल सरयू तट पर स्थित था जबकि दक्षिण कोसल विंध्यांचल पर्वतमाला के दक्षिण में विस्तृत था | राजा दशरथ की पत्नी कौशल्या इसी दक्षिण कोसल की राजकुमारी थी | प्राप्त अभिलेखों और प्रस्श्तियो में भी इस भू भाग के लिए दक्षिण कोसल नाम (chhattisgarh rajy namkaran ) का उल्लेख किया गया है | रतनपुर शाखा के कलचुरी शासक जाजल्लदेव के रतनपुर अभिलेखों में भी इस नाम का उल्लेख मिलता है |

कोसल
Chhattisgarh Name Origin : कालिदास रचित रघुवंशम में कोसल और उत्तर कोसल नाम का उल्लेख मिलता है इससे यह स्पष्ट होता है की कालिदास युगीन भारत में अवध को उत्तर कोसल और छत्तीसगढ़ राज्य को कोसल के नाम (chhattisgarh rajy namkaran ) से जाना जाता था | इलाहबाद किला के भीतर स्थित हरिशेन लिखित प्रयाग प्रशश्ति में कोसल का उल्लेख है | निश्चित रूप से कहा जा सकता है की गुप्त कालीन भारत में वर्तमान के छत्तीसगढ़ राज्य को कोसल नाम (chhattisgarh name history) से जाना जाता था |
महाकोसल
history behind the name of Chhattisgarh : प्रसिद्ध पुरातत्ववेता एलेक्जेंडर कनिंघम ने अपनी पुरातात्विक रिपोर्ट आर्कियोलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में इस प्रदेश के लिए महाकोसल शब्द का प्रयोग किया गया है | छत्तीसगढ़ राज्य से प्राप्त ताम्रप, अभिलेखों , मुद्राओ और धार्मिक ग्रंथो ने कही भी इस नाम का प्रयोग नही हुआ है | ऐसा प्रतीत होता है की उत्तर कोसल से उत्तर कोसल से दक्षिण कोसल को पृथक एवं गारियान बनाने के लिए महा विश्लेषण लगा दिया गया है |

चेदिसगढ़
History of Chhattisgarh Name : रायबहादुर हीरालाल ने छत्तीसगढ़ राज्य का प्रचीन नाम चेदिसगढ़ उल्लेखित किया है | उनका यह विचार है की प्रदेश में चेदी वंशीय राजाओ का राज्य था | उस समय यह भाग चेदिसगढ़ के नाम से जाना जाता था | यही नाम बिगड़कर छत्तीसगढ़ हो गया है |
chhattisgarh name history : छत्तीसगढ़ के लिए छत्तीसगढ़ नाम का प्रयोग हुआ इस सम्बन्ध में कोई छत्तीसगढ़ नाम का प्रयोग हुआ इस सम्बन्ध में कोई प्रमाणिक जानकरी नही है | प्रचलित जनश्रुतियो तथा विभिन्न प्रमाणों के आधार पर छत्तसीगढ़ नामकरण को सिद्ध करने का प्रयास किया गजो इस जो इस है –
साहित्य में छत्तीसगढ़ नाम का प्रयोग सर्वप्रथम खैरागढ़ के राजा लक्ष्मीनिधि राय (Chhattisgarh Name Origin) के राजत्व काल में कवि दलराम राव ने सन 1944 में किया था – लक्ष्मीनिधि राय सुनो चित दे , गढ़ छत्तीस में न गढ़ई रही | कवि दलराम राव ने जिस काल में यह पंक्ति लिखी थी वह सल्तनत काल था | ऐसा प्रतीत होता है की सल्तनत काल में इस भाग के लिए छत्तीसगढ़ नाम (chhattisgarh rajy namkaran ) प्रयुक्त किया जाना प्रारम्भ हो गया था |
रतनपुर के कवि रतनपुर के कवि गोपालचंद्र मिश्र रचित अध्य खूब तमाशा ने सन 1686 में छत्तीसगढ़ का उल्लेख हुआ था | इसी प्रकार रेवाराम ने विक्रम विलास नामक ग्रन्थ में जिसकी रचना सन 1896 में हुयी थी में छत्तीसगढ़ शब्द का प्रयोग हुआ है |
एलेक्जेंडर कनिंघम के सहयोगी वेगलर ने छत्तीसगढ़ एलेक्जेंडर कनिंघम के सहयोगी वेगलर ने छत्तीसगढ़ राज्य के सर्वेक्षण का कार्य किया था उसने छत्तीसगढ़ के नामकरण (chhattisgarh name history) के संबध में किद्वंती का उल्लेख किया है | उनका कहना है की राजा जरासंध के काल में 36 ध के काल में 36 चर्मकारो के परिवार इस भाग ने आकर बस गये |
इन्ही परिवारों ने एक पृथक राज्य की स्थापना की जिसे छात्तिसघर कहा गया जो कालांतर में विकसित होकर इन्ही परिवारों ने एक पृथक राज्य की स्थापना की जिसे छात्तिसघर कहा गया जो कालांतर में विकसित होकर छत्तीसगढ़ कहलाने लगा |
शाब्दिक दृष्टि से छत्तीसगढ़ का अर्थ होता है छत्तीस किले या गढ़ | कलचुरी शासन काल में रतनपुर शाखा और रायपुर शाखा के अंतर्गत 18 -18 गढ़ थे | इस प्रकार इस क्षेत्र में कुल 36 गढ़ थे | इन गढ़ों के कारण ही वर्तमान छत्तीसगढ़ प्रदेश छत्तीसगढ़ कहलाया |
इसी प्रकार के महत्वपूर्ण जानकरियो के लिए अवश्य फॉलो करे हमारे वेबसाईट sujhaw24.com को
Join WhatsApp Group | ![]() |
Join Telegram Channel | ![]() |
यह भी पढ़े :-
3.about the state of Chhattisgarh : एक नजर में छत्तीसगढ़
4.gangrel dam chhattisgarh : गंगरेल बाँध छत्तीसगढ़ राज्य का सबसे बड़ा बाँध