Maharashtra Language Controversy : हमारी मातृभाषा हिंदी का महाराष्ट्र में विरोध और मराठी भाषाओ वालो की दंगाई देश विकास हित के लिए यह बेहद शर्मनाक और गलत
Language Controversy India : हिंदी ( Hindi Language ) एक ऐसी भाषा जो एक-दुसरे के भावनाओ को अच्छे से व्यक्त करती है | ऐसी भाषा जो सरल,सुन्दर और मधुर जिससे हर कोई प्रभावित हो सकता है | ऐसी भाषा ( Hindi bhasha ) जिसे सभी आसानी से समझ सकते है , बोल सकते है , व्यक्त कर सकते है | आज इसी भाषा ( Hindi Language ) को लेकर महाराष्ट्र में तगड़ा विरोध प्रदर्शन हो रहा है , आखिर क्यों ?
India Hindi Language Controversy : भारत में भाषाई विवाद
भारत में हालाँकि कोई एक राष्ट्रिय भाषा नहीं है | लेकिन हिंदी को राजकीय भाषा घोषित किया है याने की सरे ऑफिसियल काम सरकारी काम हिंदी भाषा में हो सकते है | लेकिन इसके बावजूद महाराष्ट्र, तमिलनाडु आदि कुछ राज्य क्यों हिंदी का विरोध कर रहे है | केंद्र सरकार के आदेशानुसार हर राज्य में 3 भाषा को अनिवार्य करने की बात कही थी | जिसमे से एक वहां के राज्य भाषा और एक अंग्रेजी और एक हिंदी भाषा को |
सोचने वाली बात है जो इन्सान भारत में रहता है, भारत का निवासी है उसे अंग्रेजी से दिक्कत नहीं है बल्कि हिंदी से है | क्या यही देश की निशानी है ? हर राज्य को अपनी स्थानी भाषा , संकृति को बढ़ावा देने का अधिकार है लेकिन हिंदी जो की एक राजकीय मिलनसार और सुन्दर भाषा है उसे क्यों दरकिनार किया जा रहा है ? अंग्रेजी के प्रति क्यों उनका लगाव अधिक है ?
Maharashtra Language Controversy : भारत में सबसे ज्यादा हिंदी भाषा बोली जाती है | और हिंदी हमारी मातृभाषा है | ये ऐसी भाषा है जो सबसे पुरानी है | इसी को लेकर महाराष्ट्र (Maharashtra Marathi Language Controversy ) में सबसे बड़ा विरोध हो रहा है | वहां इ लोगो का कहना है की अगर तुम्हे महाराष्ट्र (Maharashtra ) में रहना है तो तुम्हे मराठी आनी चाहिए | इस बात को बढ़ावा तब मिला जब वहां के नेता उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने मिलकर कहा की मराठी ( Marathi language) को बचाना है और हिंदी का विरोध करना है याने की हिंदी को महाराष्ट्र (Maharashtra Hindi Language Controversy ) में अनिवार्य नहीं करने देना है |

Hindi Language Controversy : सोचिये यह कितने नासमझी और मुर्खता वाली बात है जो भाषा हमारे देश की अपनी है उसे स्वीकार करने में झिझक रहे है | और अपने ही मातृभाषा का विरोध कर रहे है | किसी भी राज्य के उसके क्षेत्र को अपने स्थानीय भाषा में बोलने, पढने, लिखने और प्रचार करने का अधिकार है लेकिन हमारा भारत जो हिंदी राष्ट्र है सबसे अधिक हिंदी बोली जाती है , इसके बिना वह राज्य आगे कैसे बढेगा ?
Maharashtra Language Controversy : महाराष्ट्र में भाषा विवाद
अंग्रेज भी यही करते थे उस समय , अंग्रेज भी भारत में आकर एक -दुसरे समुदाय वालो को ऐसे ही बांटते है जैसे आज ये कुछ चंद नेता लोग कर रहे है | और उसके चक्कर में वहां के लोग भी उग्र हो रहे है | ये देशहित में बिल्कुल भी सही नहीं है | महाराष्ट्र में हिंदी के विरोध की वजह से वहां की सरकार ने तीन भाषा निति के आदेश को वापस लिए |
Maharashtra Hindi Language Controversy : महाराष्ट्र में वहां के लोगो द्वारा भी कुछ लोगो के ऊपर मराठी थोपने को लेकर विडियो सामने आ रहे है | अगर वे मराठी नहीं बोलते या नहीं आता है तो उन्हें महाराष्ट्र से निकल जाने की बात करते है | इतनी मुर्खता भला कोई कैसे कर सकता है | इस पर लोगो को गंभीरता से सोचना होगा और विकास के लिए हिंदी से बेहतर और कुछ नहीं | हालाँकि अंग्रेजी विश्व व्यापर और शिक्षा आदि के लिए भी जरुरी है लेकिन भारत में सबसे ज्यादा हिंदी की जरुरत है | इसलिए इसका विरोध नहीं इसे स्वीकार कीजिये | इतने अच्छे भाषा का सम्मान करे |
जब चाइना अपने देश की तरक्की अपने चीनी भाषा के दम पर करती है वहां सिर्फ चीनी बोली जाती है | उन्हें अपने भाषा पर गर्व है , अमेरिका में अंग्रेजी और ऐसे ही इंग्लैण्ड,बिरतें , रूस में रशियन भाषा आदि के साथ वे देश आगे बढ़ रहे है तो हम क्यों भाषायी विवाद में उलझकर देश को निचे कर रहे है |
महाराष्ट्र में भाषा विवाद : Maharashtra language Controversy
1.महाराष्ट्र में 1 से 5वीं तक के विद्यार्थी के लिए तीसरी भाषा के तौर पर हिंदी भाषा को अनिवार्य किया गया था | ये फैसला राज्य के सभी मराठी और अंग्रेजी माध्यम स्कूलों पर भी लागू किया गया था।
2.राष्ट्रिय शिक्षा निति (NEP) 2020 के नए करिकुलम को ध्यान में रखते हुए महाराष्ट्र में इन कक्षाओ के लिए तीन भाषा की नीति लागू की गई थी।
3.विवाद बढ़ने की वजह से कुछ नई गाइडलाइंस जारी की गई थी | मराठी और अंग्रेजी माध्यम में कक्षा 1 से 5वीं तक पढ़ने वाले विद्यार्थी तीसरी भाषा के तौर पर हिंदी के अलावा भी दूसरी भारतीय भाषाएं चुन सकते हैं।
4.इसके लिए कुछ शर्ते राखी गयी कि एक क्लास के कम से कम 20 विद्यार्थी हिंदी से इतर दूसरी भाषा को चुनें। ऐसी स्थिति में स्कूल में दूसरी भाषा की टीचर की भी नियुक्ति कराई जाएगी। अगर दूसरी भाषा चुनने वाले विद्याथी की संख्या 20 से कम हो जाती है तो वह भाषा ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाई जाएगी।
लेकिन इस पर भी इनका विरोध शांत नहीं हुआ और विरोध बढ़ गया | इसलिए सरकार को इसे वापस लेना पड़ा | ऐसे ही और अधिक खबर के लिए हमारे साथ जुड़े रहे |
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